पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले तेजबहादुर को सुप्रीम कोर्ट से लगा तगड़ा झटका
पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई कई महीने स्थगित की जा चुकी है और न्यायलाय इसे अब और स्थगित नहीं करेगा। बहादुर के वकील ने कहा कि 30 अप्रैल को एक नोटिस जारी किया गया और दो मई को उसका नामांकन रद्द कर दिया गया।
नई दिल्ली: बीएसएफ के पूर्व जवान तेजबहादुर को सुप्रीम कोर्ट से आज बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले तेजबहादुर की याचिका को खारिज कर दिया है। चुनाव लड़ने में असफल रहे तेजबहादुर ने दोबारा चुनाव की मांग की थी।
पहले वह इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में गये थे, जहां पर तेजबहादुर की पीएम मोदी के निर्वाचन को रद्द करने मांग की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।
बता दें कि तेज बहादुर 2017 में सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त किया गया जवान था। क्योंकि उसने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि सशस्त्र बल के जवानों को घटिया किस्म का भोजन दिया जाता है।
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क्या है ये पूरा मामला
दरअसल, बीएसएफ के पूर्व जवान रहे तेजबहादुर का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी ने पिछले साल एक मई को अस्वीकार कर दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर की याचिका खारिज कर दी थी।
बर्खास्त जवान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन उचित तरीके से खारिज किया था या अनुचित तरीके से, यह उनकी पात्रता पर निर्भर करता है। पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई कई महीने स्थगित की जा चुकी है और न्यायलाय इसे अब और स्थगित नहीं करेगा।
बहादुर के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने पहले वाराणसी संसदीय सीट के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में उसने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया। बहादुर के वकील ने कहा कि 30 अप्रैल को एक नोटिस जारी किया गया और दो मई को उसका नामांकन रद्द कर दिया गया।
निर्वाचन अधिकारी ने बहादुर का नामांकन पत्र रद्द करते समय कहा था कि उसके नामांकन पत्र के साथ निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप में यह प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार या शासन के साथ विश्वासघात करने के कारण सशस्त्र बल से बर्खास्त नहीं किया गया है।
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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति ए एस बोपन्ना ने क्या कहा था
यहां पर ये भी बता दें कि पिछली सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने तेजबहादुर की ओर से पेश अधिवक्ता से सवाल किया था, हमें आपको स्थगन की छूट क्यों देनी चाहिए। आप न्याय की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। आप बहस कीजिए।
जिसके बाद बहादुर के अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव द्वारा सुनवाई स्थगित करने या इसे बाद में लेने का अनुरोध करने पर पीठ ने कहा, 'हम ऐसा नहीं कर सकते। यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है। प्रतिवादी प्रधानमंत्री हैं। हमने इस मामले को पढ़ा है। आप अपने मामले में बहस कीजिए।
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