खतरे में कई देश: United Nations की रिपोर्ट में खुलासा, जलमग्न होगी दुनिया

संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के कनाडा स्थित जल, पर्यावरण और स्वास्थ्य संस्थान ने तैयार की है। जानकारी देते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के कुल 58,700 बड़े बांधों में से ज्यादातर का निर्माण वर्ष 1930 से 1970 के बीच हुआ है। इन्हें 50 से 100 वर्ष के लिए बनाया गया था।

Update: 2021-01-26 06:35 GMT
कंक्रीट से बना बांध 50 साल के बाद संभवत: पुराना हो जाता है। वहीं दुनिया के हजारों बांध इस समय खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं।

न्यूयार्क। भारत में 2025 में करीब एक हजार से ज्यादा बड़े बांध 50 साल पुराने हो जाएंगे। ऐसे में दुनियाभर में इस तरह के पुराने ढांचे भविष्य में बड़े खतरे का कारण बन सकते हैं। इस बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया की अधिकतर आबादी 20वीं सदी में बने इन हजारों बांधों के नीचे की तरफ बसी होगी और इसके चलते पुराने बांधों से उन्हें गंभीर खतरा होगा। जोकि बहुत घातक हो सकती है।

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बड़े बांधों का निर्माण

ऐसे में एन इमर्जिग ग्लोबल रिस्क’ शीर्षक वाली ये रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के कनाडा स्थित जल, पर्यावरण और स्वास्थ्य संस्थान ने तैयार की है। जानकारी देते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के कुल 58,700 बड़े बांधों में से ज्यादातर का निर्माण वर्ष 1930 से 1970 के बीच हुआ है। इन्हें 50 से 100 वर्ष के लिए बनाया गया था।

आगे इसमें कहा गया है कि कंक्रीट से बना बांध 50 साल के बाद संभवत: पुराना हो जाता है। वहीं दुनिया के हजारों बांध इस समय खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं, उनकी दीवार टूटने का खतरा पैदा हो गया है।

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दुनिया की ज्यादातर आबादी

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा पुराने बांधों के रखरखाव का खर्च बढ़ जाता है और उनकी जल भंडारण क्षमता भी कम हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के विश्लेषण के मुताबिक, 2050 तक दुनिया की ज्यादातर आबादी इन हजारों बांधों के नीचे की ओर बसी होगी।

जबकि इस रिपोर्ट में ये बात भारत, अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, जापान, जांबिया और जिम्बाब्वे में बने बांधों का अध्ययन करने के बाद कही गई है। इसके मुताबकि कुल बांधों के 55 प्रतिशत यानी 32,716 बड़े बांध चार एशियाई देशों-चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया में हैं। इनमें से ज्यादातर जल्द ही 50 साल से ज्यादा पुराने हो जाएंगे।

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