राजस्थान सियासी संकट की गुत्थी और उलझी, राज्यपाल ने बढ़ाईं गहलोत की मुसीबतें
राजस्थान के सियासी संकट को खत्म करने की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोशिशें कामयाब होती नहीं दिख रही हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा विधानसभा का सत्र...
अंशुमान तिवारी
जयपुर: राजस्थान के सियासी संकट को खत्म करने की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोशिशें कामयाब होती नहीं दिख रही हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव तीसरी बार ठुकरा दिए जाने से राजस्थान के सियासी संकट की गुत्थी और उलझ गई है। राज्यपाल की दलील है कि उन्होंने सरकार से जो सवाल पूछे थे, उनका जवाब तो नहीं दिया गया उल्टे राज्यपाल के अधिकारों की सीमाएं जरूर बता दी गईं। राज्यपाल के इस कदम के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और बढ़ गया है।
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राज्यपाल ने दोहराईं पुरानी शर्तें
राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से बुलाने की अर्जी को ठुकराते हुए फिर वही तीन शर्तें दोहराई हैं जो उन्होंने दूसरी बार अर्जी लौटाने के वक्त रखी थीं। राज्यपाल का कहना है कि 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देने के बाद ही विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। किसी भी परिस्थिति में यदि विश्वासमत हासिल करने की कार्यवाही की जाती है तो वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही होनी चाहिए। उन्होंने इसके लाइव प्रसारण की शर्त भी रखी है। उन्होंने सरकार से यह भी साफ करने को कहा है कि कोरोना संकटकाल में विधानसभा के सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का कैसे पालन किया जाएगा।
मंत्रियों ने बताई थीं राज्यपाल को सीमाएं
गहलोत कैबिनेट की पिछली बैठक के बाद कांग्रेस की ओर से राज्यपाल पर तीखे हमले किए गए थे। गहलोत के सहयोगी मंत्रियों का कहना था कि राज्यपाल मंत्रिमंडल की सिफारिशें मानने को बाध्य हैं और उन्हें 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र जरूर बुलाना होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्यपाल को स्पीकर के काम में दखल नहीं देना चाहिए। विधानसभा में सदस्यों के बैठने की व्यवस्था करना और कार्यवाही के प्रसारण पर फैसला लेना स्पीकर का काम है और इसलिए राज्यपाल को इस बाबत सुझाव नहीं देनी चाहिए। हालांकि अब राज्यपाल की ओर से गलत कैबिनेट का तीसरा प्रस्ताव भी ठुकरा दिया गया है। जानकारों का कहना है कि गहलोत कैबिनेट की ओर से फिर एक बार राज्यपाल के सवालों का जवाब तैयार कर चौथी बार प्रस्ताव भेजा जाएगा।
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सीएम ने कसा राज्यपाल पर तंज
राजभवन की ओर से कैबिनेट का प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल से मुलाकात भी की। दोनों के बीच करीब 15 मिनट तक बातचीत हुई। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी राज्यपाल से मुलाकात की है। दोनों के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा नहीं मिल सका है। राज्यपाल से मुलाकात के पूर्व मुख्यमंत्री ने इशारों में राज्यपाल पर तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का प्रेम पत्र तो पहले ही मिल चुका है मगर उनसे मिलकर पूछूंगा कि आखिर वे चाहते क्या हैं।
गहलोत ने फिर किया जीत का दावा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपनी विजय का दावा किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा का सत्र चाहे 21 दिन में हो या 31 दिन में, हमारी जीत तय है। उन्होंने कहा कि 70 साल में पहली बार किसी राज्यपाल ने इस तरह के सवाल पूछे हैं जैसा राजस्थान के गवर्नर पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे समझा जा सकता है कि देश की किधर जा रहा है।
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पार्टी में लौट सकते हैं धोखा देने वाले
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्होंने पार्टी को धोखा दिया है वे चाहें तो पार्टी में लौट कर आ जाएं और सोनिया गांधी से माफी मांग ले। स्पष्ट रूप से उनका इशारा पायलट खेमे की ओर था। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार को गिराने की कोशिश में तमाम ताकतें लगी हुई हैं मगर किसी की साजिश कामयाब नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे इसी कारण प्रधानमंत्री बन पाए क्योंकि कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र में विश्वास किया है और उसकी जड़ें मजबूत की हैं।
कांग्रेस का राज्यपाल पर तीखा हमला
इस बीच कांग्रेस की ओर से राज्यपाल कलराज मिश्र पर तीखा हमला किया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल ने कहा इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब कोई राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह के बावजूद विधानसभा का सत्र न बुलाने पर अड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है और यह देश के लोकतंत्र के इतिहास के लिए अच्छा नहीं होगा।
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