राम मंदिर पर एक नहीं, बल्कि BJP की चार सरकारें हो चुकी हैं बलिदान
केन्द्र और प्रदेश मे सत्ता पर काबिज भाजपा सरकारों के आज दौर में जिस अयोध्या की रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: केन्द्र और प्रदेश मे सत्ता पर काबिज भाजपा सरकारों के आज दौर में जिस अयोध्या की रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही है। उसी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा को एक नहीं ,अपनी चार राज्यों की सरकारें गंवा चुकी है। अयोध्या के रामजन्मभूमि का वैसे तो पांच सौ साल से अधिक का रक्त रंजिश इतिहास भरा पड़ा है पर राजनीतिक दृष्टिकोण से इसे देखा जाए तो भाजपा ने राम मंदिर को लेकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बखूबी निभाई है।
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आरएसस विहिप बजरंग दल प्रतिबन्ध और चार भाजपा सरकार हुई बर्खास्त
याद करें तो छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचा विध्वंस के बाद तत्कालीन केद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल पर प्रतिबन्ध लगाने का भी काम किया था। इसके अलावा राजनीतिक शोर शराबे के बीच 15 दिसम्बर 1992 को उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश हिमांचल प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। हांलाकि तत्कालीन कल्याण सरकार ने इस्तीफा देने की बात भी कही थी। इसके अलावा संघ विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा के कई नेताओं पर देशद्रोह का केस भी लगाया गया।
अटल को नेताओं की रिहाई के लिए करना पड़ा था आमरण अनशन
तत्कालीन नरसिम्हाराव के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार का कहना था कि उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश हिमांचल प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों ने अपने कार्यकर्ताओं को अयोध्या भेजकर बाबरी मंस्जिद गिरवाने का काम किया है। जबकि सच्चाई इसके विपरीत थी। सबसे अधिक कारसेवक आंध्र प्रदेश कर्नाटक महाराष्ट्र और पंजाब से आए थें। इसके बाद 20 दिसम्बर को भाजपा के सर्वमान्य नेता अटल विहारी वाजपेयी को अपने नेताओं की रिहाई के लिए आमरण अनशन तक करना पडा था। लोकसभा और राज्यसभा हंगामे के कारण तीन दिन तक नहीं चल सकी थी।
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आडवाणी ने उठाया 8 जून 1989 को राष्टीय कार्यकारिणी में राममंदिर का मुद्दा
यहां यह बताना जरूरी है कि हिन्दुओं को राममंदिर जन्मभूमि दिलाने के पीछे वास्तव में भाजपा की विषेष भूमिका रही है। अयोध्या आंदोलन को व्यापक रूप देने का काम भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ही किया। उनके ही कहने पर 8 जून 1989 को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विवादित स्थल हिन्दुओं को देने की बात कही गयी थी। वरना विश्व हिन्दू परिषद का 1984 में शुरू हुआ मंदिर आंदोलन जिस मंद गति से चल रहा था उसको तेज गति कभी न मिल पाती। देश की पश्चिमी सीमांत पर अरब सागर तट पर स्थित भगवान सोमनाथ मंदिर से जब 25 सितम्बर 1990 को आडवाणी की रामरथ यात्रा शुरू हुई और इसके बाद जब 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने राज्य समस्तीपुर में इस यात्रा को रोका तो देश में रामभक्ति आंदोलन का उफान आ चुका था।
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