लखनऊः कोरोना से मौत के बाद भी नहीं मिली पुरखों की माटी, यहां दफनाया गया

बुधवार को इस विवाद को लेकर रात काफी बीत चुकी थी इसलिए अब गुरुवार को पुलिस ने बीच का रास्ता निकाला और ऐशबाग की बजाए दूसरे कब्रिस्तान में शव को दफनाने की प्रक्रिया पूरी की गई।

Update: 2020-04-16 08:01 GMT

लखनऊ: कोरोनावायरस की दहशत लोगों के दिलोदिमाग पर कुछ इस कदर हावी है कि केजीएमयू में दम तोड़ने वाले नजीराबाद के बुजुर्ग को पारिवारिक ऐशबाग कब्रिस्तान में दफनाए जाने की इजाजत नहीं मिली पूरी रात चली हीलहुज्जत के बाद आखिरकार बुजुर्ग को दूसरे कब्रिस्तान में ले जाकर दफनाया गया।

लखनऊ के नजीराबाद निवासी 64 वर्षीय बुज़ुर्ग की कोरोना के संक्रमण से मौत हो गई थी। मरीज की मौत के बाद उनके परिवारीजन शव को सुपुर्देखाक करने के लिए ऐशबाग कब्रगाह ले गए लेकिन कब्रिस्तान कमेटी और इलाकाई लोगों ने बुजुर्ग के शव को कब्रगाह में दफनाए जाने का कड़ा विरोध शुरू कर दिया। मामला बढ़ने पर पुलिस ने भी लोगों को समझाने बुझाने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी तो देर रात मामले को सुबह तक के लिए टाल दिया गया। सुबह एक बार फिर कोशिश हुई और बात न बनपाने पर अंतः बुजुर्ग के शव को दूसरे कब्रिस्तान में ले जाकर दफना दिया गया।

संक्रमण फैलने की दहशत बढ़ी

शव दफनाने के विरोध के पीछे लोगों में संक्रमण फैलने का डर बताया जा रहा है जिसके चलते ऐशबाग में शव को दफनाने नहीं दिया गया। बुधवार को इस विवाद को लेकर रात काफी बीत चुकी थी इसलिए अब गुरुवार को पुलिस ने बीच का रास्ता निकाला और ऐशबाग की बजाए दूसरे कब्रिस्तान में शव को दफनाने की प्रक्रिया पूरी की गई।

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गौरतलब है कि इन बुजुर्ग को शुगर की समस्या थी जिसके चलते ही इन्हें पहले लखनऊ के मेडवेल अस्पताल, फिर चरक डायग्नोस्टिक सेंटर, केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग और आइसोलेशन वार्ड ले जाया गया था। अब इन सब जगहों को सील कर सेनिटाइज किया गया है। उपचार के दौरान इन बुजुर्ग के संपर्क में आने वाले ट्रॉमा सेंटर के 65 कर्मचारियों को क्वारेंटाइन किया गया है।

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