..तो क्या 2022 में टूटेगा शिअद-भाजपा गठबंधन
इन दिनों शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की ओर से जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे लगता है इन दिनों दलों में सबकुछ ठीक नहीं है।
दुर्गेश पार्थसारथी
अमृतसर: इन दिनों शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की ओर से जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे लगता है इन दिनों दलों में सबकुछ ठीक नहीं है। पंजाब में विधान सभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा को दोनो ही चुनाओं में शिअद-भाजपा साथ चुनाव लड़ते आ रहे हैं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि 2022 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाओं के दौरान यह गठबंधन टूट सकता है।
भाजपा कार्यकर्ता पंजाब में शिअद से अलग हो चुनाव लड़ने की मांग करते आ रहे हैं। यह मांग पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. कमल शर्मा, विजय सांपला और श्वेत मलिक के समय में भी होती रही है। लेकिन अब, अश्वनी शर्मा के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनते ही यह मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।
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इसी साल फरवरी में कमल शर्मा के प्रदर्श अध्यक्ष बनने के बाद अपने गृह नगर पठानकोट पहुंचने पर जिस तरह से उनके स्वागत समारोह में पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल ने खुले मंच से जिस समय कह दिया भाजपा कब तक शिअद की पिछलग्गू बनी रहेगी। इस दौरान मंच पर प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के तमाम पदाधिकारी भी मौजूद थे। उस दौरान कमल शर्मा ने कहा कि कोई भी फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लेता है। पार्टी को क्या करना है क्या नहीं यह पार्टी हाइकमान तय करेगा। शिअद से अलग हो कर चुनाव लड़ने की बात को भी उन्होंने खारिज कर दिया।
बिना नाम लिए बादल ने केंद्र को घेरा
अमृतसर के राजासांसी में एक सभा को संबोधित करते हुए पांच बार मुख्यमंत्री रहे और शिअद के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने बिना नाम लिए जिस तरह से केंद्र सरकार को निशाने पर लिया वह राजनीतिक गलियारों चर्चा का विषय बना हुआ है। बादल ने अपने संबोधन में कहा था कि देश की मजबूती और विकास के लिए धर्मनिरपेक्ष सरकारे समय की जरूरत हैं। क्योंकि कोई भी राष्ट्र सिर्फ धर्मनिरपेक्ष सरकारों से ही सुरक्षित है। इन सिद्धांतों की जरा सी अनदेखी भी देश को कमजोर कर सकती है।
राजनीति के पुरोधा समझे जाने वाले प्रकाश बादल ने यह बयान यूं ही नहीं दिया। बता दें कि सीएए का पंजाब में मुस्लिम संगठनों, बामपंथी दलों और कुछ गर्मख्याली सिख जत्थेबंदियों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। इस विरोध का कांग्रेस भी समर्थन कर चुकी है। सीएएस के विरोध में पिछले कुछ दिनों में मुस्लिम संगठन विभिन्न जत्थेबंदियों के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। बता दें कि लोक सभा और राज्य सभा में केंद्र सरकार के सहयोगी दल के रूप में शिअद ने सीएए का समर्थन किया था। ऐसे में प्रकाश सिंह बादल यह नहीं चाहते कि पंजाब में टकसालियां और मुस्लिमों का वोट शिअद से दूर हो। क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य मालेरकोटला में शिअद प्रत्याशी दूसरे स्थान पर था।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि प्रकाश सिंह बादल ने अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने मुद्दा भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत उठाया है। क्योंकि दिल्ली और हरियाणा विधानसभा चुनाव में शिअद-भाजपा गठबंधन टूटा। अहम बात यह है कि दिल्ली में सफलता से उत्साहित आदमी पार्टी का अगला लक्ष्य पंजाब को फतह करना है।
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शिअद ने बनाई केंद्र को घेरने की रणनीति
यही नहीं बजट सत्र शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार में सहयोगी पार्टी शिअद ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। शिअद के महासचिव और राज्य सभा सदस्य बलविंदर सिंह बूंदड़ ने चंडीगढ़ में कहा कि सभी पार्टियों को दो मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के दौरान धरना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि असंगठित होने के कारण किसान अपने को लुटवा रहे हैं। जबकि, अब अडानी और अंबानी जैसे लोगों ने सरकारें खरीद ली है। किसान भवन चंडीगढ़ में जिस समय भंदड़ ने यह बयान दिया उस समय उनके साथ भाजपा किसान प्रकोष्ठ के हरजीत सिंह भी मौजूद थे।
भाजपा का शिअद को जवाब!
बिना किसी का नाम लिए शिअद-भाजपा में चल रहे राजनीतिक दांवपेच के बीच पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदनमोहन मित्तल ने भी शिअद को करार जवाब दिया है।
बता दें कि पंजाब की कुल ११७ विधानसभा सीटों में से भाजपा मात्र २३ सीटों पर ही चुनाव लड़ती है। लेकिन अब मित्तल ने अब 59 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक दिया है। अभी तक भाजपा ४९ सीटों पर ही चुनाव लड़ने की बात करती रही है। लेकिन, ५०-५० के इस दावे को राजनीतिक मामलों के जानकार इसे भाजपा की शिअद पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत देख रहे हैं। यही नहीं मित्तल के दावे को प्रकाश सिंह बादल के उस बयान का जिसमें उन्होंने भाजपा को सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की नसीहत दी थी।
पूर्व केंद्री मंत्री ने कहा कि हम गठबंधन तोड़ना नहीं चाहते। हम तो केवल अपना हक मांग रहें हैं। इसलिए तो ऐसा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है जो 59 सीटों पर चुनाव लड़ सके। मित्तल ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि भाजपा पंजाब में केवल शहरी सीटों पर चुनाव लड़ती है, लेकिन ऐसा नहीं है। भाजपा ग्रामीण सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी।
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प्रदेश के 13 भाजपा अध्यक्ष है अश्वनी शर्मा
अश्वनी शर्मा पंजाब के सीमावर्ती जिला पठानकोट के रहने वाले हैं। पंजाब भाजपा के १३वें प्रदेश अध्यक्ष हैं। इनकी गिनती भाजपा के सफल प्रदेश अध्यक्षों में की जाती है। धड़ेबंदी में उलझी भाजपा अश्वनी शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनेत ही शिअद-भाजपा गठबंधन में प्रदेश विधानसभा की 59 सिटों पर दावेदारी की बात प्रदेश अध्यक्ष के सामने रख दी। भाजपा नेताओं ने इसे पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा बताई।
यही नहीं इससे पूर्व प्रधान श्वेत मलिक, राजिंदर भंडारी, केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रधान विजय सांपला, पूर्व विधायक व डिप्टी सीएम मनरोजंन कालिया, पूर्व प्रधान व राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना, पूर्व विधायक केडी भंडारी, पूर्व महासचिव राकेश राठौर, पूर्व परिवहन मंत्री मास्टर मोहन लाल और पूर्व विधासभा उपाध्यक्ष दिनेश सिंह बब्बू ने अपनी इच्छा प्रदेश अध्यक्ष के सामने खुल कर रखी।
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