भारत से डरा चीन: देश की इस नीति से पीछे हटने को हुआ मजबूर, अब क्या करेगा
लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के बीच लगभग पचास दिनों से तनाव बना हुआ है। लेकिन अब चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपनी सेना पीछे हटाने के लिए राजी हो गया।
नई दिल्ली: लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के बीच लगभग पचास दिनों से तनाव बना हुआ है। लेकिन अब चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपनी सेना पीछे हटाने के लिए राजी हो गया। अंत में आखिर चीन को भारत के कड़े रुख के आगे ये फैसला लेना ही पड़ा। क्योंकि कहीं ना कहीं चीन को भी ये पता है कि अब भारत को छेड़ना उसके लिए बहुत भारी पड़ सकता है।
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पचास दिनों तक भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब
चीन की चालबाजी और धोखेबाजी की वजह से LAC पर इतने दिनों तक तनाव अपने चरम पर बना रहा। उसकी तरफ से भारत को उकसाने के भी कई प्रयास किए गए। कोरोना वायरस के बीच उसने नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ एक नया विवाद शुरू कर दिया। जिसके चलते भारत को भी गलवान घाटी में चीन को पचास दिनों तक चीन को मुंहतोड़ जवाब देना पड़ा। लेकिन अब भारत के कड़ रूख के बाद चीन रास्ते पर आता दिख रहा है।
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कूटनीतिक स्तर पर बढ़ी चीन की चिंता
अब कूटनीतिक स्तर पर चीन की चिंता बढ़ गई है। लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना द्वारा मुंहतोड़ जवाब मिलने के बाद से ही चीन की चिंता बढ़ी हुई है और अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के रूस जाने से उसकी चिंता और ज्यादा बढ़ गई है। रूस और भारत की दोस्ती और एस 400 मिसाइल से चीन चिंतित है।
चीन की विस्तारवादी नीति ने खड़ा किया सीमा विवाद
अब चीन के हर रवैये से अब दुनिया वाकिफ हो चुकी है। अगर चीन के पुराने नक्शे को देखा जाए तो यह दर्शाता है कि गलवान घाटी और अन्य इलाके भी भारत के हिस्से में है। लेकिन अब चीन की विस्तारवादी नीति की वजह से उसके पड़ोसी देशों से सीमा विवाद बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस बार भारत के साथ सीमा विवाद उसी के लिए नई परेशानी बन खड़ा हुआ है।
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चीन की धोखेबाजी का मास्टरमाइंड इसका था हाथ
वहीं गलवान घाटी में चीन की धोखेबाजी का मास्टरमाइंड चीनी आर्मी के वेस्ट थियेटर कमांड के प्रमुख जनरल झाओ झोंग्की को माना जा रहा है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि LAC पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच की झड़प सोची समझी साजिश के तहत हुई थी। हमारे देश के जवानों की शहादत के पीछे भी इसी की चाल कही जा रही है। चीन आर्मी ने इसके लिए पहले से ही प्लान बना रखा था और इस प्लान को धरातल पर उतारा था चीन आर्मी के जनरल झाओ झोंग्की ने।
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भारतीय सेना का सख्त रवैया और पराक्रम चीन ने देखा
गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के केवल 100 जवान थे, वहीं चीन के 300 से 350 सैनिक थे, लेकिन फिर भी भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया और वो भी बिना हथियारों के। इस झड़प में भारतीय सेना का सख्त रवैया और पराक्रम सभी ने देख लिया और चीन भी अच्छे से इससे वाकिफ हो गया।
इससे पहले साल 1962 में भारत के पास हथियार और गोला बारूद की थोड़ी कमी थी। लेकिन अब देश की तीनों सेनाएं- थल, जल और वायु सेना किसी भी देश को मात देने का दम रखती हैं।
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