अरे वाह! अब दिल्ली में चलेगी रबड़ के टायर वाली मेट्रो, जाने खासियत

आज-कल सभी विकासशील देशों में मेट्रो ट्रेन होना आम बात हो गयी है। मेट्रो काम को जल्दी करने में हेल्प भी करती है। इसकी मदद से आम इंसानों को अपना काम करने की आसानी होती है। अगर बात मेट्रो की डिजाइन की करे तो इस बेहद ही अच्छे तरीके से बनाया जाता है।

Update: 2023-07-12 03:03 GMT

नई दिल्ली: आज-कल सभी विकासशील देशों में मेट्रो ट्रेन होना आम बात हो गयी है। मेट्रो काम को जल्दी करने में हेल्प भी करती है। इसकी मदद से आम इंसानों को अपना काम करने की आसानी होती है। अगर बात मेट्रो की डिजाइन की करे तो इस बेहद ही अच्छे तरीके से बनाया जाता है। आधुनिक तरह से इसके पार्ट यूज़ किए जातें हैं। लेकिन हम आपको जो बताने जा रहे हैं इसके बाद शायद आप ये सुन कर चौंक जाएंगे। आने वाले दिनों में देश के किसी शहर में टायर वाली (रबड़ युक्त पहिये वाली) मेट्रो चलती नजर आएंगी। इसके लिए प्लान भी तैयार की जा रहा है। ये बात ग्रे लाइन पर मेट्रो के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने कही।

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खर्च आएगा कम

केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री ने कहा कि, मेट्रो बड़े शहरों के लिए सफल सार्वजिनक परिवहन की सुविधा है। देश में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। इससे वर्ष 2030 तक देश की करीब 60 करोड़ आबादी शहरों में होगी। दिल्ली मेट्रो की सफलता के बाद द्वितीय व तृतीय स्तर के शहरों में भी मेट्रो जैसी सुविधाओं की मांग हो रही है। मेट्रो के निर्माण का खर्च अधिक है, इसलिए इन शहरों में मेट्रो लाइट की नीति को अपनाया गया। इसके पीछे वजह यह है कि इससे मेट्रो के निर्माण में 30 फीसद खर्च कम हो जाता है। मेट्रो लाइट के बाद अब मेट्रो ऑन टायर्स नीति पर काम किया जा रहा है। इस तरह के मेट्रो के विकास में खर्च और भी कम हो जाएगा।'

जानें टायर वाली मेट्रो के बारे में

DMRC के अधिकारी कहते हैं कि, 'दुनिया के कुछ शहरों में टायर्स मेट्रो चल रही हैं। यह मेट्रो भी रेलवे ट्रैक पर चलती है, लेकिन पहियों में टायर का इस्तेमाल होता है। पेरिस में सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया गया। लेकिन देश में यह कितनी सफल होगी इस पर अधिकारियों को संदेह है। दिल्ली मेट्रो में चार से आठ कोच होते हैं। छोटे शहरों के लिए मेट्रो लाइट को मुफीद बताया जाता है। यह तीन कोच की मेट्रो होती है।'

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नजफगढ़-द्वारका रूट का उद्घाटन

आपको बात दें, दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने शुक्रवार को 4.29 किलोमीटर लंबी ग्रे लाइन (द्वारका-नजफगढ़ कॉरिडोर) पर मेट्रो का परिचालन शुरू कर राजधानी वासियों को नवरात्र का तोहफा दिया है। विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी व सीएम अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हरी झंडी दिखाकर मेट्रो को रवाना किया। उसके बाद शाम 5 बजे यह कॉरिडोर यात्रियों के लिए खोल दिया गया। इससे नजफगढ़ और इसके आसपास के दर्जनों गांव दिल्ली मेट्रो के नेटवर्क से जुड़ गए हैं।

हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि, अब दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 377 किलोमीटर पहुंच गया है। इससे दिल्ली मेट्रो लंदन, न्यूयॉर्क व मास्को जैसे दुनिया के बड़े मेट्रो नेटवर्क में शामिल हो गई है। लंदन, न्यूयॉर्क व मास्को मेट्रो का नेटवर्क बहुत पुराना है। जबकि दिल्ली मेट्रो ने अभी 17 साल का सफर तय किया है। इतने कम समय में 377 किलोमीटर का नेटवर्क विकसित करना दिल्ली मेट्रो की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने मेट्रो को सफल परिवहन सुविधा करार दिया और कहा कि फेज चार की आगामी परियोजना व रैपिड रेल कॉरिडोर का काम पूरा होने पर कुल नेटवर्क 500 किलोमीटर से ज्याद हो जाएगा।'

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मेट्रो से कम हुआ प्रदूषण

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, 'प्रदूषण कम करने में मेट्रो बड़ी मददगार है। दिल्ली में हाल के वर्षो में 25 फीसद प्रदूषण कम हुआ है। क्योंकि प्रदूषण कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें दिल्ली मेट्रो का विस्तार भी शामिल है। मेट्रो का नेटवर्क जितना बड़ा होगा, सड़कों पर वाहनों का दबाव उतना ही कम होगा। दिल्ली मेट्रो को प्रतिदिन करीब 300 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है। इसमें से एक तिहाई बिजली की जरूरत डीएमआरसी सौर ऊर्जा से पूरा कर रहा है।'

दिल्ली के इन गांवों को मिलेगा फायदा

ग्रे लाइन पर तीन मेट्रो स्टेशन द्वारका, नंगली व नजफगढ़ हैं। नजफगढ़ भूमिगत, जबकि अन्य दोनों स्टेशन एलिवेटेड हैं। इस कॉरिडोर पर 7:30 मिनट के अंतराल पर मेट्रो उपलब्ध होगी। इसलिए 6.30 मिनट में द्वारका से नजफगढ़ पहुंचा जा सकेगा। नजफगढ़ के लोग एक घंटे में दिल्ली के किसी भी हिस्से में पहुंच जाएंगे। नजफगढ़ से एनसीआर के शहरों के बीच भी आवागमन आसान हो जाएगा। दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि नजफगढ़ के लोगों को 17 सालों से मेट्रो का इंतजार था, जो अब जाकर पूरा हुआ। इससे पश्चिमी दिल्ली व नजफगढ़ के आसपास स्थित 70 गांव व 400 कॉलोनियों के लोगों को फायदा होगा।

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