हिला देगा दिमाग! ट्रेन की खिड़की का ये रहस्य, नहीं जानते होंगे आप

आए-दिन लाखों लोग ट्रेन से सफ़र करते हैं। यात्रिओं को अपनी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने लगभग 13000 ट्रेनों का संचालन किया है।

Update: 2019-11-01 08:50 GMT

लखनऊ: आए-दिन लाखों लोग ट्रेन से सफ़र करते हैं। यात्रिओं को अपनी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने लगभग 13000 ट्रेनों का संचालन किया है। स्लीपर और जनरल डिब्बों में सफ़र करने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा होती है। आपने भी कभी न कभी इन श्रेणियों में सफ़र ज़रूर किया होगा। इन कोच में एक बात आम होती है, वो है इनके गेट के पास वाली खिड़की।

ये भी देखें:झारखंड में आज होगा चुनाव की तारीखों का ऐलान, जानिए क्या है सियासी समीकरण

दरवाज़े के पास वाली इस खिड़की में बहुत से बार यानी सरिया लगे होते हैं, जबकि अन्य खिड़कियों में उसकी तुलना बहुत कम सरिया लगी होती हैं और गैप भी अधिक होता है। ट्रेन से सफ़र करने वालो लोगों ने ये बात ज़रूर नोटिस की होगी।

लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है?

इसके पीछे एक बड़ा लॉजिक है। बिना लॉजिक रेलवे कुछ नहीं करता। असल में, दरवाज़े के पास वाली खिड़कियों में ज़्यादा सरिया इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि चोरी की वारदात को रोका जा सके।

ये खिड़कियां दरावज़े के पास होती हैं, जिस वजह से चलती ट्रेन से चोर अकसर इनमें हाथ डालकर यात्रियों का सामान चुरा लेते थे। इन खिड़कियों तक दरवाज़े के पायदान से भी पहुंचा जा सकता है। उन खिड़कियों से भी चोर सामान आसानी से चुरा सकता हैं। रात के समय जब सभी यात्री सो रहे होते हैं, उसके बाद कोई भी खिड़की के ज़रिए उनका सामान उठा सकता है।

ये भी देखें:दिल्ली-एनसीआर में 5 नवंबर तक हेल्थ इमरजेंसी घोषित, EPCA ने जारी किया अलर्ट

चोरी से बचने के लिए इन खिड़कियों में ज़्यादा सरिए लगाए जाते हैं। अब तो दरवाज़ों की खिड़कियों में भी अधिक बार लगाए जाने लगे हैं। ताकि रात में आउटर में गाड़ी रुकने के दौरान चोर खिड़की से हाथ डालकर दरवाज़ा न खोल पाएं। खिड़कियों में अधिक सलाखें लोगों की सेफ़्टी के लिए ही लगाए जाते हैं।

Tags:    

Similar News