कर्नाटक सरकार लोकल लोगों को अधिकार देने पर अड़ी, राज्य में देर-सबेर जरूर लागू होगा प्राइवेट कंपनियों में आरक्षण

Karnataka: राज्य सरकार ने फिलहाल इसे रोकने का फैसला जरूर किया है मगर राज्य सरकार इस बिल में बनाए गए प्रावधानों को लेकर अडिग दिख रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-07-18 09:34 GMT

CM Siddaramaiah   (PHOTO: social media )

Karnataka: कर्नाटक में निजी सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण का लाभ देने वाले बिल को लेकर इन दिनों भूचाल दिख रहा है। उद्योग जगत की ओर से तीखा विरोध जताए जाने के बाद राज्य सरकार ने फिलहाल इस बिल को रोक दिया है। दिग्गज उद्योगपतियों ने इस बिल के बाद कर्नाटक से तमाम कंपनियों के पलायन की बड़ी चेतावनी दे डाली है। इसीलिए राज्य सरकार ने फिलहाल इसे रोकने का फैसला जरूर किया है मगर राज्य सरकार इस बिल में बनाए गए प्रावधानों को लेकर अडिग दिख रही है।

इस बीच सिद्धारमैया सरकार के आईटी मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार की ओर से लाए गए इस बिल में कुछ वक्त लग सकता है मगर इसे लागू जरूर किया जाएगा। उनके इस बयान से साफ हो गया है कि राज्य सरकार कन्नड़ भाषी लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए इस बिल को वापस लेने के लिए तैयार नहीं दिख रही है।

उद्योग जगत से चर्चा करेगी कर्नाटक सरकार

आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि इस बात में तनिक भी संशय नहीं होना चाहिए कि स्थानीय नौकरियों में राज्य के लोगों का पहला अधिकार है। हमने इसके लिए नियम कानून बनाकर कुछ भी गलत नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर इंडस्ट्री और अन्य लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है और इसलिए फिलहाल इस बिल को रोक दिया गया है। हम उद्योग जगत के लोगों से बातचीत करके उन्हें सहमत करने की कोशिश करेंगे और उसके बाद आखिरी फैसला ले लिया जाएगा।

कानूनी पहलुओं का भी रखा जाएगा ध्यान

खड़गे ने कहा कि निजी नौकरियों में आरक्षण से जुड़े इस बिल के संबंध में सभी मंत्रालयों से चर्चा की जाएगी और फिर उन मंत्रालयों की बातों को भी इस बिल में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार कानूनी पहलुओं का पूरा ध्यान रखेगी ताकि इसे चुनौती न दी जा सके।

उन्होंने हरियाणा सरकार की ओर से लाए गए बिल का जिक्र करते हुए कहा कि उनका कानून लागू नहीं किया जा सका मगर हम कर्नाटक में ऐसा नहीं चाहते। हरियाणा सरकार की ओर से लाए गए बिल को राज्यपाल की मंजूरी के बाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।

कर्नाटक में पैदा हुआ बड़ा विवाद

कर्नाटक में निजी सेक्टर की नौकरियां को आरक्षित करने के मुद्दे पर सोशल मीडिया में भी खूब बहस चल रही है। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट में कहा था कि कैबिनेट की बैठक में कल राज्य के सभी प्राइवेट सेक्टर में सी और डी ग्रेड के पदों पर कन्नड़ लोगों के सौ फीसदी भर्ती अनिवार्य करने के कानून को मंजूरी देगी दी गई है। हालांकि उनकी इस पोस्ट के बाद खासा विवाद पैदा हो गया। इसके बाद उन्होंने पोस्ट को डिलीट कर दिया।

राज्य सरकार की ओर से तैयार किए गए विधेयक में यह भी कहा गया है कि किसी भी उद्योग कारखाने या अन्य प्रतिष्ठानों को प्रबंधन श्रेणियां में 50 फीसदी और गैर प्रबंधन श्रेणियां में 75 फीसदी स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति करनी होगी।

नए बिल के खिलाफ है उद्योग जगत

कर्नाटक सरकार के इस बिल को लेकर उद्योग जगत की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई है। उद्योग जगत का कहना है कि यह राज्य सरकार का अदूरदर्शी और फासीवादी कदम है जिससे राज्य की निवेशक अनुकूल छवि को बड़ा धक्का लगेगा। उद्योग जगत का यह भी कहना है कि कई बड़े उद्योग यहां से दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो सकते हैं क्योंकि वहां पर उन्हें इस तरह की बंदिशों का सामना नहीं करना होगा।

उद्योग जगत के चौतरफा विरोध के बाद राज्य सरकार ने बिल को जरूर रोक दिया है मगर खड़गे के बयान से साफ हो गया है कि सरकार देर-सबेर इस बिल को जरूर लागू करेगी। इसे कांग्रेस की ओर से कन्नड़ लोगों का समर्थन हासिल करने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

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