Rampur News: लखीमपुर हिंसा में घायल किसान गुरजीत सिंह कोटिया, परिवार की हालत खस्ता, फिर भी आंदोलन का जज्बा बरकरार

लखीमपुर हिंसा में घायलों की कहानी, हालत खस्ता, फिर भी प्रदर्शन का बने हैं हिस्सा

Report :  Azam Khan
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-10-10 14:47 GMT

लखीमपुर हिंसा में घायल किसान (फोटो-न्यूजट्रैक)

Rampur News: लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence Ghayal Kisan ) में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र और उनके समर्थकों द्वारा थार गाड़ी से आंदोलित किसानों को कुचलने के आरोप लगे हैं जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्र गिरफ्तार भी किये जा चुके हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं इस घटना में घायल रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया की, जिनका उपचार अस्पताल में जारी है।

रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया (Rampur kisan Gurjit Singh Kotia) पिछले कई महीनों से अपने घर वालों को छोड़कर, केंद्र सरकार द्वारा पारित बिल के विरोध में जारी किसान आंदोलन का हिस्सा बने हैं। उनके इस संघर्ष पर क्या कहना है उनके परिवार वालों का।

आइए जानते हैं रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया के संघर्ष की कहानी उनके परिजनों की जुबानी.......

रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया की पृष्ठभूमि (Lakhimpur Kheri violence Ghayal Kisan)

रामपुर में तहसील बिलासपुर क्षेत्र किसानों का गढ़ माना जाता है। यह इलाका तराई बेल्ट के साथ ही मिनी पंजाब भी कहलाता है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लेकर तीन बिल संसद में पास किए गए हैं। जो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि के किसानों को कतई मंजूर नहीं हैं और जिनको रद्द करने की मांग को लेकर तकरीबन 10 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर धरना जारी है। अब जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं किसान भाजपा सरकारों के विरोध में खुलकर सामने आते चले जा रहे हैं। इसी क्रम में जनपद रामपुर के किसान भी बड़ी मजबूती के साथ सरकार विरोधी आंदोलनों और धरनो का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं।


रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया की कहानी (Lakhimpur Kheri violence Ghayal Kisan)

जनपद रामपुर की बिलासपुर तहसील क्षेत्र के सैकड़ों किसानों में से एक गुरजीत सिंह कोटिया हैं जो पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलनों का हिस्सा बने हुए हैं। उन्होंने पूरी तरह से अपना घर बार छोड़ रखा है। यही नहीं वह लखीमपुर खीरी में आयोजित उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध करने अपने साथियों के साथ पहुंचे थे। जहां पर वह हादसे का शिकार भी हो गए। घायल अवस्था में गुरजीत सिंह कोटिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां पर उनका उपचार जारी है। उनकी पत्नी, पुत्री व पिता आज भी उनकी सलामती की दुआ ईश्वर से करते नहीं थक रहे हैं। परिवार के हालात खस्ता है, खेती-बाड़ी भी पत्नी व पुत्री के हवाले है, बूढ़े पिता भी अधिकतर बीमार रहते हैं, लेकिन बावजूद इसके वह किसान आंदोलन का हिस्सा बना रहना चाहते हैं।

रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया की पत्नी क्या कहती हैं (Lakhimpur Kheri violence Ghayal Kisan Ka Parivar)

हरमनप्रीत कौर के मुताबिक मेरे पति का नाम गुरजीत सिंह कोटिया (Lakhimpur Kheri violence Ghayal Kisan) है, वह किसान आंदोलन पर गये थे लखीमपुर में वहां पर पत्थरबाजी हुई है, गाड़ी चढ़ाई है, उनकी टांग भी टूट गई है, उनकी टांग का ऑपरेशन भी हुआ है, हम तो सरकार से बहुत ज्यादा परेशान हैं। जो कानून है, वह वापस ले ले, काले कानून जो उन्होंने दिए हुए हैं। परेशानी ये है कि घर को भी देखना है और अपने बच्चों को भी देखना है। बुजुर्ग ससुर हैं हमारे उनको भी मुझे देखना पड़ रहा है। वह तो रहते ही बाहर धरने पर हैं। यही परेशानी हम झेल रहे हैं सरकार की वजह से, सरकार अच्छी होती तो हमें यह दिन देखना नहीं पड़ता हम सरकार से परेशान हैं।

पत्नी कहती हैं, हम तो यही कह रहे हैं जो सरकार ने काले कानून दिए हैं वह वापस ले ले। किसान बिचारे बैठे हुए हैं, बहुत परेशान हैं। मेरा एक बेटा है प्रबजोथ सिंह और बेटी है गगनप्रीत कौर जैसे घर चलाया जाता है, चला रहे है, परेशानी यही आ रही है कि वह घर पर नहीं होते हैं तो पूरा काम मुझे ही करना पड़ता है। ससुर को भी देखना पड़ता है, वह बुजुर्ग हैं किसी टाइम उनको पकड़ कर बाहर भी लेकर जाना पड़ता है। पति को अगर में रोकती हूं तो वह कहते हैं कि हमीं घर बैठ गए तो फिर हम खाएंगे क्या बाहर तो जाना ही पड़ेगा।

हरमनप्रीत कौर कहती हैं मेरे पति का कहना है, किसानों के साथ चलना ही पड़ेगा आदमी के पीछे आदमी जाता है। हां वह फिर से आंदोलन पर जाएंगे, जब ठीक हो जाएंगे। हम उन्हें रोकेंगे क्यों सब उनके साथ हैं यह सब मजबूरी है करना पड़ेगा। किसी तरह बच्चों को पालना है और घर भी चलाना है। पति को तो बाहर ही देखना है। हम यही कह रहे हैं कि किसान जो अपनी मांगें मांग रहे हैं उसको मान लेना चाहिए। इतने परेशान हैं, पति का तो अभी टांग को ऑपरेशन हुआ है, अभी तो थोड़ा ठीक हैं, घर पर तो पूरा हड़कंप मच गया, हमने तो यह सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो जाएगा हमें पता होता तो वह पहले भी जाते थे यह तो है नहीं कि मैं पहली बार गए थे। हमने बाद में सोचा कि हमने क्यों जाने दिया बाद में यह कहने लगे कि मैं पहले भी तो जाता हूं, पहली बार थोड़ी जा रहा हूं जब सरकार नहीं मानेगी तो वह खुद ही जाएंगे धरने पर।

रामपुर के किसान गुरजीत सिंह कोटिया की मासूम बेटी

गगनप्रीत कौर के मुताबिक मैं क्लास 6 B में पढ़ती हूं। जाना तो चाहिए क्योंकि सरकार कानून वापस ले नही रही। तो वह जाएंगे अच्छा नहीं लगता, जब वह घर में होते थे तो अच्छा लगता था। अब नहीं अच्छा लगता, मैं यही कहना चाहूंगी कि कानून वापस ले।

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