बंगाल में आयोग की पूरी तैयारी, चप्पे-चप्पे पर होगी सुरक्षाबलों की तैनाती
राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं को देखते हुए आयोग भी काफी सतर्कता बरत रहा है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की तैयारी है। सुरक्षाबलों की व्यापक तैनाती के लिए ही बंगाल में आठ चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के चुनाव को आयोग की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं को देखते हुए आयोग भी काफी सतर्कता बरत रहा है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की तैयारी है। सुरक्षाबलों की व्यापक तैनाती के लिए ही बंगाल में आठ चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं।
हालांकि आयोग के इस कदम पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी आपत्ति जताई है। सूत्रों के मुताबिक आठ चरणों के चुनाव में अर्धसैनिक बलों की 820 कंपनियां तैनाती की जाएंगी। जानकारों के मुताबिक पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा अर्धसैनिक बलों की कंपनियां पश्चिम बंगाल में ही तैनात की जा रही हैं।
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राजनीतिक हिंसा से अतिरिक्त सतर्कता
बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान से पहले आयोग अधिकारियों ने कई बार बंगाल का दौरा किया था। इस दौरे का मुख्य मकसद राज्य में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेना था। राज्य में हाल के दिनों में राजनीतिक हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं। भाजपा का आरोप है कि पार्टी के सबसे अधिक कार्यकर्ताओं की राजनीतिक हिंसा के दौरान हत्या की गई है। पार्टी अपनी सभाओं में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाती रही है। यही कारण है कि बंगाल के चुनाव को लेकर आयोग अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।
इस बार सुरक्षा का उच्चतम स्तर
बंगाल में पहली बार चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही हर जिले में अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी गई है ताकि चुनाव प्रचार के दौरान हिंसा और अराजकता की घटनाओं को रोका जा सके। बंगाल के चुनाव में आयोग पहले भी काफी सतर्क रवैया अपनाता रहा है मगर इस बार भाजपा और टीएमसी में सीधी लड़ाई के कारण सुरक्षा का उच्चतम स्तर होगा।
पिछली बार से ज्यादा सुरक्षाबलों की तैनाती
2016 में हुए विधानसभा चुनाव की अपेक्षा 25 फीसदी अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जाएगी। राज्य में हिंसा और अराजकता की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों की ओर से मास्टर प्लान भी तैयार किया गया है। सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह का कहना है कि पहले चरण के चुनाव में 725 कंपनियों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने बताया कि अब तक करीब 495 कंपनियों को पश्चिम बंगाल भेजा जा चुका है और बाकी कंपनियां भी जल्द ही वहां पहुंच जाएंगी।
आम लोगों में विश्वास जगाने की कोशिश
उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों का मकसद आम लोगों के मन में सुरक्षा के प्रति विश्वास की भावना जगाना और असामाजिक तत्वों पर शिकंजा कसना है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि मतदाता निर्भीक होकर मतदान केंद्रों में जाकर मतदान कर सकें। इसीलिए सुरक्षा व्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल में चुनाव के मद्देनजर इस समय वीआईपी के दौरों की संख्या काफी बढ़ गई है। वीआईपी सुरक्षा में भी केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा कि बंगाल में सुरक्षाबलों के सामने तमाम चुनौतियां है और हमारे जवान इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
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सुरक्षा के लिए बढ़ाए मतदान के दो चरण
पश्चिम बंगाल में इस बार हिंसा और उपद्रव की आशंका और सियासी दलों के बीच कड़ी सियासी जंग को देखते हुए 8 चरणों में मतदान कराने का फैसला किया गया है। 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान बंगाल में 6 चरणों में मतदान कराए गए थे मगर इस बार आयोग ने मतदान के लिए दो चरण और बढ़ा दिए हैं। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि आयोग सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बलों की व्यापक रूप से तैनाती करना चाहता है।
इस बार बढ़ाई जा रही जवानों की संख्या
बंगाल में हाल के दिनों में राजनीतिक हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं जिनमें कई कार्यकर्ता मारे गए हैं। माना जा रहा है कि चुनाव के दौरान भी हिंसा की कई घटनाएं हो सकती हैं। यही कारण है कि आयोग सतर्क रवैया अपना रहा है। पिछले बार के विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षाबलों के करीब एक लाख जवानों के बंगाल में तैनाती की गई थी। इस बार जवानों की संख्या और बढ़ाई जा रही है।
29 अप्रैल को पूरा होगा आठवां चरण
पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटों के लिए मतदान की शुरुआत 27 मार्च को होगी। 1 अप्रैल को दूसरे चरण, 6 अप्रैल को तीसरे चरण, 10 अप्रैल को चौथे चरण, 17 अप्रैल को पांचवें चरण, 22 अप्रैल को छठे चरण, 26 अप्रैल को सातवें चरण और 29 अप्रैल को आठवें चरण की वोटिंग होगी। हालांकि तृणमूल कांग्रेस की ओर से 8 चरणों में मतदान कराने के आयोग के फैसले पर आपत्ति जताई गई है मगर आयोग का तर्क है कि सुरक्षाबलों की व्यापक तैनाती के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।