Pm Modi Birthday: मोदी वोट बैंक ने बदल दिया राजनीति का डॉयनॉमिक्‍स

विचार और विशेष उद्देश्‍य वाली इस राजनीति के ढांचे को 2013 में भाजपा की केंद्रीय राजनीति में पदार्पण करने वाले नरेंद्र मोदी ने तोड़ दिया। उन्‍होंने विचारधारा से भी एक कदम आगे बढ़कर देश के नागरिकों में यह विश्‍वास जगाया कि सत्‍ता पुरुष का दायित्‍व राजनीतिक खांचों में बांटकर लोगों की सेवा करना नहीं है।

Update:2020-09-17 11:36 IST
देश की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम यूं तो पिछले दो दशक से अपना असर दिखा रहा है। राजनीति में उनकी चर्चा हर चुनाव के दौरान बनी रही है।

लखनऊ: आजादी के बाद जैसे–जैसे देश में लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ती रही उसी क्रम से राजनीति में वोट बैंक की अवधारणा भी मजबूत होती गई है। राजनीतिक विचारधारा की अलग राहों पर चलकर जनता की सेवा करने के लिए तत्‍पर राजनीतिक दलों ने अपनी सारी ऊर्जा पार्टी लाइन को समर्पित वोट बैंक बनाने में खपा दी। नेहरू के नव निर्माण नारे से लेकर इंदिरा के गरीबी हटाओ और विश्‍वनाथ प्रताप‍ सिंह के मंडलवाद तक सभी का मकसद अपना समर्थक वोट बैंक मजबूत करना ही रहा और कमोबेश राजनीतिक दलों को इसका लाभ भी मिलता रहा।

मोदी ने किया सबका विकास और सबका विश्‍वास प्राप्‍त

विचार और विशेष उद्देश्‍य वाली इस राजनीति के ढांचे को 2013 में भाजपा की केंद्रीय राजनीति में पदार्पण करने वाले नरेंद्र मोदी ने तोड़ दिया। उन्‍होंने विचारधारा से भी एक कदम आगे बढ़कर देश के नागरिकों में यह विश्‍वास जगाया कि सत्‍ता पुरुष का दायित्‍व राजनीतिक खांचों में बांटकर लोगों की सेवा करना नहीं है। वह सबका विकास और सबका विश्‍वास प्राप्‍त करने के लिए जनता की ओर से चुना जाता है।

उनके इस संदेश ने केंद्रीय राजनीति में पराभव काल से गुजर रही भारतीय जनता पार्टी के साथ नया जनाधार जोड़ने का काम किया जो भाजपा की राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित हुए बगैर मतदान की लाइन में कमल निशान के साथ खड़ा है बल्कि अपने ऊपर मोदी समर्थक या मोदी भक्‍त का ठप्‍पा लगवाने के लिए भी तैयार है। इसी मोदी वोट बैंक ने भाजपा के साथ ही केंद्र और देश की राजनीति का डॉयनॉमिक्‍स भी बदलकर रख दिया है।

नरेंद्र मोदी के नाम की हर चुनाव में चर्चा

देश की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम यूं तो पिछले दो दशक से अपना असर दिखा रहा है। राजनीति में उनकी चर्चा हर चुनाव के दौरान बनी रही है। राज्‍यों के चुनाव में उनके स्‍टार प्रचारक की भूमिका को लेकर भी सवाल उठते रहे और सुप्रीम कोर्ट व सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां भी उन्‍हें परखती रही हैं। गैरभाजपा राजनीति को नरेंद्र मोदी के नाम का उल्‍लेख करने भर से अपना वोट बैंक मजबूत होता प्रतीत होता था ऐसे में सात साल पहले जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने केंद्र की राजनीति में अपना चुनावी चेहरा घोषित किया तो कांग्रेस समेत सभी गैर भाजपा राजनीतिक दलों को लगा कि उन्‍होंने बाजी जीत ली है।

इन दलों को उम्‍मीद थी कि गुजरात दंगों की काली छाया से मोदी उबर नहीं पाएंगे, लेकिन मोदी ने गुजरात में जाति-धर्म भेद से बाहर निकलकर सबके विकास का जो मॉडल तैयार किया था उसके दम पर देश के लोगों को विश्‍वास दिलाने में कामयाब रहे कि केंद्र में उनकी सरकार बनने पर सभी के अचछे दिन आ जाएंगे।

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केंद्र की यूपीए सरकार जनकल्‍याणकारी और विकासोन्‍मुखी योजनाओं के अभाव में विकास की गति को धीमी कर रही है। उनकी इस बात पर लोगों ने भरोसा किया और जिस भाजपा को 2009 के लोकसभा चुनाव में 116 सीट पर उसे 166 ज्‍यादा सीटें देकर 282 पर पहुंचा दिया। भाजपा के वोट बैंक में भी 12 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ।

12 प्रति‍शत वोट बैंक से निजी आधार खड़ा कर नरेंद्र मोदी बने प्रधानमंत्री

केंद्रीय राजनीति में पहली बार ही 12 प्रति‍शत वोट बैंक का निजी आधार खड़ा करने में कामयाब रहे नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इसे लगातार ऊंचा ही किया है। 2014 में भाजपा को लगभग 31 प्रतिशत मत मिले थे, लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा का देश में मत प्रतिशत 21 प्रतिशत बढ़कर 52 प्रतिशत हो गया। सीटें भी बढ़कर 303 पहुंच गईं। यही इतना नहीं इस दौरान नरेंद्र मोदी का जादू ही रहा जिसने सहयोगी राजनीतिक दलों को भी आगे बढ़ने में मदद की। बिहार में सुशासन बाबू कहे जाने वाले नी‍तीश कुमार को 14 प्रतिशत मत अधिक मिले जाहिर है कि यह मोदी वोट बैंक का ही कमाल था। लेकिन मोदी वोट बैंक इतनी आसानी से तैयार नहीं हुआ है। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और राजनीतिक सोच भी बेहद अहम है।

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प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्‍होंने अपनी कई ऐसी योजनाएं शुरू कीं जिनसे देश के निचले वर्ग को यह अहसास हुआ कि मोदी के सत्‍ता में रहते हुए उनकी समस्‍याओं का समाधान निश्चित है। निर्बल वर्ग के लिए जनधन खाता खोलने से लेकर उज्‍जवला योजना का गैस सिलिंडर घर-घर तक पहुंचाने में मोदी सरकार ने राजनीतिक विचारधारा और वोट बैंक के खांचे पर ध्‍यान नहीं दिया। उन्‍होंने सबका विकास के सिद्धांत को आगे बढ़ाया।

ये रही मोदी सरकार की योजना

मोदी सरकार की योजना इज्‍जत घर के तहत सभी को शौचालय, सभी किसानों को सम्‍मान निधि , रसोई गैस सिलिंडर, सभी को आवास, कौशल विकास आदि का परिणाम यह हुआ कि देश में भाजपा से अलग एक मोदी समर्थक वर्ग तैयार हुआ जो चुनाव में हर उस प्रत्‍याशी को अपना मत देने के लिए तैयार है जो मोदी के साथ खड़ा है। यही वजह है कि राजस्‍थान में लोगों ने वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी से बैर नहीं का नारा लगाकर मतदान किया। मोदी की इसी ताकत को समझते हुए कैडर आधार वाली भारतीय जनता पार्टी जो सामूहिक नेतृत्‍व और सामूहिक निर्णय में विश्‍वास करती है, उसने भी चुनाव मैदान में जाते हुए भाजपा के बजाय अबकी बार मोदी सरकार का नारा देने में गुरेज नहीं किया।

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उत्‍तर प्रदेश में भी दिखा मोदी वोट बैंक का असर

राजनीति में यह मान्‍यता है कि देश की कुर्सी का रास्‍ता उत्‍तर प्रदेश से होकर जाता है। नरेंद्र मोदी ने भी इस हकीकत को पहचाना और उत्‍तर प्रदेश में अपना निजी समर्थक वर्ग तैयार करने पर पूरा ध्‍यान दिया। गुजरात में तीन बार मुख्‍यमंत्री रहने के बावजूद उन्‍होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश को अपनी कर्मभूमि चुना। उत्‍तर प्रदेश के लोगों से सीधा संवाद कर उन्‍हें यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि वह केवल गुजरात के नहीं हैं। इसका फायदा भाजपा को मिले वोट में दिखाई दिया जब 2014 के चुनाव में 42.30 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 80 में से 71 सीटें जीतने में कामयाब रही।

मोदी की वजह से ही आया बीजेपी के वोट शेयर में उछाल

बीजेपी के वोट शेयर में करीब 24.80 प्रतिशत का उछाल मोदी की वजह से ही आया था। 22.20 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सपा को पांच और 19.60 वोट शेयर के साथ बसपा को शून्य सीटें मिलीं और कांग्रेस 7.50 प्रतिशत वोट शेयर के साथ केवल रायबरेली और अमेठी सीट ही जीतने में कामयाब हो सकी थी। सपा को 18 सीटें कम मिलीं और बसपा को 20 सीटों का घाटा उठाना पड़ा। बसपा के वोट शेयर में 7.82 प्रतिशत और सपा के वोट शेयर में 1.06 प्रतिशत की कमी आई।

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उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव में भी मोदी वोट बैंक काम आया। बीजेपी ने 39.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 312सीटें जीत लीं। 22.2 प्रतिशत मत के साथ बसपा ने 19, सपा ने 22.0 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 47 सीटें जीतीं, तो वहीं कांग्रेस ने 6.2 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 7 सीटें जीतीं थीं। 1.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ रालोद को एक सीट मिली थी। वहीं एक प्रतिशत वोट शेयर के साथ अपना दल को नौ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 0.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ चार सीटें मिलीं थीं।

बीजेपी को पिछली बार की तुलना में 265 सीटों का फायदा

बीजेपी को पिछली बार की तुलना में 265 सीटों का फायदा हुआ। वहीं सपा के खाते में 177 , बसपा को 61 और कांग्रेस को 21 सीट का नुकसान हुआ। इस तरह मोदी वोट बैंक भाजपा की उत्‍तर प्रदेश में भी सरकार बनाने में कामयाब रहा। यही वजह है कि भाजपा के नेता अब विचारधारा से अलग हटकर मोदी की रीति-नीति की चर्चा करते हैं और उससे अपने को जोड़कर जनता की नजर में बने रहने की कोशिश करते हैं। मोदी के बगैर भाजपा के किसी भी नेता में अपना चुनाव जीतने की कूवत भी नहीं बची है।

''लोगों का PM मोदी में अटूट भरोसा''

बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा कि बगैर किसी भेदभाव के सभी वर्गों का विकास करने वाली योजनाओं को जमीनी धरातल पर उतारकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों में यह भरोसा पैदा किया कि मोदी है तो मुमकिन है। लोगों का उनमें अटूट भरोसा ही है कि जब उन्होंने नारा दिया कि पहले शौचालय फिर देवालय तो पूरे देश में किसी ने इसका विरोध नहीं किया। यह उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है।

अनुच्छेद 370 ,अयोध्या में राम मंदिर, तीन तलाक , सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अवसरों पर उनकी नेतृत्व दृढ़ता भी जनता ने देखी और उनको अपना अभूतपूर्व समर्थन दिया। इसका फायदा भाजपा को लगातार बढ़ते वोट बैंक के रूप में मिला है। भाजपा का जनाधार पहले से ज्यादा व्यापक हुआ है। राजनीतिक दायरे तोड़कर विभिन्न वर्ग और समाज के लोगों ने मोदी को अपना समर्थन दिया है।

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''दूसरे राजनीतिक दल के पास ऐसा करिश्माई चेहरा नहीं''

बीजेपी नेता कपिल त्यागी ने कहा कि जमीनी स्तर पर मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है जो भाजपा से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने करीब पाता है। वह खुद को मोदी समर्थक और मोदी भक्त भी मानता है। वह मोदी सरकार की नीति और कामकाज का समर्थक है और इसी आधार पर भाजपा के प्रत्याशियों को चुनाव के समय खुलकर अपना समर्थन कर रहा है। किसी दूसरे राजनीतिक दल के पास ऐसा करिश्माई चेहरा नहीं है।

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