कई सरकारें घिरी हैं महिला उत्पीड़न के आरोपों से, जानें कब क्या हुआ...

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट द्वारा भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को उन्नावं रेप कांड मेें दी गई उम्रकैद की सजा ने जहां कुलदीप सेंगर के राजनीतिक जीवन को समाप्त कर दिया है।

Update: 2019-12-20 15:01 GMT

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट द्वारा भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को उन्नावं रेप कांड मेें दी गई उम्रकैद की सजा ने जहां कुलदीप सेंगर के राजनीतिक जीवन को समाप्त कर दिया है।

वहीं इस बहुचर्चित कांड ने राजनीति में शुचिता और सद्विचारों की पक्षधर भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार को भी शर्मसार कर दिया है। महिला उत्पीड़न के मामलों में यूपी में आयी तेजी और इसमे भी कुलदीप सेंगर व चिन्मयानन्द जैसे भाजपा नेताओं के नाम सामने आने के बाद से विपक्ष भी सड़क से लेकर सदन तक सरकार पर हमलावर हो गया।

हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह की घटनाएं हो रही है इससे पहले इसी प्रदेश में इस तरह की घटनाओं ने एक सरकार की बलि तक ले ली थी।

बर्खास्त हुई थी बनारसीदास सरकार

बात अस्सी के दशक से पहले की है। 1979-80 में प्रदेश में बनारसी दास के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल में लखनऊ के आलमबाग पोस्ट आफिस से एमए की छात्रा शुभ्रा लाहिड़ी का अपहरण हो गया और कुछ दिनो बाद ही उसकी अर्धनग्न लाश राजधानी के माल एवेन्यू इलाके में मिली थी।

शुभ्रा हत्याकांड का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि देवरिया में नारायणपुर के हाटा थाना क्षेत्र में हुई बलात्कार की घटना ने विपक्षी दलों को विरोध का एक बड़ा मौका दे दिया।

विपक्षी दलों ने नारायणपुर कांड पर सरकार को इस कदर घेरा कि इंदिरा गांधी को स्वयं वहां का दौरा करना पड़ा और नारायणपुर की घटना सरकार की बर्खास्तगी का कारण बनी थी।

वीपी सिंह सरकार में बागपत का माया त्यागी कांड

विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में बागपत में माया त्यागी कांड को लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा रहा। 16 जून 1980 की इस घटना में पुलिसकर्मियों ने माया त्यागी के साथ जो अमानुषिक कृत्य किया वो तो किया ही उसके भाइयों को भी डकैता बताकर उनके खिलाफ उत्पीडन की कार्रवाई की।

इस घटना में माया त्यागी को निर्वस्त्र करके उसके साथ सादी वर्दी में पुलिसकर्मियो द्वारा गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि इसकी जांच के लिए पीएन राय आयोग का गठन किया गया। जिसमें घटना को सही पाते हुए पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया। मामला अदालत पहुंचा और आरोपियों को सजा हुई।

इस मामले में आरोपी एक सब इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गयी। सजा पाने वालों में पुुलिसकर्मी शामिल थे। इस तरह श्रीपति मिश्र के मुख्यमंत्रित्वकाल में बस्ती के सिसवां बाजार में गैंगरेप की घटना में पुलिसकर्मियों की ही संलिप्तता पाई गयी। पूरा थाना निलंबित हुआ।

कांग्रेेस के ही शासनकाल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऊषा धीमान नाम की महिला से बलात्कार की घटना को लेकर काफी बवाल मचा। इस घटना में पहले उसके बलात्कार की घटना को अंजाम दिया फिर उसे घुमाया गया।

मुलायम कार्यकाल में फतेहपुर में हुई बड़ी घटना

1990 में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह हुआ करते थे। तब उनके निर्वाचन क्षेत्र फतेहपुर में सातों गांव में कुच्ची देवी नाम की दलित महिला से गांव के दबंगों ने बलात्काार का प्रयास किया। जान बचाने के लिए वह तालाब में कूद गयी। जिसके बाद उसकी मौत हो गयी। प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण यह मामला खासा सुर्खियों में रहा।

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मायावती सरकार में हुई थी निघासन में बड़ी घटना

महिला उत्पीडन की घटना को लेकर हर सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल में 10 जून 2011 को लखीमपुर के निघासन में एक लड़की की बलात्कार कर हत्या किए जाने के बाद उसकी लाश पेड़ से लटका दी गयी थी।

इस घटना को लेकर सदन से सड़क तक मायावती सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। इस मामलें सीबीआई जांच भी हुई थी। इस मामलें में हालांकि मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने को लेकर काफी तत्परता दिखाई थी।

मायावती सरकार में ही शीलू निषाद रेप मामले में बांदा के नरेनी से विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी को न केवल अपनी विधायकी गवांनी पड़ी बल्कि उनका राजनीतिक कैरियर भी खत्म हो गया।

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सुर्खियों में रही अखिलेश राज में हुई हत्याएं

तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में सर्वाधिक चर्चित रहा मोहनलालगंज का कांड। जहां के बलखेड़ा स्थित प्राथमिक विद्यालय में एक नग्न महिला का शव 16 जुलाई 2014 को पाया गया।

इस घटना को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई। इस मामलें में आरोपी को सजा हो चुकी है। जबकि अखिलेश सरकार में ही 2 फरवरी 2015 को गौरी श्रीवास्तव की हत्या कर दी गयी थी, उसकी लाश कई टुकड़ों में अलग-अलग स्थानों से बरामद की गई थी।

अखिलेश सरकार के ही कार्यकाल में 10 अगस्त 2015 को सीतापुर की महमूदाबाद कोतवाली के शौचालय में एक युवती की अर्धनग्न लाश बरामद हुई थी।

 

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