CAA पर कन्फ्यूज हुए कांग्रेसी नेता, बैकफुट पर आए सिब्बल
जहां एक और कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून का पुरजोर विरोध कर रही है। वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता सीएए के पक्ष में बयानबाजी कर रहे हैं।
दिल्ली: जहां एक और कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून का पुरजोर विरोध कर रही है। वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का सीएए के पक्ष में दिया गया बयान पार्टी के भीतर ही मुद्दा बन गया। जिसके बाद सिब्बल ने बैकफुट पर आते हुए अपने बयान पर सफाई दी और कहा कि हम सीएए के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। बता दें कि सिब्बल ने कहा था कि सीएए को लागू न करना असंवैधानिक है। उनका ये बयान पार्टी के स्टैंड के खिलाफ था।
कपिल सिब्बल
दरअसल, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा था कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से कोई भी राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य ऐसा करता है तो असंवैधानिक होगा।
अपने ही बयान से पलटे सिब्बल:
वहीं अब सीएए को लेकर अपनी पार्टी के स्टैंड के खिलाफ बयान देने पर सिब्बल बैकफुट पर आ गये और सफाई देते हुए कहा, 'मेरा मानना है कि सीएए असंवैधानिक है। हर राज्य विधानसभा के पास यह संवैधानिक हक है कि वह प्रस्ताव पारित कर सकती है और इसे वापस लेने की मांग कर सकती है। यदि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कानून को संवैधानिक घोषित कर दिया जाता है तो उसका विरोध करना मुश्किल हो जाता है। लड़ाई जारी रहेगी।'
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कांग्रेस के एक अन्य नेता ने सिब्बल के बयान का किया समर्थन:
उनके इस बयान के जैसे ही पार्टी के एक और नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि जो राज्य ये कह रहे हैं कि वे अपने प्रदेश में CAA लागू नहीं करेंगे, अदालत में उनका ये तर्क टिक पाएगा या नहीं इस बारे में वे सौ फीसदी इत्मीनान नहीं है।
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मोहम्मद आरिफ :
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी सीएए पर बयान दिया था। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि नागरिकता का मुद्दा केंद्र के अधीन आता है और सीएए को लागू करने के अलावा राज्य सरकारों के पास कोई चारा नहीं है।
सलमान खुर्शीद
इतना ही नहीं कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने रविवार को राज्य सरकार की ओर से संसद द्वारा पारित कानून को मानने से इंकार करना कठिन बताया। उन्होंने कहा कि अगर सर्वोच्च न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेंगा तो ये कानून लागू हो जायेगा। जिसका पालन करना होगा, वरना इसके गंभीर परिणाम होंगे।
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दो राज्यों ने सीएए के खिलाफ विधानसभा में पेश किया प्रस्ताव:
गौरतलब है कि इससे पहले CAA के खिलाफ दो राज्य प्रस्ताव कर चुके हैं। इसमें केरल की लेफ्ट सरकार ने 31 दिसंबर को विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर इस कानून को वापस लेने की मांग की और अपने राज्य में इसे नहीं लागू करने का फैसला किया। वहीं केरल सरकार इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई है।
इसके अलावा 17 जनवरी को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भी विधानसभा में प्रस्ताव किया और इस कानून को वापस लेने की मांग की। विधानसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं करेगी।