क्षेत्रीय क्षत्रप ममता के साथ लामबंद, कांग्रेस के साथ गठबंधन को किया दरकिनार

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटों पर जीत हासिल करके हर किसी को चौंका दिया। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है और यहां मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है।

Update: 2021-03-16 12:34 GMT
क्षेत्रीय क्षत्रप ममता के साथ लामबंद, कांग्रेस के साथ गठबंधन को किया दरकिनार

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। विभिन्न राज्यों में भाजपा के बढ़ती सियासी ताकत को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय विपक्षी दल पूरी तरह ममता बनर्जी के साथ लामबंद हो गए हैं। भाजपा के खिलाफ ममता को समर्थन देने के साथ ही विपक्षी दलों के नेता ममता के लिए चुनाव प्रचार में भी उतरेंगे।

ममता को समर्थन देने वाले विपक्षी दलों में कई का अपने राज्यों में कांग्रेस के साथ गठबंधन है मगर पश्चिम बंगाल में उन्होंने कांग्रेस की जगह ममता को समर्थन देने का एलान किया है। सियासी जानकारों के मुताबिक इन दलों का मानना है कि बंगाल की सियासी लड़ाई में भाजपा को रोकने में ममता बनर्जी ही सक्षम हैं। यही कारण है कि इन दलों ने ममता के साथ एकजुटता दिखाने का फैसला किया है।

बंगाल में मजबूत बनकर उभरी भाजपा

पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का कोई बड़ा आधार नहीं था। 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो सकी थी। इस चुनाव में पार्टी सिर्फ तीन विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब हो सकी थी मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में तस्वीर पूरी तरह बदल दी।

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटों पर जीत हासिल करके हर किसी को चौंका दिया। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है और यहां मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है।

हालांकि कई सीटों पर कांग्रेस-वाम गठबंधन भी मजबूत है मगर पूरे राज्य के स्तर पर यह गठबंधन पिछड़ता दिखाई पड़ रहा है। यही कारण है कि भाजपा के खिलाफ क्षेत्रीय विपक्षी दल ममता बनर्जी के साथ लामबंद हो गए हैं।

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इन बड़े नेताओं ने किया ममता का समर्थन

पश्चिम बंगाल की सियासी जंग में ममता का समर्थन करने वालों में एनसीपी के मुखिया शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल हैं।

क्षेत्रीय स्तर पर है कांग्रेस से गठबंधन

इन सभी नेताओं का मानना है कि बंगाल के चुनाव में ममता ही भाजपा को चुनौती देती दिखाई पड़ रही हैं। इसलिए उन्होंने ममता का समर्थन करने का फैसला किया है।

इस समर्थन में एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि इनमें से कई दलों का क्षेत्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ गठबंधन है मगर बंगाल की सियासी जंग में उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने से परहेज किया है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रहे हैं। कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर जाएगी मगर फिर भी वे बंगाल की सियासी जंग में ममता के साथ हैं।

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ममता के समर्थन में तेजस्वी

बिहार में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के दौरान राजद नेता तेजस्वी यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ कई संयुक्त रैलियां भी की थीं। गठबंधन में कांग्रेस को 70 विधानसभा सीटें मिली थीं। हालांकि पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा।

पश्चिम बंगाल में इस बार के चुनाव में राजद कुछ ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक थी जहां बिहार के लोग ज्यादा संख्या में हैं। हालांकि ममता ने राजद को एक भी सीट नहीं दी है। फिर भी राजद नेता तेजस्वी यादव ने ममता को भी समर्थन देने का एलान किया है। उन्होंने पिछले दिनों कोलकाता में ममता से मुलाकात के बाद धर्मनिरपेक्ष दलों की एकजुटता और भाजपा को रोकने के लिए ममता के साथ खड़े होने का एलान किया था।

सोरेन ने भी दिया कांग्रेस को झटका

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। पश्चिम बंगाल की कई विधानसभा सीटें झारखंड से सटे हुए इलाकों में हैं। ऐसे में सोरेन का समर्थन महत्वपूर्ण माना जा रहा था। पहले उनके कांग्रेस का समर्थन करने की चर्चा थी मगर आखिरकार हेमंत सोरेन ने ममता का ही समर्थन करने का एलान कर दिया है। कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार चलाने के बावजूद सोरेन कांग्रेस-वाम गठबंधन के समर्थन में नहीं खड़े हुए।

शिवसेना भी दीदी के ही साथ

महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने एकजुट होकर भाजपा को सत्ता में आने से रोक दिया था मगर बंगाल में यह तिकड़ी बिखर गई है। बंगाल की सियासी जंग में शिवसेना और एनसीपी दोनों ने कांग्रेस की बजाय ममता बनर्जी का समर्थन करने का फैसला किया है।

शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि बंगाल में शिवसेना अपने प्रत्याशी नहीं खड़े करेगी। हमने दीदी का समर्थन करने का फैसला किया है क्योंकि यह लड़ाई दीदी वर्सेस ऑल है। ऑल का मतलब मनी, मसल और मीडिया का उपयोग दीदी के खिलाफ किया जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी शिवसेना के समर्थन देने का देने के फैसले का स्वागत किया गया है।

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ममता के साथ रैली करेंगे पवार

एनसीपी के मुखिया शरद पवार खुलकर ममता की वकालत करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की सियासी जंग में ममता के विजयी होने की भविष्यवाणी भी की है। पवार जल्द ही बंगाल का दौरा भी करने वाले हैं। जानकारों का कहना है कि वे ममता के साथ रैली को भी संबोधित कर सकते हैं।

पवार ने बंगाल में केंद्र पर अपनी शक्तियों के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव से बड़ा सियासी संदेश निकलेगा। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी की सत्ता में वापसी होगी। उन्होंने केरल में एलडीएफ और तमिलनाडु में द्रमुक गठबंधन के चुनाव जीतने का दावा किया। हालांकि उन्होंने माना कि असम में भाजपा एक बार फिर सत्ता बरकरार रख सकती है।

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इसलिए क्षेत्रीय दलों का ममता को समर्थन

सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा की बढ़ती ताकत को रोकने और धर्मनिरपेक्ष ताकतों की जीत का संदेश देने के लिए ही क्षेत्रीय विपक्षी दलों के नेता ममता बनर्जी के साथ लामबंद हो गए हैं। हालांकि बंगाल की सियासी जंग में भाजपा ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है। अब ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि चुनावी रण में विजय का सेहरा किसके सिर बंधता है।

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