तमिलनाडु: स्टालिन के नेतृत्व पर मुहर, डीएमके की जोरदार वापसी की दस्तक
तमिलनाडु विधानसभा के लिए हुए चुनाव में मतगणना के रुझानों में अन्नाद्रमुक को पछाड़ते हुए द्रमुक अजेय की ओर अग्रसर है।
तमिलनाडु विधानसभा के लिए हुए चुनाव में मतगणना के शुरुआती रुझानों में अन्नाद्रमुक को बुरी तरह पछाड़ते हुए द्रमुक अजेय बढ़त की ओर अग्रसर है। जबकि राज्य में राजग सरकार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह तो दूसरी तरफ संप्रग के लिए राहुल गांधी ने कड़ी मेहनत की थी। 2011 और 2016 में, भाजपा तमिलनाडु राज्य विधानसभा में स्थान बनाने में विफल रही थी। इस बार भी उसके लिए राह कठिन है लेकिन इस बार वह कम से कम तीन सीटें जीत सकती है। हालांकि कांग्रेस की सीटें बढ़ने की संभावना न के बराबर है। पिछले चुनावों में कांग्रेस ने पांच और आठ सीटें जीती थीं। इस बार भी सात- आठ सीटें जीत सकती है।
तमिलनाडु में छोटे राजनीतिक दल वोट कटवा बनकर रह गए हैं। इनमें टीटीवी धिनकरन की अम्मा मक्कल मुनेत्र कजगम हैं, जो अन्नाद्रमुक के कुछ वोटों को आकर्षित कर सकती हैं, और सेमन की तमिल राष्ट्रवादी पार्टी तमिलर काची, साथ ही साथ अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन की मक्कल नीधि मियाम भी नतीजों को कुछ हद तक प्रभावित कर सकती है।
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हालाँकि 1967 से दक्षिण भारतीय राज्य पर शासन कर रही अन्नाद्रमुक और द्रमुक की जोड़ी राज्य की सत्ता में आपस में ही अदला बदली करती रही हैं। इस बार भी अन्नाद्रमुक की जगह डीएमके की वापसी वास्तव में स्टालिन के नेतृत्व पर मोहर है। वहीं अन्नाद्रमुक को जयललिता के रहने की कीमत चुकानी पड़ रही है।
वैसे 6 अप्रैल को तमिलनाडु में हुए मतदान के बाद राज्य में द्रविड़ मुनेत्र कषम (डीएमके) की जीत की संभावना एक बड़े वर्ग द्वारा जताई जा रही थी। पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एम.के. स्टालिन ने अपने पिता एम. करुणानिधि की छाया से दशकों बाद मुक्त हुए राज्य में पहली बार पार्टी का नेतृत्व किया और नतीजे उनकी सफलता की पुष्टि कर रहे हैं। करुणानिधि की 2018 में मृत्यु हो गई थी। दक्षिण की राजनीति के इस शिखर पुरुष की अनुपस्थिति में यह पहला चुनाव है।
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चेन्नई के पूर्व मेयर 68 वर्षीय स्टालिन 13 पार्टियों के मजबूत सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) और वामपंथी दल शामिल हैं।
हालांकि डीएमके ने राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए बहुमत हासिल करने के अपने विश्वास को कम आंका था और इसके बाद विशेष रूप से जहां पार्टी के उम्मीदवार मैदान में थे वहां कम मतदान ने पार्टी की चिंता को बढ़ा दिया था। तमिलनाडु राज्य विधानसभा में 234 सीटें हैं और 118 सीटों पर जीत साधारण बहुमत के लिए जरूरी है। राज्य में विधानसभा चुनाव में कुल 3,994 उम्मीदवार मैदान में हैं।
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