Ram Prasad Bismil Birth Anniversary: राम प्रसाद बिस्मिल के जन्मदिन पर जयप्रकाश चतुर्वेदी की कृति का हुआ लोकार्पण
Ram Prasad Bismil Birth Anniversary: राम प्रसाद बिस्मिल के जन्मदिन पर बेबीनार का आयोजन किया और जयप्रकाश चतुर्वेदी की कृति अमर शहीद बिस्मिल का लोकार्पण भी हुआ।
लखनऊ: शुक्रवार को ओंकार सेवा समिति ने राम प्रसाद बिस्मिल के जन्म दिवस के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया। वेबीनार में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एव॔ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश चन्द्र त्रिपाठी थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक और कवि जयप्रकाश चतुर्वेदी ने की। इस अवसर पर जय प्रकाश चतुर्वेदी की कृति अमर शहीद बिस्मिल का लोकार्पण किया गय ।
मुख्य अतिथीय उद्बोधन में प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि वे अद्वितीय क्रांतिकार, उत्कृष्ठ लेखक, कवि तथा बहुभाषाविद् थे। फांसी के एक दिन पहले बिस्मिल की माताजी मूलारानी उनसे मिलने आई और उनको देखकर बिस्मिल की आंखें डबडबा गईं, आँसू को देखकर माता ने कहा मैंने लंबी साधना के बाद तेरे जैसे पुत्र पाया परंतु यदि तुझे मृत्यु का इतना भय था तो क्रान्ति का मार्ग क्यों अपनाया। इस पर अपने आंसू पूछते हुए बिस्मिल ने कहा मां मुझे मृत्यु का जरा सा भी भय नहीं है। परंतु मुझे तेरी जैसी बहादुर मां से बिछड़ने के मोह के कारण मेरे आंखों में आंसू आ गए। उनके जाने के बाद उनकी मां और दादी को घोर आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा। ऐसे क्रांतिकारी वीरों को हमारी आने वाली पीढ़ियां याद रखें यह हम सब लोगों का दायित्व है। एक ऐसे क्रांतिकारी जिन्होंने अपने 30 वर्ष की अल्पायु में पुस्तके लिखकर उससे मिलने वाले धनराज से शस्त्र खरीदा तथा उन शस्त्रों का प्रयोग आजादी की लड़ाई में किया गया।
कार्यक्रम में वक्ता के रूप में एडीएम लखनऊ विश्व भूषण मिश्र ने कहा कि युवाओं को उनके दिखाए गए रास्ते का अनुकरण करना चाहिए। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जयप्रकाश ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए बिस्मिल के विभिन्न संस्मरण का उल्लेख किया। कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ रेल यातायात प्रबंधक अमन वर्मा ने आजाद और बिस्मिल के जीवन पर प्रकाश डाला।
जौनपुर से जय कृष्ण नारायण तुषार ने इन पर आधारित अपनी कविताओं का पाठ किया। इनके अतिरिक्त आकांक्षा त्रिपाठी, दीक्षा उपाध्याय, निवेदिता, अरविंद, अनुराग, धीरेन्द्र, मनोज श्रीवास्तव आदि भारी संख्या में भारत के कोने-कोने से लोगों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन ऑल इंडिया रेडियो के कार्यक्रम अधिशासी आशीष चतुर्वेदी ने किया तथा संयोजन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने किया।