Uttarkashi Tunnel Accident: रेस्क्यू ऑपरेशन का आज सातवां दिन, सुरंग में 40 नहीं 41 मजूदर हैं फंसे

Uttarkashi Tunnel Accident:नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के निदेशक डॉ अंशु मनीष खलको ने बताया कि सुरंग के अंदर मशीन के कंपन के कारण रेस्क्यू कार्य रोका गया है ताकि मलबा और न गिरे।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-11-18 10:41 IST

Uttarkashi Tunnel Accident   (photo: social media )

Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तरकाशी टनल हादसे का आज यानी शनिवार 18 नवंबर को सातवां दिन है। निर्माणधीन सिल्क्यारा – डंडलगांव सुरंग के अंदर अभी भी 41 मजदूर फंसे हुए हैं। अंदर मजदूर और बाहर उनके परिजन बड़ी बेसब्री से रेस्क्यू ऑपरेशन के सफलतापूर्वक पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। मलबे और चट्टानों के कारण ड्रिलिंग का काम प्रभावित हो रहा है। 22 मीटर तक ड्रिलिंग करने के बाद बोरिंग मशीन में तकनीकी खराब आ गई। जिसके कारण काम को रोक दिया गया।

नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के निदेशक डॉ अंशु मनीष खलको ने बताया कि सुरंग के अंदर मशीन के कंपन के कारण रेस्क्यू कार्य रोका गया है ताकि मलबा और न गिरे। उन्होंने बताया कि अभी तक 22 मीटर पाइप पुश किए गए हैं। टनल के अंदर फंसे मजदूरों से अधिकारी लगातार संपर्क में हैं। उन्हें उनके परिजनों से भी बातचीत कराई जा रही है।

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सुरंग में 40 नहीं 41 मजूदर हैं फंसे

निर्माणधीन सिल्क्यारा – डंडलगांव सुरंग के अंदर 40 नहीं 41 मजूदर फंसे हैं। 41वें श्रमिक की पहचान बिहार के मुजफ्फरपुर के गिजास टोला निवासी दीपक कुमार के रूप में हुई है। सात दिन बाद एक अन्य श्रमिक के अंदर फंसे होने की जानकारी सामने आने के बाद निर्माण कार्य में जुटी नवयुग कंस्ट्रक्शन की लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं। उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रूहेला ने बताया कि जब 41 श्रमिक का नाम सूची में सामने आया तब NHIDCL और निर्माण कंपनी नवयुग कंस्ट्रक्शन की बड़ी लापरवाही का पता चला।

इंदौर से मंगाई गई नई मशीन

ड्रिलिंग करने के दौरान बोरिंग मशीन में तकनीकी खराबी आ गई थी। जिसके कारण रेस्क्यू ऑपरेशन प्रभावित हुआ है। इंजीनियर्स उसे दुरूस्त करने में लगे हुए हैं। आगे ऐसी दिक्कत न हो इसलिए एक नई बोरिंग मशीन बैकअप के तौर पर मंगाई गई है। मशीन को इंदौर से मंगवाया गया है। शुक्रवार देर शाम को मशीन देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उतर गई थी। जहां से इसे तीन ट्रकों के जरिए उत्तरकाशी स्थित घटनास्थल पर लाया जा रहा है।


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मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों से मजदूरों की कराई जा रही बात

NHIDCL के निदेशक डॉ अंशु मनीष खलको ने कहा कि सुरंग में फंसे मजदूकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है। उन्हें मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों से बता कराई जा रही है। सभी मजदूर मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हैं। बाहर मौजूद उनके परिजनों को पाइप की मदद से बातचीत करवाई जा रही है। मजदूरों को खाना, पानी और ऑक्सीजन जैसी जरूरी आपूर्ति एयर-कंप्रेस्ड पाइप के जरिये पहुंचाई जा रही है।

उत्तरकाशी में चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सुरंग निर्माण के दौरान हुए हादसे में फंसे श्रमिकों को निकालने का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बचाव कार्यों का अपडेट ले रहे हैं। सभी श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकालने हेतु केंद्रीय एजेंसियों एवं प्रदेश प्रशासन की टीमें पूरी ताकत से जुटी हुई हैं।


बता दें कि रविवार 12 नवंबर को सुबह चार बजे चारधाम परियोजना के तहत ब्रह्मकमल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही एक निर्माणधीन टनल धंस गई थी, जिसके अंदर रह रहे 41 श्रमिक फंसे गए। उन्हीं को बाहर निकालने के लिए पिछले सात दिनों से 200 लोगों की टीम 24 घंटे काम कर रही है। उत्तराखंड स्टेट डिजाजस्टर मैनेजमेंट के अनुसार, टनल में सबसे अधिक झारखंड के 15 मजदूर फंसे हुए हैं। इसके बाद यूपी के 8, ओडिशा के पांच, बिहार के 5, बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल के एक मजदूर फंसे हुए हैं।

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