Bihar Reservation Policy: सुप्रीम कोर्ट ने दिया बिहार सरकार को झटका, आरक्षण बढ़ाने के आदेश पर रोक का हाईकोर्ट का फैसला बरकरार

Bihar Reservation Policy: बिहार सरकार ने पिछले दिनों जातीय जनगणना कराने के बाद आंकड़े जारी किए थे। इन आंकड़ों के आधार पर ही आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया गया था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-07-29 08:29 GMT

Supreme Court on Bihar Reservation  (photo: social media )

Bihar Reservation Policy: बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने पर पटना हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत में पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह इस मामले में सितंबर महीने के दौरान विस्तृत सुनवाई करेगा।

बिहार की नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना करने के बाद आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया था मगर इस फैसले पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी मगर सरकार को वहां से भी राहत नहीं मिली है।

पटना हाईकोर्ट ने जून में लगाई थी रोक

बिहार सरकार ने पिछले दिनों जातीय जनगणना कराने के बाद आंकड़े जारी किए थे। इन आंकड़ों के आधार पर ही आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया गया था। शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण को बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया था।

बाद में यह मामला पटना हाईकोर्ट पहुंच गया था और हाईकोर्ट ने गत 20 जून को बिहार सरकार के अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग का आरक्षण 65 फीसदी तक बढ़ाने वाले कानून को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया था जिसके बाद 50 फ़ीसदी वाली पुरानी व्यवस्था लागू हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया नीतीश सरकार को झटका

बिहार में आरक्षण के मामले को लेकर सियासी माहौल गरमाया हुआ है। विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार नीतीश सरकार को घेरने में जुटा हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में कहा था कि पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद है। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने भी नीतीश सरकार को करारा झटका दिया है।

आरक्षण सीमा को 65 फीसदी करने पर राज्य में कुल आरक्षण 75 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इसमें 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाला रिजर्वेशन भी शामिल था। इस आरक्षण के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इसके बाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इस पर रोक लगा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

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