खतरे में भारत: मौसम से मचेगा हाहाकार, किसानों को होगा भारी नुकसान

भारतीय मौसम में गर्मी बढ़ने के साथ ही कम समय में तेज बारिश भी बढ़ेगी, जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। इसके साथ ही सूखा भी बढ़ने की संभावना है।

Update: 2020-07-16 11:20 GMT

नई दिल्ली: भारत में मौसम की चाल में हो रहे बदलाव से देश में बाढ़, सूखा और बेमौसम बारिश जैसे दिक्कतें बढ़ती ही जा रही है। लगातार मौसम में हो रहे बदलाव से किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय मौसम में गर्मी बढ़ने के साथ ही कम समय में तेज बारिश भी बढ़ेगी, जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। इसके साथ ही सूखा भी बढ़ने की संभावना है।

गर्मी बढ़ने के दिन बढ़ने से बढ़ेगी बाढ़ की समस्या

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में तेज बारिश के दिन बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात और बढ़ जाएंगे। साथ ही सूखा भी तेजी से बढ़ेगा। मीडिया रिपोर्ट में एक क्लाइमेट रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा गया है कि 21वीं सदी में भारत में गर्मी बढ़ने के साथ ही तेज बारिश के दिन बढ़ेंगे और बाढ़ की घटनाएं भी बढ़ जाएंगी।

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कुछ सालों को किसानों से हो रही ये दिक्कत

वहीं देशभर में मौसम में हो रहे बदलावों के चलते परेशानियों का सामने करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि बीते कुछ सालों से फसल में कीट लगना और सरसों का दाना छोटा होने की समस्या बढ़ गई है। इस बीच हुई बारिश और ओले की वजह से भी देशभर में किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। बता दें कि वैज्ञानिकों द्वारा भी किसानों को खेती से जुड़ी इन बीमारियों व नुकसान के बारे में आगाह किया जाता रहा है, जो अब किसानों को खेतों में दिखाई देने लगा है।

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दाने छोटे होने से पैदावार कम हो रही

किसानों का कहना है कि फसल के कुछ पौधे सूख जाते हैं और दाने छोटे होने से पैदावार कम हो रही है। देशभर में लाखों किसान लगातार हो रहे इस नुकसान से परेशान हैं। मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से किसानों को अपेक्षित पैदावार नहीं मिल पाती। अगर गर्मी में सरसों की बुआई कर दी जाती है तो फिर फसल अच्छी नहीं होती और तापमान कम होने का इंतजार करते करते बुवाई में देर हो जाती है।

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अचानक तापमान बढ़ने से होता है नुकसान

किसानों का कहना है कि फसल को कम समय मिल पाता है और अंत तक फसल पकने के दौरान अचानक तापमान में वृद्धि होने से फसल धीरे-धीरे सूखने लगती है और उत्पादन घट जाता है। सरसों की खेती के दौरान बारिश और ओले की गिरने की समस्या काफी बढ़ गया है। इससे फसल भी गिर जाती है और फूल भी झड़ने लगते हैं। जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है।

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मौसम में हो रहे बदलाव से पड़ रहा असर

वहीं वैज्ञानिक बताते हैं कि अगर बुवाई के दौरान दिन में अगर किसी भी वक्त टेम्परेचर 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है तो फिर नुकसान होना तय है। तापमान बढ़ने की वजह से सरसों की बुवाई का वक्त 30 सितंबर से आगे बढ़ गया है। अब 20 अक्टूबर के आसपास का समय सरसों की बुवाई के लिए माना जाता है। लेकिन देर से बुवाई होने के चलते अच्छी तरह से पक नहीं पाती और दाना छोटा रह जाता है।

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