लखनऊ विश्वविद्यालय में सीएए पर होगी वाद-विवाद प्रतियोगिता

नागरिकता संशोधन कानून पर जहां पूरे देश और प्रदेश में हंगामा बरपा हो रहा है, तमाम जगहों पर इस कानून पर विरोध प्रदर्शन चल रहे है वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय इस कानून पर न केवल एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रहा है बल्कि इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी में भी है।

Update: 2020-01-24 08:19 GMT

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून पर जहां पूरे देश और प्रदेश में हंगामा बरपा हो रहा है, तमाम जगहों पर इस कानून पर विरोध प्रदर्शन चल रहे है वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय इस कानून पर न केवल एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रहा है बल्कि इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी में भी है।

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CAA को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी

लखनऊ विश्वविद्यालय का राजनीति शास्त्र विभाग इसकी तैयारी में जुटा हुआ है। विद्यार्थियों की मांग पर राजनीति शास्त्र विभाग ने इसका एक प्रस्ताव तैयार कर विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजा है। जिसके तहत इस वाद-विवाद कार्यक्रम को आगामी फरवरी माह में करवाया जायेगा। जिसमे कई अन्य विश्वविद्यालय के छात्र भी शामिल होंगे। इसके साथ ही नागरिकता संशोधन कानून को राजनीति शास्त्र के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए भी प्रस्ताव विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजा जा चुका है। अब विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले के बाद इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा।

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पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को मिलेगी इसकी जानकारी- शशि शुक्ला

लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग की मुखिया शशि शुक्ला ने बताया कि मौजूदा समय में नागरिकता संशोधन कानून देश का सबसे बड़ा समसामयिक मुद्दा है। इसको पाठ्यक्रम में शामिल करने से विद्यार्थियों को इसके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी और वह इस कानून के प्रति न सिर्फ खुद जागरूक होंगे बल्कि अपने आसपास के सभी लोगों को भी जागरूक करेंगे।

उन्होंने बताया कि प्रस्ताव है कि नागरिकता संशोधन कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए बोर्ड में प्रस्ताव रखा जायेगा और बोर्ड से प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे अकादमिक परिषद को भेजा जायेगा। अकादमिक परिषद से मंजूरी मिलने के बाद इस विषय की पढ़ाई भी शुरू कराई जायेगी।

मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि...

जहां एक ओर लखनऊ विश्वविद्यालय इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कह रहा है तो वहीं दूसरी ओर मायावती ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए इसे राजनीतिक हवा दे दी है। मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, इस पाठ्यक्रम में शामिल करना अनुचित है और बीएसपी सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी। उन्होंने ट्वीट किया है कि,

सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।



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