राजनीतिक हत्याओं का इतिहास है यूपी, सबसे ज्यादा हमले इसी सरकार में

उत्तर प्रदेश की रक्तरंजिश राजनीति का एक लम्बा इतिहास रहा है। इस प्रदेश में हर दल की सरकार में मंत्रियों और विधायकों पर जानलेवा हमले होते रहें है। जिनमें कईयों को अपनी जान से भी हाथ धोना पडा है।

Update:2023-03-18 19:25 IST
राजनीतिक हत्याओं का इतिहास है यूपी, सबसे ज्यादा हमले इसी सरकार में

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की रक्तरंजिश राजनीति का एक लम्बा इतिहास रहा है। इस प्रदेश में हर दल की सरकार में मंत्रियों और विधायकों पर जानलेवा हमले होते रहें है। जिनमें कईयों को अपनी जान से भी हाथ धोना पडा है। यह बात अलग है कि अन्य दलों की तुलना में सबसे ज्यादा हत्यायें समाजवादी पार्टी की सरकारों में हुई है। पर कोई भी दल ऐसा नहीं रहा जिस पार्टी की सरकार में राजनीतिक हत्याएं न हुई हों। परन्तु इधर कुछ वर्षों से इस तरह की राजनीतिक हत्याओं में कमी बदलती राजनीति के लिए अच्छे संकेत हैं।

ये भी देखें : JIO लाया ये बंपर ऑफर! अनलिमिटेड फ्री कालिंग के साथ ये खास ऑफर

वर्ष 1991 में कल्याण सिंह सरकार के कार्यकाल में चार जनप्रतिनिधियों की हत्याएं हुई। वर्ष १९९१ में पूर्व राज्यमंत्री शारदा प्रसाद रावत और भोपाल सिंह और १९९२ में विधायक महेन्द्र सिंह भाटी और १९९९ में एमएलसी भगवान बक्श सिंह की हत्या कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुई।

भाजपा के मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त के कार्यकाल में वर्ष २००० में विधायक निर्भयपाल शर्मा की और राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में २००१ में कानपुर में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री श्रमबोर्ड के अध्यक्ष संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी गई थी।

भाजपा कांग्रेस बसपा और समाजवादी पार्टी की सरकारों के कार्यकाल की तुलना की जाये तो सपा सरकार में सबसे ज्यादा हमले हुए। इलाहाबाद मे २००५ में बसपा विधायक राजूपाल, और इसी साल भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय, वर्ष २००४ में विधान परिषद सदस्य अजीत सिंह की हत्या हुई।जबकि पूर्व सांसद लक्ष्मीशंकर मणि त्रिपाठी, पूर्व विधायक हरदेव रावत, मलखान सिंह यादव, रामदेव मिश्र की हत्याएं भी सपा के शासनकाल में हुई।

ये भी देखें : कश्मीर में चूहों का अटैक: उमर-महबूबा के नेताओं को सोते समय काटा

जब मायावती दूसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी तो वर्ष १९९७ में पूर्व विधायक बीरेन्द्र प्रताप सिंह की राजधानी लखनऊ में तथा २००५ में पूर्व मंत्री लक्ष्मीशंकर यादव की हत्या हुई। राष्ट्रपति शासन के दौरान वर्ष १९९६ में ओमप्रकाश पासवान, और उसी साल जवाहर सिंह यादव, वर्ष १९९७ में पूर्व मंत्री ब्रम्हदत्त द्विवेदी तथा वर्ष २००२ में विधायक मंजूर अहमद की हत्या हुई।

बेहतर कानून व्यवस्था को लेकर अपनी सरकार का दावा करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नन्दगोपाल गुप्त उर्फ नन्दी के इलाहाबाद स्थित आवास पर दिन दहाडे जानलेवा हमला हुआ था। बसपा सरकार के दौरान ही 2010 में सपा के विधायकों बीजू पटनायक और कपिल देव यादव की हत्याएं हुई।

यह भी देखें... पाकिस्तानी सिनेमा बंद: बहुत हुआ पाक, राजा टॉकीज पर भारत का वार

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अथवा समाजवादी पार्टी की सरकार हो या फिर भाजपा अथवा बसपा की सरकारे रही हो। हर दल की सरकारों में जनप्रतिनिधियों की हत्याएं तक हुई है। यहां तक कि राष्टृपति शासन के दौरान भी हत्याएं हो चुकी हैं।

Tags:    

Similar News