काला दिवस मनाएंगे बिजली कर्मचारी, 1 जून को करेंगे प्रदर्शन

संघर्ष समिति ने बताया कि  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 के पारित हो जाने के बाद किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली की दरों में मिल रही सब्सिडी समाप्त हो जाएगी।

Update: 2020-05-29 12:25 GMT

लखनऊ। बिजली के निजीकरण के लिए लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के विरोध में देशभर के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता आगामी पहली जून को काली पट्टी बांध कर विरोध दिवस मनाएंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के प्रमुख पदाधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बिजली का निजीकरण करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का मसौदा जारी करने और केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण प्रारम्भ करने के विरोध में आगामी पहली जून को काला दिवस मनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि पहली जून के कार्यक्रम की तैय्यारी के लिए आज पूरे प्रदेश में सभी जनपद और परियोजना मुख्यालयों पर आम सभा हुई।

किया जायेगा विरोध प्रदर्शन

संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के भी तमाम बिजली कर्मी आगामी पहली जून को काला दिवस मनाएंगे जिसके तहत प्रदेश के समस्त जनपदो, परियोजनाओं के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर अपने कार्य पर रहते हुए पूरे दिन दाहिने बाजू पर काली पट्टी बांधकर निजीकरण के लिए लाए गए बिल का पुरजोर करेंगे और अपराहन 3 बजे से शामं 5 बजे के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020

संघर्ष समिति के कार्यक्रमों के क्रम में यह भी निर्णय लिया गया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और निजीकरण से उपभोक्ताओं खासकर किसानों और 300 यूनिट तक बिजली का उपभोग करने वाले गरीब उपभोक्ताओं को बिल के प्रतिगामी परिणामों से अवगत कराने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष समिति ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 के पारित हो जाने के बाद किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली की दरों में मिल रही सब्सिडी समाप्त हो जाएगी।

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निजी कंपनी को न्यूनतम 16 प्रतिशत मुनाफा

बिल के प्राविधानों के अनुसार किसी भी उपभोक्ता को लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। वर्तमान में बिजली की लागत 06.78 रुपये प्रति यूनिट है और निजीकरण के बाद कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनी को न्यूनतम 16 प्रतिशत मुनाफा भी दिया जाए तो 08 रुपये प्रति यूनिट से कम में बिजली किसी को भी नहीं मिलेगी। इस प्रकार किसानों को लगभग 6000 रुपये प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 8000 से 10000 रुपये प्रति माह तक बिजली का बिल देना होगा। इस प्रकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और निजीकरण जनविरोधी और कर्मचारी विरोधी प्रतिगामी कदम है जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

रिपोर्टर- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ

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