यहां एक सप्ताह में कई बार लगी भीषण आग, जगह का नाम सुनकर चौंक जाएंगे

राजस्थान के उदयपुर से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आ रही है। यहां के जंगली भूभाग को आग ने अपनी चपेट में ले लिया है। नौबत यहां तक आज पहुंची हैं कि अब जंगल नष्ट होने के कगार पर हैं।

Update: 2020-04-16 09:57 GMT
आग की प्रतीकात्मक तस्वीर

जयपुर: राजस्थान के उदयपुर से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आ रही है। यहां के जंगली भूभाग को आग ने अपनी चपेट में ले लिया है। नौबत यहां तक आज पहुंची हैं कि अब जंगल नष्ट होने के कगार पर हैं।

बता दे कि जयसमंद, केवड़ा, सज्जनगढ़, कोडियात के जंगलों में पिछले एक सप्ताह से कई बार आग लग चुकी हैं, जो वन विभाग के साथ-साथ दमकल के लिये भी परेशानी का सबब बनी हुई है। वन क्षेत्रों में लगी यह आग देखते ही देखते कई हेक्टेयर में फैल चुकी है और पूरे जंगल को अपने आगोश में लेने की कोशिश में है।

उदयपुर के जयसमंद अभ्यारण्य, केवड़ा की नाल का मनियोग जंगल, सज्जनगढ़ अभ्यारण्य की पहाड़ियां, कोडियात के जंगलों में एक सप्ताह से कई बार दावानल भभक उठा हैं, जिसे काबू पाने में मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।

जयसमंद में और केवडे में तो करीब 200 से 350 हेक्टेयर तक वन क्षेत्र से लपटे उठ रही है। इस दावानल की चपेट में एक दर्जन से ज्यादा पहाड़ आ चुके है।

उदयपुर शहर के समीप भी सज्जनगढ़ अभ्यारण्य और कोडियात के जंगलों में दावानल की चपेट में अरावली की पहाड़ियां आ चुकी हैं। जिससे कई जंगली जानवरों पर खतरा मंडराने लगा है।

जंगली जानवरों पर मंडराता मौत का खतरा

अरावली की पहाड़ियां में कई प्रजाती के पशु पक्षी विचरण करते है, ऐसे में जब ये पहाड़ियां आग की लपटों से घिर जाती हैं, तो इन जंगली जानवरों पर भी खतरा मंडराने लगता है।

आग की चपेट में आये जंगलों को छोड़ कर ये जंगली जानवर अन्य वन क्षेत्र की और जाने को मजबूर हो जाते हैं, तो कई आग की चपेट में आने से दम तोड देते है। यहीं नहीं, अरावली की इन पहाड़ियां में कई महत्वेपूर्ण वनस्पातियां भी हैं, जो आग के चलते नष्ट हो रही है।

अरावली की पहाड़ियां पर लगी इस आग को पिछले कुछ दिनों से लगातार बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। रात को हवा के साथ ये लपटे फिर भयावह रूप लेकर धधकने लगती है।

आग की भयावहता के सामने लाचार हुए दमकलकर्मी

पिछले कुछ दिनों में केवड़ा, ओडा, सालर घाटी, मनियोल, दवाणा, पलोदडा रेंज, जयसमन्द अभ्यारण्य, सज्जनगढ़ और कोडियात की पहाड़ियों पर यह आग लगी है। आग लगने की सूचना के साथ ही संबधित वन विभाग के कर्मचारी तत्का ल मौके पर पहुंचते हैं और इसकी सूचना दमकल को भी दी जाती हैं।

पहाड़ियां पर आग होने के चलते दमकलकर्मी भी लाचार नजर आते हैं और आग पर काबू पाने के लिए की गई कवायद के नतीजे सिफर रह जाते हैं। आखिर में अब वनकर्मी, ग्रामीणों और दमकलकर्मी एक साथ आपसी सहयोग कर आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं।

आग बुझाने के लिए अब देसी नुस्खों का इस्तेमाल

जंगल में आग लगे हुए काफी दिन हो चुके हैं, अब तक की गई तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। आग बुझाने के लिये वन विभाग के कर्मचारी और ग्रामीण कई तरह से देसी प्रयोग करने पर विचार कर रहे है। इस देसी नुस्खे के तहत आग को आगे बढ़ने से रोकने के लिए इलाके में बडा खड्डा खोद दिया जाता हैं।

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