इम्यून सिस्टम होगा मजबूत, हरदम रहेंगे खुश, करें ये योग क्रिया

सांसों की यह सारी गतिविधि एक लय में की जाती है और एक चक्र पूरा होना चाहिए। इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि सांसो को अंदर लेने का समय बाहर छोड़ने वाले समय से दोगुना होना चाहिए। इस क्रिया को करने से आपका मन शुद्ध होता है।

Update:2021-03-16 10:39 IST
सुदर्शन क्रिया क्या है? इसे कैसे करते हैं, जानें कैसे ये है शरीर के लिए बेहद फायदेमंद

लखनऊ: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग जरूरी है। जो व्यक्ति हर दिन योग करता है वो दीर्घायु और स्वस्थ रहता है। इसी क्रम में एक योग सुदर्शन क्रिया है। इस योग का अभिप्राय सही चीज़ देखना है। इस योग को करने के कई लाभ हैं। खासकर तनाव और अवसाद ग्रस्त लोगों को सुदर्शन क्रिया जरूर करना चाहिए। इससे तनाव दूर होता है, शरीर की थकान दूर हो जाती है, मानसिक समस्याओं का निपटारा होता है। साथ ही कई बीमारियों में भी यह योग लाभकारी है।

सुदर्शन क्रिया कैसे करें

सुदर्शन क्रिया सांसों से जुड़ा एक ऐसा योगासन है जिसमें धीमी और तेज गति से सांसें अंदर-बाहर होती है। यदि आप इस क्रिया को नियमित रूप से करते हैं तो सांसों पर पूरी तरह नियंत्रण पा लेते हैं जिससे आपका इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है और आप कई तरह की मानसिक बीमारियों से दूर रहते हैं। इस क्रिया को करने से मन शांत होता है, स्ट्रेस दूर रहता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, नींद अच्छी आती है, शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बॉडी का एनर्जी लेवल बढ़ जाता है।

जानते हैं कि सुदर्शन क्रिया कैसे करें और क्या इसके फायदे हैं-

 

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धार्मिक क्रिया

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र प्रदान किया है। इस चक्र का उपयोग भगवान विष्णु ने द्वापर युग में उनके भगवान श्रीकृष्ण के अवतार में किया था। इस समय उन्होंने सुदर्शन चक्र की मदद से कई दानवों का वध किया था। यह चक्र एक बार लक्ष्य भेदन के बाद स्वतः वापस लौट आता है। इसलिए इस योग क्रिया का नाम सुदर्शन रखा गया है। यह क्रिया चार तरह से की जाती है, जो क्रमशः उज्जयी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, ओम का जाप और क्रिया योग हैं।

जीभ से अंदर की सांस को बाहर निकालें

 

इसके लिए सुखासन में बैठ जाएं। अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होठों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें बाहर निकली हुई जीभ से अंदर की सांस को बाहर निकालें। अब धीरे-धीरे गहरी सांस लें, सांस को जितना हो सके उतनी देर तक अंदर रखें। शरीर को थोड़ा ढ़ीला छोड़कर सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालें। इस आसन को लेटकर या बैठकर भी कर सकते हैं।

तेजी से रक्त की शुद्धि

भस्त्रिका का अभ्‍यास लंग्‍स की कैपिसिटी को बढ़ाने के लिए करें। यह मुख्य रूप से डीप ब्रीदिंग है। इससे आपका रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होगा। भस्त्रिका प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है। इससे तेजी से रक्त की शुद्धि होती है। साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का संचार तेज होता है।

मन भी शांत

ब्रह्मांड का ध्यान करते हुए आंखें बंद कर लें और पेट से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। ऐसा करने से आपको सकारात्मक उर्जा मिलती है साथ ही मन भी शांत होता है। सबसे आखिरी में सांसों की गति को बार बार बदलना होता है। इसके लिए आंखें बंद करके पहले धीमी गति से सांस लें इसके बाद सांसों की स्पीड थोड़ी बढ़ा दें और अंत में जाकर सांसो की गति काफी तेज कर दें।

 

गतिविधि एक लय में

सांसों की यह सारी गतिविधि एक लय में की जाती है और एक चक्र पूरा होना चाहिए। इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि सांसो को अंदर लेने का समय बाहर छोड़ने वाले समय से दोगुना होना चाहिए। इस क्रिया को करने से आपका मन शुद्ध होता है।

 

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लाभ और सांसों का सत्य

जो लोग प्रतिदिन सुदर्शन क्रिया करते हैं उनकी प्रतिरक्षात्मक शक्ति (इम्यूनिटी सिस्टम) बहुत अधिक बढ़ जाता है, सहनशक्ति बढ़ जाती है और वह व्यक्ति अपने कार्य में बेहतर प्रदर्शन करता है। वह जीवन में प्रसन्नता का अनुभव करता है आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। सभी मानसिक बीमारियां दूर रहती हैं। सुदर्शन क्रिया में कुल 4 चरण होते हैं। श्वास जीवन का प्रथम सत्य है। बिना सांस लिए कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता है। जब भी कोई बालक जन्म लेता है तो सबसे पहले श्वास लेता है। जीवन से मृत्यु तक श्वास (साँस) लेकर ही व्यक्ति जीवित रहता है।

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