आम बजट 2020-21: खुशी और मायूसी साथ-साथ, जानिए किसको क्या मिला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मोदी सरकार-2 का बजट पेश किया। शनिवार को संसद में पेश बजट में टैक्स स्लैब को लेकर आम शहरियों, महिलाओं के साथ...

Update: 2020-02-01 14:20 GMT

लखनऊ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मोदी सरकार-2 का बजट पेश किया। शनिवार को संसद में पेश बजट में टैक्स स्लैब को लेकर आम शहरियों, महिलाओं के साथ व्यापारियों में खासी उत्सुकता रही। बजट में पांच लाख तक की आय पर कोई कर न लगने पर लोगों ने राहत की सांस ली।

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आयकर की सीमा और अधिक बढ़ने की उम्मीदें लगाये उच्च मध्यम वर्गीय लोगों को थोड़ी मायूसी भी हुई, लेकिन टैक्स स्लैब में बदलाव से व्यापारी खुश भी रहे। यह नजारा शहर के विभिन्न जगहों पर आम बजट के लाइव प्रसारण और इस पर परिचर्चा के दौरान दिखा।

टैक्स स्लैब बढ़ाकर व्यापारियों को राहत दिया गया है

गोमती नगर निवासी महिला व्यवसायी रीता द्विवेदी ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में टैक्स स्लैब बढ़ाकर व्यापारियों को राहत दिया है। कुछ शर्तो के साथ नई टैक्स स्लैब से व्यापार को निश्चित तौर पर फायदा होगा। उन्होंने कहा कि आयकर की सीमा न बढ़ने से थोड़ी मायूसी खासकर नौकरी पेशा लोगों में है लेकिन मंदी के हालात को देखकर सरकार ने यह निर्णय लिया है।

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व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता कुलबीर अग्रवाल ने कहा कि आयकर में पांच लाख तक की छूट तो पहले से ही है, इसमें नया क्या है। नये टैक्स स्लैब से भी राहत नही मिलेगी। पहले से ही व्यापार की हालत डांवाडोल चल रही है। कार्पोरेट सेक्टर में एचआर हेड नीति बिसारियां का मानना है कि बजट अच्छा है। इसमे जहां देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है तो वहीं आम आदमी के सिर कर का बोझ हल्का किया गया है।

30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत के स्लैब में आ गई है

वह कहती है कि अब वह 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत के स्लैब में आ गई है तो वह खुश है। वहीं व्यवसाई मनीष शुक्ला का कहना है कि बहुत ही अच्छा बजट है। पांच लाख रुपये तक की आय में कर में छूट और 15 लाख रुपये तक की आय पर कर राहत का सीधा लाभ मध्यम वर्ग को मिलेगा।

वर्ष 2022 तक किसान की आय दोगुनी करने के लिए तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जो प्रयास किए गए है वह सराहनीय है। उच्च शिक्षा में एफडीआई से अब हमारे देश में ही उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल पायेगी। सरकारी शिक्षिका शोभना श्रीवास्तव का कहना है बजट में हर सेक्टर को कुछ न कुछ मिला है।

नए आयकर स्लैब से मध्यवर्गीय लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है

आयकर में छूट का लाभ मिला है, इससे हमे अब कुछ खुल कर खर्च करने की आजादी मिलेगी। इसके अलावा बजट में देश के अन्नदाता को राहत देने की कोशिश की गई है। गृहिणी रमा सिंह का कहना है कि बजट में छोटे निवेशकों को बीमा कवर समेत कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं। नए आयकर स्लैब से मध्यवर्गीय लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि इस बजट में युवाओं के लिए रोजगार के साधन पैदा करने पर भी जोर दिया गया है। किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू होने से किसानों को भी राहत मिलेगी।

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इधर, आल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर देने वालों को उम्मीद थी कि 80 सी के तहत मिलने वाली छूट 01.50 लाख रुपये से बढ़ाई जाएगी किन्तु उसमे कोई बदलाव न होना निराशाजनक है। इसी प्रकार आयकर दरों में किया गया परिवर्तन पर्याप्त नहीं है साथ ही नई दरों का लाभ लेने वालों को पहले मिल रही कई छूट नहीं मिलेंगी ऐसे में यह स्पष्ट नही है कि कोई राहत मिली है या नहीं।

सभी घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे

कुल मिलाकर आयकर की घोषणा भ्रामक है। बिजली सेक्टर के बारे में बजट में की गई घोषणा को अव्यवहारिक बताते हुए उन्होंने कहा कि वित्त मन्त्री ने कहा है कि तीन साल में सभी घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे जिससे उपभोक्ता को मनचाही बिजली कम्पनी से बिजली लेने का चॉइस मिल जाएगा, यह पूरी तरह भ्रामक है।

 

 

उन्होंने कहा कि देश में लगभग 30 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं और स्मार्ट मीटर की कीमत लगभग 3000 रुपये मानी जाए तो स्मार्ट मीटर लगाने में ही 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होगा। बजट में बिजली और गैर परम्परागत बिजली के लिए मात्र 22 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं तो सवाल यह है कि हर घर में स्मार्ट मीटर लगाने की धनराशि कहां से आएगी।

ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण उपभोक्तओ के हित में नहीं है

उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में उर्जा नीति को लेकर कई ऐलान किए हैं उससे पूरी तरह सिद्ध हो रहा ऊर्जा क्षेत्र निजीकरण की तरफ बढ़ेगा जो उपभोक्तओ के हित में नहीं है।

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बजट में वित्त मंत्री ने अगले तीन साल में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से पुराने मीटर बदलकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आग्रह किया है लेकिन उन्हे यह भी सोचना चाहिए था की पूरे देश में स्मार्ट मीटर की टेक्नोलॉजी विवादों में घिरी है।

स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना कहा की बुद्धुमानी और आर्थिक नीति है

उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर का भार जम्प कर रहा रहा है ऐसे में पहले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेक्नोलॉजी पर बात होनी चाहिए पूरे देश में डिस्कॉम अरबो रुपए के घाटे में है ऐसे में उपभोक्ताओ के चलते मीटर उतार कर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना कहा की बुद्धुमानी और आर्थिक नीति है।

इससे केवल मीटर निर्माता कम्पनियो को बड़ा लाभ होगा और कुछ नहीं इसके साथ ही इस बजट में पावर-एनर्जी के लिए 22 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है, इससे कुछ नहीं होने वाला।

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