मीडिया पर भड़के आबकारी अधिकारी, कहा- नहीं मानता प्रधानमंत्री का आदेश

जब इस मामले में बयान देने के लिए जिला आबकारी अधिकारी से बात की तो वह उल्टा मीडिया पर ही भड़क गए और प्रधानमंत्री के आदेश को भी मानने से इंकार कर दिया।

Update: 2020-05-06 12:54 GMT

बाराबंकी: बाराबंकी में लॉक डाउन 3.0 के दौरान मिली सशर्त छूट के दौरान जिला प्रशासन ने सरकार के आदेश पर शराब की दुकानों से प्रति व्यक्ति दो बोतल से अधिक शराब न देने का फरमान सुनाया था। और उसी दिन शराब कारोबारियों ने आदेश को ताक पर रखकर अपनी मनमानी करते हुए लोगों को मनचाही मात्रा में शराब देनी शुरू कर दी। जानकारी मिलने पर पुलिस ने दो झोलों में भरी शराब पकड़ी और दुकानदार को फटकार लगायी। जब इस मामले में बयान देने के लिए जिला आबकारी अधिकारी से बात की तो वह उल्टा मीडिया पर ही भड़क गए और प्रधानमंत्री के आदेश को भी मानने से इंकार कर दिया।

शराब पकड़वाने पर मीडिया पर तिलमिलाए आबकारी अधिकारी

तस्वीरों में मीडया कर्मियों से उलझते यह साहब बाराबंकी के जिला आबकारी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद हैं। इनका गुस्सा इस बात पर है कि मीडियाकर्मियों ने अवैध रूप से जा रही शराब को क्यों पकड़वाया। हालांकि यह सीधी जुबान से यह नहीं कह पा रहे मगर इनका गुस्सा बता रहा है कि शराब कारोबारियों से इनकी सांठ-गाँठ चल रही थी।

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और मीडिया उसमें बाधा बन गयी। मीडिया के लोगों को आफिस में आया देख के यह आगबबूला हो गए और इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। जब उनसे न बोलने का कारन पूंछा गया तो उन्होंने बताया कि आप लोगों ने मास्क नहीं लगाया है। इस पर मीडियाकर्मियों ने अपने मुंह पर लपेटा हुआ गमछा दिखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी ने इसे मास्क के विकल्प के रूप में पहनने को कहा है। इस पर उन्होंने तपाक से कहा कि वह नहीं मानते।

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सांसद ने दी सफाई

 

इन साहब की करतूत के बारे में जब बाराबंकी के भाजपा सांसद उपेन्द्र सिंह रावत से पूंछा गया कि तो सांसद ने कहा कि लगता है इस अधिकारी को प्रधानमंत्री का आदेश मालूम नहीं है। लेकिन इन्हे जानकारी होनी चाहिए और अपडेट रहना चाहिए। सांसद ने अपना गमछा दिखाते हुए कहा कि देखिये मैंने भी इसे पहन रखा है।

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और प्रधानमंत्री ने कहा था कि मास्क सबके लिए जरुरी नहीं है। इसमें चेहरा ढका हुआ होना चाहिए और मास्क के विकल्प के रूप में अंगौछा अर्थात गमछा इस लिए बताया था कि हमारे देश की ग्रामीण जनता अपने साथ गमछा रखती है। और उससे वह अपना मुँह धक् सकती है। मास्क के विकल्प के रूप में उन्हें जानकारी होनी चाहिए थी।

सरफ़राज़ वारसी

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