दीपिका की खास सिगरेट 'डूब', जिसका करती हैं ये इस्तेमाल

इस क्रम में एनसीबी ने बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण से भी पूछताछ की। पूछताछ में दीपिका ने ड्रग लेने की बात से साफ इनकार किया।

Update: 2020-09-27 09:16 GMT
पूछताछ में दीपिका ने ड्रग लेने की बात से साफ इनकार किया। लेकिन कुछ सूत्रों से ये खबर आ रही है कि दीपिका ने एक खास तरह की सिगरेट पीने की बात स्वीकारी है। इस सिगरेट को 'डूब' कहते हैं।

नई दिल्‍ली: बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को अब 3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। लेकिन अभी तक उनकी मौत की गुत्थी नहीं सुलझ पाई है। जबकि केस अब सीबीआई के पास है। लेकिन सुशांत के इस केस में जबसे ड्रग्स के कनेक्‍शन की बात सामने आई है तबसे आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। और अब इसमें बॉलीवुड के कई बड़े नाम फंसते नज़र आ रहे हैं। ऐसे में नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो (NCB)लगातार इन बॉलीवुड हस्तियों से पूछताछ कर रही है।

इस क्रम में एनसीबी ने बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण से भी पूछताछ की। पूछताछ में दीपिका ने ड्रग लेने की बात से साफ इनकार किया। लेकिन कुछ सूत्रों से ये खबर आ रही है कि दीपिका ने एक खास तरह की सिगरेट पीने की बात स्वीकारी है। इस सिगरेट को 'डूब' कहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये डूब होती क्या है? क्या ये किसी तरह की ड्रग है? तो आपके इन सारे सवालों का जवाब यहां हम आपको देते हैं।

एक खास तरह की हैंड रोल्‍ड सिगरेट होती है डूब

डूब सिगरेट (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- बिहार में 50-50 वाला फार्मूला, बीजेपी-जदयू में सीटों का बंटवारा

यहां हम आपको बताते हैं कि आखिर ये डूब होती क्या है। इस बारे में जानकारी करने पर दिल्‍ली पुलिस की नारकोटिक्‍स ब्रांच में तैनात रहे एक अधिकारी ने बताया क‍ि डूब दरअसल एक हैंड रोल्‍ड सिगरेट है। यानि बाजार में मिलने वाले सिगरेट के पेपर को खुद रोल करके तैयार करना और फ‍िर उसे पीना। नशा करने के लिए इसका इस्‍तेमाल बड़ी तादाद में किया जाता है। यह नशा किसी भी तरह का हो सकता है। चाहे उसमें तंबाकू रोल कर लिया जाए या गांजा या फ‍िर कोकीन।

दीपिका पादुकोण (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- भारत छुड़ाएगा चीन के छक्के: टैंक और स्पेशल टेंट तैयार, सेना हुई तैयार

वहीं दीपिका ने पूछताछ में एनसीबी को ये भी बताया था कि उनका पूरा ग्रुप डूब का इस्तेमाल करता है, जो एक खास तरह की सिगरेट है। लेकिन जब एनसीबी के अधिकारियों द्वारा दीपिका से ये पूछा गया कि क्या डूब में ड्रग्स होती है तो इन सवालों पर उन्होंने चुप्पी भी साध ली। इस पर अधिकारी ने बताया, डूब में ज्‍यादातर कोकीन भी पी जाती है। जो कोकीन के सबसे ज्‍यादा एडिक्‍ट होते हैं, वे इसका इस्‍तेमाल बड़ी संख्‍या में करते हैं। उनका कहना है कि डूब का इस्‍तेमाल केवल पार्टिज में ही नहीं, बल्कि आमतौर पर स्‍मोकिंग में भी किया जाता है।

इतने साल की सजा का है प्रावधान

नारकोटिक ड्रग्‍स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985 (फाइल फोटो)

अब यहां हम आपको बताते हैं कि नारकोटिक्स कानून इसके बारे में क्या कहता है? और कितनी सजा का प्रावधान है इस कानून में। इस विषय में वकील व एक्टिविस्‍ट अमित साहनी बताते हैं, नारकोटिक ड्रग्‍स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985। जिसे आम भाषा में एनडीपीएस एक्ट के नाम से जानते हैं। के तहत कोई व्यक्ति इसके प्रावधानों और नियमों के खिलाफ जाकर किसी ड्रग्स को बनाता है, रखता है, इंटरस्टेट इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट करता है, ट्रांसपोर्ट करता है या खरीदता है।

ये भी पढ़ें- बिना हेलमेट बाइक चलाते चौकी इंचार्ज व सिपाही, अब कटा इनका चालान

व एक्ट में दिए गए प्रावधानों का उल्‍लंघन करता है तो ऐसे में एक्ट के अंतर्गत प्रतिबंधित ड्रग की SMALL QUANTITY होने पर मुल्जिम को 6 महीने और दस हज़ार तक जुर्माना, कमर्शियल क्वांटिटी से कम लेकिन स्‍मॉल क्वांटिटी से अधिक होने पर 10 साल तक और एक लाख तक जुर्माना और कमर्शियल क्वांटिटी होने पर कम से कम 10 साल पर अधिकतम 20 साल सजा और दो लाख तक जुर्माना हो सकता है।

नारकोटिक ड्रग्‍स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985 (फाइल फोटो)

नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985 के प्रावधानों के तहत नारकोटिक ड्रग या साइकोट्रॉपिक पदार्थ का सेवन करने वालों को भी एक साल तक की सजा का प्रावधान है। और जो लोग ऐसी एक्टिविटीज को वित्‍तीय या प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देते हैं। तो ऐसे लोगों को एक्‍ट के सेक्‍शन 27(A) के तहत भी कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल सजा और दो लाख तक जुर्माना हो सकता है। इसके इलावा गंभीर अपराध होने के चलते इस एक्ट के तहत आने वाले क्राइम में सजा पाए अपराधियों को राज्य सरकारों द्वारा किसी तरह की सजा में छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है।

ये भी पढ़ें- सकलडीहा से भाजपा प्रत्याशी रहे पं. सूर्यमुनि तिवारीः राजनीति में न होता तो समाजसेवी होता

अमित साहनी का कहना है कि इस केस में क्राइम प्रूव होने पर सेक्‍शन 27 लागू होता है,। जिसके तहत आरोपियों द्वारा बताई गई ड्रग्‍स अगर एनडीपीएस एक्‍ट में दिए गए शेडयूल में अगर प्रतिबंधित श्रेणी में आती हैं या सरकार के ऑफिशियल गजट में दी गई प्रतिबंधित दवाओं की श्रेणी में आती हैं तो इनका सेवन करने वालों को अलग अलग प्रावधानों के तहत 6 महीने या एक साल तक की सजा हो सकती है।

Tags:    

Similar News