सबसे बड़ी अदालत का सबसे बड़ा फैसला, आज ही सुलझा था सदियों का विवाद

देश की सियासत को पिछले साढ़े तीन दशकों के दौरान जिस मुद्दे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वह है अयोध्या। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू भी हो चुका है।

Update:2020-11-09 09:01 IST
ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू भी हो चुका है।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: देश के इतिहास में जिन बड़े फैसलों को याद किया जाता है उनमें एक फैसला अयोध्या विवाद से जुड़ा हुआ है। पिछले साल आज ही के दिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त

देश की सियासत को पिछले साढ़े तीन दशकों के दौरान जिस मुद्दे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वह है अयोध्या। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू भी हो चुका है। इस मौके पर पीएम मोदी ने राम भक्तों को बधाई देते हुए सबके राम और सबमें राम के जरिए सबको जोड़ने की कोशिश की थी।

सबसे बड़ी अदालत का सबसे बड़ा फैसला

पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस संबंध में पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है मगर मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर अपना दावा साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा है। वैसे कोर्ट ने यह भी माना कि 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था।

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शिया वक्फ बोर्ड व निर्मोही अखाड़े के दावे खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावों को खारिज करते हुए विवादित जमीन पर रामलला का हक बताया। निर्मोही अखाड़े का कहना था कि हम रामलला के सेवायत हैं और यह हमारे अधिकार में सदियों से रहा है। इसलिए हमें ही रामलला के मंदिर के पुनर्निर्माण, रखरखाव और सेवा का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया और विवादित जमीन पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड का कहना था कि मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी जो एक शिया थे। इसलिए यह मस्जिद सुन्नियों को नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड के इस दावे को भी खारिज कर दिया।

विवादित जमीन पर रामलला का हक

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर पूरी तरह से रामलला का हक मानने के साथ ही मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में जमीन देने का आदेश दिया। कोर्ट का कहना था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी अयोध्या में ही किसी उचित जगह पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी जानी चाहिए। यह ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे।

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खत्म हो गईं मंदिर निर्माण की सारी बाधाएं

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की सारी बाधाएं खत्म कर दीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम जन्मभूमि में भूमि पूजन करने के साथ ही भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी।

मानवता को प्रेरणा देगा मंदिर

जय सियाराम के साथ अपना संबोधन शुरू करने वाले पीएम मोदी ने इस मौके पर राम भक्तों को कोटि-कोटि बधाई देते हुए कहा कि भगवान राम का मंदिर युगों-युगों तक मानवता को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी की मदद की, उसी तरह करोड़ों देशवासियों की मदद के कारण ही राम मंदिर के निर्माण का यह पुण्य कार्य शुरू हो सका है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का मंदिर अनंत काल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देने वाला साबित होगा।

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सबके लिए ऊर्जा का स्रोत बनेंगी शिलाएं

मोदी ने कहा था कि जिस तरह पत्थरों पर श्रीराम का नाम लिखकर रामसेतु बनाया गया था, वैसे ही घर-घर और गांव-गांव से लाई गई शिलाएं हम सबकी ऊर्जा का स्रोत बनेगी। पीएम मोदी ने याद दिलाया कि जिस तरह 15 अगस्त हमारे देश में लाखों बलिदानों का प्रतीक है, ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई पीढ़ियों ने सदियों तक संघर्ष किया है और यह मंदिर हमें भविष्य में संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा।

संघ परिवार का बड़ा एजेंडा पूरा

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ ही संघ परिवार का एक बड़ा एजेंडा पूरा हो गया है। अब प्रदेश की योगी सरकार का मकसद अयोध्या में राम मंदिर की भव्यता और अयोध्या के चौमुखी विकास की योजनाओं पर फोकस करना है। आने वाले दिनों में केंद्र और राज्य सरकार का पूरा ध्यान राम मंदिर को भव्य रूप देने और अयोध्या से जुड़ी विभिन्न विकास योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने पर है। अयोध्या के विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से पहले ही प्रयास शुरू किए जा चुके हैं।

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अयोध्या के विकास की तमाम योजनाएं

मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के साथ ही यहां एयरपोर्ट बनाने की गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बनने से भी अयोध्या की कनेक्टिविटी काफी बढ़ेगी क्योंकि यह एक्सप्रेसवे अयोध्या होकर गुजरेगा। इसके साथ ही बनारस से अयोध्या तक फोरलेन बनाने की भी योजना है। अयोध्या विकास प्राधिकरण की सीमाओं का भी विस्तार होगा। राज्य सरकार अयोध्या को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने में जुट गई है।

सबके आकर्षण का केंद्र बनेगी अयोध्या नगरी

सरकार की ओर से अयोध्या के मंदिरों और घाटों को संवारने के साथ ही अन्य आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाया जा रहा है। संस्कृति व पर्यटन विभाग की ओर से भी अयोध्या के विकास की अनेक योजनाएं तैयार की गई हैं। आने वाले दिनों में भगवान राम की सबसे बड़ी मूर्ति भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगी। इसके साथ ही रामकथा गैलरी, डिजिटल म्यूजियम, रामलीला संकुल और ऑडिटोरियम आदि ढेर सारी योजनाएं जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है। जानकारों के मुताबिक राज्य में पर्यटन से जुड़ा अधिकांश बजट आने वाले दिनों में अयोध्या पर ही खर्च किया जाएगा।

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बड़ा संदेश देने में जुटी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश में भाजपा को दो साल बाद विधानसभा का चुनाव लड़ना है और सरकार की कोशिश है कि तब तक अयोध्या के चेहरे को काफी हद तक संवर जाना चाहिए। हालांकि जानकार सूत्रों का कहना है कि मंदिर निर्माण में तीन से साढ़े तीन साल का वक्त लगेगा, लेकिन सरकार अयोध्या व आसपास के इलाकों का तेजी से विकास करके बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटी हुई है।

देश की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा

देश की सियासत को पिछले साढ़े तीन दशकों के दौरान अयोध्या मुद्दे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इस अकेले मुद्दे ने देश की राजनीति और राजनीतिक दलों की ताकत में बड़ा अंतर पैदा कर दिया। इस मुद्दे ने देश की सियासत को किस हद तक प्रभावित किया है, इसे इसी से समझा जा सकता है कि भाजपा शून्य से शिखर पर पहुंच गई जबकि उसकी विरोधी पार्टियां कांग्रेस और कम्युनिस्ट की ताकत लगातार कमजोर होती गई।

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राम मंदिर आंदोलन ने बढ़ाई भाजपा की ताकत

1984 के लोकसभा चुनाव में दो लोकसभा सीटों पर सिमट जाने वाली भाजपा राम मंदिर आंदोलन गरमाने के बाद लगातार ताकतवर होती गई और मौजूदा समय में कांग्रेस से काफी आगे निकल गई है। 2014 में देश की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को और ताकतवर बना दिया है। यह उनका नेतृत्व कौशल ही था जिसके बल पर भाजपा 2019 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने में कामयाब रही।

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