हलाल और झटका मीट विवाद: प्रस्ताव को मंजूरी, दिल्ली MCD ने सुनाया ये फैसला

SDMC के मुताबिक दक्षिण दिल्ली म्युनिशपल कॉर्पोरेशन के अंतर्गत आने वाले चार ज़ोन के 104 वार्डों में हजारों होटल-रेस्टोरेंट हैं। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत में मांस परोसा जाता है। लेकिन किसी में यह बताया नहीं किया जाता है कि परोसा जा रहा मांस ‘हलाल’ या ‘झटका’ है।

Update: 2021-01-21 06:00 GMT
दिल्ली MCD का फैसला: रेस्त्रां में मीट सर्व करते समय बताना होगा 'हलाल' है या 'झटका'

नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने बुधवार यानी 20 जनवरी को एक अहम फैसले पर मुहर लगाई है। इसके अंतर्गत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर एक सड़क के साथ ही दिल्ली के सभी नॉन वेज बेचने वाले रेस्टोरेंट और होटल में 'हलाल' या 'झटका' का बोर्ड लगाना ज़रूरी होगा।

दरअसल, दक्षिण दिल्ली म्युनिशपल कॉर्पोरेशन के पास विभिन्न कमिटियों द्वारा कुछ प्रस्ताव आए थे। इनमें से झटका-हलाल संबंधी प्रस्ताव भी था। SDMC की सिविक बॉडी की स्टैंडिंग कमिटी ने यह प्रस्ताव 24 दिसंबर 2020 को पास कर दिया था। इसी प्रस्ताव पर अब मुहर लग गई है। SDMC के मुताबिक दक्षिण दिल्ली म्युनिशपल कॉर्पोरेशन के अंतर्गत आने वाले चार ज़ोन के 104 वार्डों में हजारों होटल-रेस्टोरेंट हैं। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत में मांस परोसा जाता है। लेकिन किसी में यह बताया नहीं किया जाता है कि परोसा जा रहा मांस ‘हलाल’ या ‘झटका’ है।

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बोर्ड लगा कर बताना होगा 'हलाल' या 'झटका'

SDMC द्वारा ‘झटका’ या ‘हलाल’ मीट बेचने से संबंधित प्रस्ताव को पास करने का मतलब हुआ कि जो भी होटल-रेस्टोरेंट-ढाबा या फिर मटन-चिकन बेचने वाले दुकान इस म्युनिशपल कॉर्पोरेशन के अंतर्गत आते हैं, उन्हें एक साइन बोर्ड लगा कर यह स्पष्ट बताना होगा कि उनके यहां बिकने वाला मांस झटका है या हलाल।

'झटका' और 'हलाल' का मतलब

उल्लेखनीय है कि मुसलमान किसी भी हाल में हलाल मीट ही खाते हैं जबकि सिख और हिंदू झटका मीट को वरीयता देते हैं। झटका का अर्थ है कि जानवर को एक ही वार द्वारा तुरंत मार दिया जाता है। इस मामले में जानवर के सिर को किसी विशेष दिशा में करने या किसी भी तरह की प्रार्थना का उच्चारण करने का कोई विशिष्ट नियम नहीं है। वहीं हलाल करने से पहले कलमा पढ़ने और गर्दन पर तीन बार छुरी फेरने की मान्यता है। इस्लामिक कानून के मुताबिक जानवर हलाल के समय बेहोश नहीं होना चाहिए। हलाल मीट के लिए जानवर की गर्दन को एक तेज धार वाले चाकू से रेता जाता है। सांस वाली नस कटने के कुछ ही देर बाद जानवर की जान चली जाती है।

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