ये बड़े संदेश दे गए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और दोनों राज्यों में बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। इसके साथ ही वह सरकार बनाने जा रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी को फिर से विपक्ष में बैठना पड़ेगा।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और दोनों राज्यों में बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। इसके साथ ही वह सरकार बनाने जा रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी को फिर से विपक्ष में बैठना पड़ेगा। इन राज्यों में कोई भी जीता हो, कोई हारा हो और किसी का खराब प्रदर्शन रहा हो। लेकिन इस विधानसभा चुनाव के नतीजों में कई राजनीतिक संदेश निकलकर सामने आए हैं। इसका असर भविष्य में राजनीति पर भी दिख सकती है।
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मोदी की छवि बरकरार
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रांड पर कोई असर होता नहीं दिखाई दे रहा है। बीजेपी महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के चेहरे को लेकर मैदान में उतरी थी और प्रधानमंत्री मोदी ने इन दोनों प्रदेशों में बहुत कम रैलियां की थीं। इसलिए इन नतीजों का मोदी के रुतबे पर कोई असर नहीं होगा। बीजेपी का लोकसभा चुनाव में यहां अच्छा प्रर्दशन था।
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स्थानीय मुद्दों पर लोगों में नाराजगी
इन चुनाव नतीजों से साफ है कि राज्यों में बीजेपी की सरकार के कामकाज से लोग खुश नहीं है। विपक्ष ने स्थानीय मुद्दों को उठाया और बीजेपी को दोनों राज्यों में नुकसान हुआ है।
ओवर कॉन्फिडेंस
बीजेपी ने सबसे बड़ी गलती यह रही है कि उसने दोनों राज्यों में विपक्ष को कम आंका। इसी ओवर कॉन्फिडेंस में बीजेपी के कई दिग्गज नेता जमीन पर काम नहीं किए।
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क्षत्रपों की सियासत खत्म नहीं हुई
महराष्ट्र में एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की, तो वहीं शिवसेना भी 56 सीटें जीतने में कामयाब रही है। ऐसे ही हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस को 15 से 31 सीटों पर जीताने में कामयाब रहे और 11 महीने पहले बनी जेजेपी भी 10 सीटों पर जीत हासिल की है।
राष्ट्रीय मुद्दों पर नहीं पड़े वोट
महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी जम्मू-कश्मीर से 370 को हटाने, एनआरसी, चंद्रयान-2 और पाकिस्तान के मुद्दे को उठा रही थी, तमाम दिग्गज नेताओं ने इन मुद्दों पर वोटा मांगा। लेकिन बीजेपी की सीटें घटने से पता चलता है कि यह कार्ड फेल हो गया।
विपक्ष में भूट का फायदा
महाराष्ट्र में विपक्ष की फूट का फायदा बीजेपी को मिला। कांग्रेस, एनसीपी, प्रकाश अंबेडकर और असदुद्दीन ओवैसी सहित तमाम क्षेत्रीय पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ी होतीं तो बीजेपी शायद जीत हासिल करने में मुश्किल खड़ी हो जाती। हरियाणा में कांग्रेस, जेजेपी और बसपा एक साथ चुनाव लड़ती तो यहां सत्ता में वापसी आना मुश्किल हो जाता।
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पस्त दिखी कांग्रेस
हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस पूरी तरह पस्त दिखीं। हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस घर की लड़ाई से बाहर नहीं निकल पाई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी पूरे चुनाव प्रचार में कहीं नहीं दिखीं। कांग्रेस अगर इन सबसे बाहर निकलकर चुनाव पर जोर देती तो नतीजे कुछ और हो सकते थे।