Rajasthan Election 2023: बागी भाजपा नेता के हटने से राज्यवर्धन राठौड़ को मिली राहत, दिग्गज नेताओं के मनाने पर शेखावत मुकाबले से हटे

Rajasthan Election 2023: पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले शेखावत ने बागी उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन वापस ले लिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-11-11 08:57 IST

Rajyavardhan Rathore Rajpal Shekhawat  (PHOTO: social media)

Rajasthan Election 2023: राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों ने दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर भी पूर्व मंत्री और चार बार विधायक रहे राजपाल सिंह शेखावत ने भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की मुश्किलें बढ़ा रखी थीं मगर आखिरकार पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें मनाने में कामयाब हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले शेखावत ने बागी उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन वापस ले लिया है। उनके नामांकन वापस लेने से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को राहत मिली है। शेखावत के नामांकन वापस लेने के बाद भाजपा नेता राठौड़ की जीत के प्रति आश्वस्त नजर आने लगे हैं।

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शेखावत का टिकट काटने पर हुआ था भारी विरोध

इस बार के विधानसभा चुनाव में जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर शेखावत टिकट के प्रबल दावेदार थे मगर भाजपा की सूची में राठौड़ का नाम घोषित किए जाने के बाद शेखावत समर्थकों में काफी गुस्सा नजर आ रहा था। शेखावत का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। उन्होंने काली पट्टी बांधकर मोहन जुलूस भी निकाला था।

भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास पर शेखावत समर्थकों का जमावड़ा लगा था और राज्यवर्धन गो बैक के नारे भी लगे थे। भाजपा ने इस सीट पर शेखावत की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को चुनावी अखाड़े में उतारा है।


नामांकन के बाद दिग्गज नेताओं ने मनाया

बाद में शेखावत ने बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। उनके नामांकन दाखिल करने के बाद भाजपा नेताओं की चिंता और बढ़ गई थी और उन्हें मनाने की कोशिश शुरू कर दी गई थी। इस सिलसिले में केंद्रीय गॄह मंत्री अमित शाह, राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शेखावत से चर्चा की थी। आखिरकार दिग्गज नेताओं के कहने पर शेखावत ने नामांकन वापस ले लिया है जिससे भाजपा नेताओं ने काफी राहत की सांस ली है।

शेखावत को भाजपा छह बार चुनावी अखाड़े में उतार चुकी है और वे चार बार चुनावी जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं। उनकी इलाके पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और यही कारण है कि उनके नामांकन दाखिल करने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई थीं। अब उनके नामांकन वापस लेने के बाद यह माना जा रहा है कि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ इलाके में अपनी ताकत दिखाने में कामयाब हो सकते हैं।


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भाजपा की सरकार बनाना बड़ी जिम्मेदारी

नामांकन वापस लेने के बाद शेखावत ने कहा कि मैं भाजपा का मजबूत सिपाही हूं और आगे भी पार्टी के लिए काम करता रहूंगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के दिग्गज नेताओं के कहने पर मैंने नामांकन वापस लिया है। मैं अपने चुनाव क्षेत्र के साथ ही पूरे राजस्थान की सेवा करता रहा हूं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की मौजूदा कांग्रेस सरकार को बदलना और राज्य में भाजपा की सरकार बनना बड़ी जिम्मेदारी है और इस जिम्मेदारी को समझते हुए ही मैंने नामांकन वापस लेने का फैसला किया है।


राठौड़ के खिलाफ अब कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं

शेखावत के नामांकन दाखिल करने के बाद राठौड़ की चुनावी जीत मुश्किल मानी जाने लगी थी। सियासी जानकारों का मानना था कि शेखावत भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब हो सकते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि इसी कारण दिग्गज नेताओं ने शेखावत को मनाने में पूरी ताकत लगाई और उन्हें अपनी मुहिम में कामयाबी मिल गई है।

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शेखावत के नामांकन वापस लेने के बाद अब राठौड़ को मजबूत स्थिति में माना जा रहा है। दूसरी ओर अभी तक आश्वस्त दिख रही कांग्रेस की मुश्किलें जरूर बढ़ गई हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी को मैदान में उतारा है। इस सीट से मौजूदा विधायक और कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था जिसके बाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस प्रत्याशी राठौड़ को मजबूत चुनौती देने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।

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