फटकार और सत्‍कार के फार्मूले से सोनिया ने कांग्रेस में राहुल को किया मजबूत

न्‍यूज ट्रैक ने पिछले दिनों कांग्रेस की राजनीति में जिस बदलाव की ओर इशारा किया था सोनिया गांधी ने पार्टी संगठन के नवनिर्माण के साथ उसकी तस्‍दीक कर दी है।

Update: 2020-09-12 05:29 GMT
फटकार और सत्‍कार के फार्मूले से सोनिया ने कांग्रेस में राहुल को किया मजबूत (file photo)

लखनऊ: न्‍यूज ट्रैक ने पिछले दिनों कांग्रेस की राजनीति में जिस बदलाव की ओर इशारा किया था सोनिया गांधी ने पार्टी संगठन के नवनिर्माण के साथ उसकी तस्‍दीक कर दी है। बागी तेवर दिखा रहे नेताओं को पहले फटकार और अब सत्‍कार के फार्मूले पर चलकर उन्‍होंने साफ जता दिया कि कांग्रेस का भविष्‍य राहुल गांधी हैं। भावी कांग्रेस के नेताओं को उनके कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।

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अगस्‍त महीने में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक

अगस्‍त महीने में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद से कांग्रेस के सांगठनिक ढांचे का पुनर्निर्माण जारी है। समिति की बैठक से पहले लेटर बम फोडने वाले नेताओं की नाक में नकेल डालने का काम तो कांग्रेस नेतृत्‍व ने ऐन मौके पर कार्यसमिति बैठक में सभी प्रदेश अध्‍यक्ष व विधानमंडल दल नेताओं को शामिल करने के साथ ही कर लिया था। इससे कार्यसमिति में गांधी परिवार समर्थक नेताओं की तादाद बागी तेवर दिखाने वालों के दोगुने से भी ज्‍यादा हो गई थी। इस बैठक ने ही सोनिया गांधी को संगठन में बदलाव की मनचाही ताकत भी दे दी।

साथ ही ड्राइंग रूम राजनीति के बजाय संघर्ष के लिए तैयार होना होगा

इसके बाद हाईकमान ने अपने तेवर दिखाए और कई महत्‍वपूर्ण समितियों में उन लोगों को मौका मिला जो गांधी परिवार की सत्‍ता के साथ हैं। जो यह मानते हैं कि कांग्रेस का भविष्‍य गांधी-नेहरू परिवार के साथ ही सुरक्षित है। न्‍यूज ट्रैक ने अपनी लगातार खबरों में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति की परद दर परत खोली है। क्‍या कामयाब हो पाएंगे राहुल गांधी, कांग्रेस बनेगी युवाओं की पार्टी, कांग्रेस का नागपुर है गांधी-नेहरू परिवार और कांग्रेस में नया पद- बागी नेता बने चिट्ठी लेखक, संगठन से हुए बाहर । इन खबरों में साफ किया गया है कि कांग्रेस में अब उन्‍हीं नेताओं को मौका मिलेगा जो राहुल की टीम का हिस्‍सा बनने को तैयार होंगे। साथ ही ड्राइंग रूम राजनीति के बजाय संघर्ष के लिए तैयार होना होगा।

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कांग्रेस ने पिछले हफते में उत्‍तर प्रदेश की कई कमेटियों का ऐलान किया तो राज बब्‍बर व जितिन प्रसाद जैसे नेताओं को बिल्‍कुल तवज्‍जो नहीं दी गई। इसके विपरीत जिन नेताओं ने गुलाम नबी आजाद को लेकर तीखे हमले किए उन्‍हें अहम पदों पर तैनाती मिली। अब कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद की भी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव पद से छुट्टी कर दी है दूसरी ओर राहुल के करीबी माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला को टीम में महासचिव पद ही तैनात कर साफ संकेत कर दिया है कि भविष्‍य राहुल समर्थकों का ही है।

congress-party-flag (file photo)

पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद भी कभी टीम राहुल के सदस्‍य हुआ करते थे

उत्‍तर प्रदेश के नेता व पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद भी कभी टीम राहुल के सदस्‍य हुआ करते थे उन्‍हें यूपीए सरकार में इसी दम पर मंत्री बनने का मौका मिला था। हाईकमान पर सवाल उठाने वाली चिट्ठी पर हस्‍ताक्षर करने वालों में वह भी शामिल हैं लेकिन जिस दिन कार्यसमिति की बैठक में हंगामा हआ उसी शाम जितिन प्रसाद ने भी कार्यसमिति के फैसलों को स्‍वीकार करते हुए अपनी ओर से प्रेसनोट जारी कर संकेत दे दिया था कि वह गलती से विरोधी खेमे में पहुंच गए थे।

यही वजह है कि कांग्रेस हाईकमान ने लगभग तीन सप्‍ताह के इंतजार के बाद आखिरकार उन्‍हें पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार द़वीप समूह जैसे क्षेत्रों में संगठन का प्रभारी बनाया है। इस तरह उनकी कांग्रेस में हैसियत बढ़ाई गई है साथ ही उन्‍हें पश्चिम बंगाल जैसे राज्‍य की पथरीली जमीन पर कांग्रेस को मजबूत करने की चुनौती दी गई है।

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उत्‍तर प्रदेश के नेताओं पर लगाया दांव

कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी में राहुल गांधी को चुनौती देने वालों को संदेश देने के साथ ही उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय पुराने नेताओं को भी कुछ कर दिखाने का मौका दिया है। पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह जो पहले ही झारखंड और उड़ीसा जैसे राजयों के प्रभारी रह चुके हैं। उन्‍हें दोबारा झारखंड में मौका दिया गया है।

उनके बारे में भी चर्चा रही है कि नरेंद्र मोदी के विरोध में न बोलने की सलाह देकर वह राहुल की नाराजगी झेल रहे थे। इसी तरह पीएल पूनिया को छत्तीसगढ़ में बरकरार रखा गया है जबकि चिट्ठी लेखक समूह के राजीव शुक्‍ला, विवेक बंसल को पहली बार राज्‍य प्रभारी का दर्जा दिया गया है। राजीव शुक्‍ल को हिमाचल प्रदेश जबकि विवेक बंसल को हरियाणा का प्रभारी बनाया गया है। सलमान खुर्शीद को सीडब्‍ल्‍यूसी में बरकरार रखा गया है जबकि प्रमोद तिवारी और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को पहली बार समिति में सदस्‍य बनाया गया है।

अखिलेश तिवारी

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