सर्जिकल स्ट्राइक: पूरी रात नहीं सोया था पाकिस्तान, जिसे सुन आज भी कांपता है
29 सितम्बर कि रात पूरा देश सो रहा था लेकिन हमारे वीर सैनिक अपने जान की बाजी लगाकर पाकिस्तान में आतंकियों पर ताबड़ –तोड़ गोलियां बरसा रहे थे । जी हां ये वही रात है जब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ इंडियन आर्मी के बड़े –बड़े अफसरों की नींद गायब थी ।
नई दिल्ली: आज एक साल बाद भी 29 सितम्बर कि तारीख सुन कर कांप उठता है पाकिस्तान । हम क्या कोई भी उस रात को नहीं भूल सकते है । ये ऐसी रात थी जब हमारे शहीद सैनिकों कि शहादत का बदला लेने हमारे वीर सैनिक दुश्मन देश पाकिस्तान में घुस गए थे ।
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आपको बता दें 29 सितम्बर कि रात पूरा देश सो रहा था लेकिन हमारे वीर सैनिक अपने जान की बाजी लगाकर पाकिस्तान में आतंकियों पर ताबड़ –तोड़ गोलियां बरसा रहे थे । जी हां ये वही रात है जब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ इंडियन आर्मी के बड़े –बड़े अफसरों की नींद गायब थी । यह एक सर्जिकल स्ट्राइक थी जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुसकर आतंकी शिविरों पर की गयी ।
हम आपको फिर याद दिला दें कि यह सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान की उस कायरता का जवाब था । यह घटना है 18 सितंबर 2016 की जिसमें पाकिस्तान से आए आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में इंडियन आर्मी के कैंप पर हमला किया था, इस हमले में हमारी सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे । इससे देशभर में गुस्से की लहर दौड़ रही थी ।
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सबसे बड़ी बात ये थी कि पाकिस्तान इस बात को मानने को तैयार नहीं था। बस फिर क्या था । भारत ने कड़ा रुख अख्तियार किया और ऐसा कदम उठाया कि न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया देखती रह गई। भारत ने 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की और उन्हें तबाह कर दिया ।
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हमारे जवानों ने इस घटनाक्रम को इस प्रकार अंजाम दिया-
उरी कैंप पर आतंकी हमला
18 सितंबर को जैश-ए-मोहम्मद फिदाइन दस्ते ने भारतीय सेना की 12 ब्रिगेड के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टेशन पर हमला किया । हमले में 18 जवान शहीद हो गए।
इस दौरान मौके पर मारे गए आतंकियों से जब्त जीपीएस सेट्स से हमलावरों के पाकिस्तान से जुड़े होने का पता चला। उरी आतंकी हमले के बाद पकड़े गए दो स्थानीय गाइड्स ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने हमलावरों को घुसपैठ में मदद की।
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भारत ने पाक उच्चायुक्त को तलब किया
उरी आतंकी हमले के तीन दिन बाद यानी 21 सितंबर 2016 को तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित को समन कर बुलाया। साथ ही उन्हें उरी हमले में पाकिस्तान के शामिल होने के सबूत सौंपे गए। हालांकि, इस्लामाबाद ने इन सबूतों को खारिज कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में शरीफ का भाषण
22 सितंबर 2016 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भड़काऊ भाषण में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी को हीरो के तौर पर पेश किया।
तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को जवाबी कार्रवाई के तौर पर सभी सैन्य विकल्पों की जानकारी दी। जब जवाबी कार्रवाई की संभावना के तौर पर भारतीय मीडिया में रिपोर्ट आ रही थी तो पाकिस्तान को भी खतरा महसूस होने लगा।
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इस्लामाबाद ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर अपने रडार सिस्टम को सक्रिय कर दिया। साथ ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब के नभक्षेत्र पर नजर रखने के लिए एयरबॉर्न-वारनिंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट (स्वीडिश साब 2000) को तैनात कर दिया।
सर्जिकल स्ट्राइक से उरी का बदला
भारत ने पाक को सबक सिखाने की योजना बनाई और 28-29 सितंबर की रात 150 कमांडोज की मदद से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। ये पहला मौका था जब आतंकियों के खिलाफ लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार कर सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। भारतीय सेना के जवान पूरी प्लानिंग के साथ 28-29 सितंबर की आधी रात पीओके में 3 किलोमीटर अंदर घुसे और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला।
28 सितंबर की आधी रात घड़ी में 12 बज रहे थे। MI 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज को LoC के पास उतारा गया। यहां से 4 और 9 पैरा के 25 कमांडोज ने एलओसी पार की और पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया
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आतंकियों की मौत से बदला पूरा
कमांडोज ने वहां घुसकर बिना मौका गंवाए आतंकियों पर ग्रेनेड फेंक दिया । अफरा-तफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़-तोड़ फायरिंग की । देखते ही देखते 38 आतंकवादियों को मार गिराया गया ।
पाकिस्तानी सेना के 2 जवान भी मारे गए
हमले में पाकिस्तानी सेना के 2 जवान भी मारे गए। इस ऑपरेशन में हमारे 2 पैरा कमांडोज भी लैंड माइंस की चपेट में आने से घायल हुए थे । रात साढ़े 12 बजे शुरू हुआ ये ऑपरेशन सुबह साढ़े 4 बजे तक चला । दिल्ली में इस ऑपरेशन पर सेना मुख्यालय से रात भर नजर रखी गई थी ।