रिवर फ्रंट घोटाला: ये 8 इंजीनियर जाएंगे जेल, 14 से ज्यादा ठेकेदार भी CBI की रडार पर

समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान हुए रिवर फ्रंट घोटाले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। अब इस मामले में आधा दर्जन से अधिक इंजीनियरों का फंसना तय है। सीबीआई जल्द ही अलग-अलग टेंडर में हुए घोटाले की अलग-अलग एफआईआर दर्ज करेगी।

Update: 2019-11-27 09:23 GMT

लखनऊ: समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान हुए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। अब इस मामले में आधा दर्जन से अधिक इंजीनियरों का फंसना तय है। सीबीआई जल्द ही अलग-अलग टेंडर में हुए घोटाले की अलग-अलग एफआईआर दर्ज करेगी। इसके लिए सीबीआई ने अपने मुख्यालय से अनुमति मांगी है।

मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में करीब आठ इंजीनियरों का फंसना तय है। इसके अलावा 14 ठेकेदारों पर भी शिकंजा कस सकता है। इन सभी इंजीनियरों का नाम सीबीआई की पहले दर्ज एफआईआर में भी शामिल है। इन सभी से पूछताछ भी की जा चुकी है।

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बता दें कि दो साल पहले गोमती नगर थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में टेंडर देने में घपले के सबूत मिले हैं।

सूत्रों के मुताबिक टेंडर तक के अधिकार चीफ इंजीनियरों को दे दिए गए थे। इसके लिए जो अलग-अलग टेंडर किए गए, उसमें कई में घपले के साक्ष्य मिले हैं। इसके आधार पर सीबीआई अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है।

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इनका फंसना तय

तत्कालीन मुख्य अभियंता गुलेश चंद्रा, एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह व रूप सिंह यादव और अधिशासी अभियंता सुरेंद्र यादव। इसमें से कई रिटायर हो गए हैं।

लगे हैं गंभीर आरोप

इन लोगों ने रिवर फ्रंट में लगे सामान और कराए गए कामों में लागत से ज्यादा पैसे ठेकेदारों को दिए। इस मामले में दर्जन भर से अधिक ठेकेदारों का फंसना भी तय माना जा रहा है।

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इन पर नहीं लगे हैं आरोप

मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच में शासन स्तर के अधिकारियों या किसी नेता तक फिलहाल जांच की आंच नहीं आ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि टेंडर का अधिकार मुख्य अभियंताओं को दिया गया था। मुख्य अभियंताओं ने ठेकेदारों के साथ सांठ गांठ कर कामों का अधिक भुगतान किया। नई एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई गिरफ्तारी शुरू करेगी।

गौरतलब है कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। मामले में 2017 में योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।

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आरोप है कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों को बदल दिया गया था। पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दिया गया था।

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