भारत ने मिसाइल दागकर PTA विमान को मार गिराया, पूरी बात जानकर चौंक जाएंगे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये मिसाइल लक्ष्य का पता लगने और उस पर नजर रखने और ध्वस्त करने में पूरी तरह से सक्षम है।इस प्रणाली को भारतीय सेना की हमलावर टुकड़ी को हवाई रक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इ

Update: 2020-11-14 09:08 GMT
बताते चलें कि डीआरडीओ की अलग-अलग प्रयोगशालाओं जैसे डीआरडीएल, आरसीआई, एलआरडीई, आईआरडीई और आईटीआर ने परीक्षण में हिस्सा लिया था।

नई दिल्ली: भारत ने तेज गति से सतह से हवा में मार करने वाली खतरनाक मिसाइल (क्यूआरएसएएम) प्रणाली का सफल परीक्षण किया है। इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा में किया गया है। यही के एक प्रक्षेपण स्थल से इस मिसाइल को प्रक्षेपित किया गया।

इस मिसाइल ने निशाना लगाते हुए मध्यम रेंज और मध्य ऊंचाई पर पायलट रहित विमान (पीटीए) को मार गिराया। क्विक रिएक्शन सरफेस टु एयर मिसाइल से 30 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के विमान को मार गिराया जा सकता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अत्याधुनिक मिसाइल को यहां पास में स्थित चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से दोपहर तीन बजकर करीब 50 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया।

भारत ने मिसाइल दागकर PTA विमान को मार गिराया, पूरी बात जानकर चौंक जाएंगे(फोटो:सोशल मीडिया)

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इन खास खूबियों से लैश है ये मिसाइल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये मिसाइल लक्ष्य का पता लगने और उस पर नजर रखने और ध्वस्त करने में पूरी तरह से सक्षम है।

इस प्रणाली को भारतीय सेना की हमलावर टुकड़ी को हवाई रक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे एक स्तरीय ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर से दागा गया।

उन्नत मिसाइल में सभी स्वदेशी उप प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है। इसके सफल परीक्षण से भारत की ताकत में और इजाफा हुआ है।

खास बात ये है कि इस मिसाइल को मोबाइल प्रक्षेपण का इस्तेमाल करके भी दागा जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली के सभी तत्वों जैसे बैटरी, बहुकार्य रडार, बैटरी निगरानी रडार, बैटरी कमान पोस्ट यान और मोबाइल प्रक्षेपक को तैनात किया गया था।

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मिसाइल (फोटो-सोशल मीडिया)

पूरी तरह से स्वदेशी है ये मिसाइल

मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है और इसमें सक्रिय आरएफ सीकर, इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्चुएशन (ईएमए) प्रणाली लगी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, डीडी आर एंड डी के सचिव और डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

बताते चलें कि डीआरडीओ की अलग-अलग प्रयोगशालाओं जैसे डीआरडीएल, आरसीआई, एलआरडीई, आईआरडीई और आईटीआर ने परीक्षण में हिस्सा लिया।

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