उत्तरप्रदेश: उन्नाव में कोहराम, अन्नदाताओं पर संग्राम
यूपी के उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी प्रोजेक्ट की जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने जोरदार प्रदर्शन जारी है। तो वहीं किसानों की मदद के लिए विपक्षी दल आगे आये है। विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने ट्विटर के माध्यम से भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
उन्नाव: एक बार फिर अन्नदाता अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है, लाठी खा रहा है, पीटा जा रहा है। पर हर बार की तरह विपक्षी दल बयानबाजी कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं तो वहीं सत्तापक्ष चुप्पी साधे हुए हैं।
बता दें कि किसानों पर लाठीचार्ज होना, यह कोई नया मामला नहीं है, प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी भी रही हो, हमेशा किसानों पर कहर बरपाने में कोई संकोच नहीं किया है।
बता दें कि यूपी के उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी प्रोजेक्ट की जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों के साथ पुलिस ने जिस तरह से अमानवीय व्यवहार किया है उसे सभ्य समाज के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है। यदि सरकार पहले से बात कर किसानों को संतुष्ट कर लेती तो इस तरह की नौबत ही न आती। किसान हमारा अन्नदाता है हमे जीवन देता है और अगर उसने अपने हक की लडाई लडी है तो इसमें गलत क्या है। अपने हक की लडाई लडने वालों पर लाठी चार्ज किया जाए। यह कहां क्या न्याय है?
आखिर आंदोलन की नौबत आई ही क्योें, किसान यदि अपनी मांग के लिए वार्ता करना चाह रहे तो स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा था ? उसने शासन तक किसानों की बात को क्यो नहीं पहुंचाया। यह आदोलन कोई नया नहीं है, पिछले ढाई साल से किसान अपनी मांगों की गुहार स्थानीय प्रशासन के समक्ष रखते आ रहे हैं।
आदोलित किसानों सब्र का बांध जब टूटा तो उन्होंने एक जेसीबी, कार और बस में तोड़फोड़ कर आगजनी का प्रयास किया।
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इसी दौरान किसानों ने बिजली पाइपलाइन में आग लगा दी, विरोध कर रहे किसानों का आरोप है कि उन्हें जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया गया है। किसानों का विरोध पिछले चार दिनों से लगातार जारी है। किसानों की मांग है कि मौजूदा समय के हिसाब से उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए।
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ढाई साल से आंदोलन कर रहे हैं किसान...
इस बीच पुलिस ने किसी तरह आग बुझाने की कोशिश की तो किसानों ने मौके पर मौजूद एक मिक्सर में आग लगा दी।
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दरअसल, यूपीएसआईडीसी के ट्रांस गंगा सिटी प्रॉजेक्ट में शासन के निर्देश पर कब्जा लेकर काम करवाने पहुंचे प्रशासन और अधिग्रहीत जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर पिछले ढाई साल से आंदोलन कर रहे किसान शनिवार सुबह आमने-सामने आ गए।
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सड़क पर उतरे आंदोलित किसानों ने एक जेसीबी, कार और बस में तोड़फोड़ कर आगजनी का प्रयास किया। रविवार को किसानों का प्रदर्शन और उग्र हो गया। किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर पावर हाउस के पास रखे पाइपों में आग लगा दी।
फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इसके बाद पुलिस और किसानों में तीखी झड़प हुई।
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जिलाधिकारी ने कहा...
इस संदर्भ में डीएम देवेंद्र पांडेय ने बताया किसानों का जो मुआवजा था वह दिया जा चुका है। प्रशासन के पास उनका कोई बकाया नहीं है। इसके बावजूद किसान जिद पर अड़े हैं। शासन स्तर पर कई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं है।
इसके साथ ही डीएम ने बताया कुछ अराजक तत्वों द्वारा पथराव किया गया था इसपर फायर ब्रिगेड ने पानी का छिड़काव कर आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया और लाठी पटक कर स्थिति को नियंत्रण कर लिया है।
गिरफ्तार हुआ किसान नेता...
प्रदर्शन उग्र होता देख पुलिस ने किसानों पर पानी का छिड़काव करते हुए आंसू गैस के 6 गोले दागकर लाठीचार्ज कर दिया। जवाब में किसानों ने पुलिस पर पथराव कर दिया जिसमें सीओ सिटी अंजनी राय सहित 4 पुलिस कर्मी घायल हो गए।
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उप्र के मुख्यमंत्री अभी गोरखपुर में किसानों पर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, उनकी पुलिस का हाल देखिए। उन्नाव में एक किसान लाठियाँ खाकर अधमरा पड़ा है। उसको और मारा जा रहा है। — Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 17, 2019
पुलिस ने किसान नेता वीएन पाल को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि उनके सिर में चोट लग गई है। 2 किसानों को गंभीर हालत में जिला अस्पताल भर्ती कराया गया है।
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क्या है पूरा मामला...
कानपुर गंगा बैराज से सटे उन्नाव के ट्रांस गंगा सिटी की भूमि अधिग्रहण को लेकर पहले भी तीन बार किसान आंदोलन कर चुके हैं।
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बताया जा रहा है कि उनकी मांगों पर तीन बार मुआवजा राशि भी बढ़ाई गई, लेकिन उसके बाद भी किसानों ने ट्रांस गंगा सिटी का काम शुरू नहीं होने दिया था। इस बार यीपीसीडा के अफसरों ने शनिवार को काम की शुरुआत की तो फिर किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। वे नई मांग के साथ टकराव पर उतारू हैं।
1150 एकड़ भूमि अधिग्रहीत...
बता दें कि 2002 वर्ष 2003 में यूपीएसआइडीसी ने स्पेशल इकोनामिक जोन (एसइजेड) के लिए 1150 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की थी। किसानों को डेढ़ लाख रुपया प्रति बीघा मुआवजा तय हुआ था। वर्ष 2005 में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।
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बता दें कि लेदर इंडस्ट्री स्थापित नहीं करने और मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग उठाई थी। तत्कालीन बसपा सरकार की ओर से सांसद बृजेश पाठक ने किसानों और प्रशासन के बीच मध्यस्थता की थी।
2007 में प्रशासन से समझौता...
अगस्त 2007 में बृजेश पाठक की मध्यस्थता में प्रशासन से समझौता हुआ था। किसानों को पांच लाख 51 हजार रुपया प्रति बीघा का मुआवजा देने की पेशकश की गई थी।
ललितपुर में किसान ने आत्महत्या कर ली। उन्नाव में लाठी चार्ज। किसानों के साथ छलावा कब तक चलेगा।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 17, 2019
समझौता में मुआवजा के मसले पर किसानों ने इसे कम बताया, बता दें कि प्रशासन के अनुसार सात लाख रुपया प्रति बीघा और मुआवजा देने पर समझौता हुआ था। इस तरह किसानों को 12,51,000 रुपया प्रति बीघा का भुगतान किया जा चुका है।
इसके साथ ही पुनर्वास के लिए प्रति परिवार 50,000 रुपया और दिया जाना तय हुआ था। उसके बाद किसान अधिग्रहीत भूमि में छह प्रतिशत विकसित जमीन और पुनर्वास की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध करते रहे।
सपा सरकार...
सपा सरकार में एसइजेड की जगह ट्रांस गंगा सिटी की आधारशिला रख इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने के लिए भू उपयोग की घोषणा हुई थी।