Sonbhadra News: सोनभद्र सहित पूर्वांचल के कई जनपदों में सूखे की स्थिति, फसल रोपाई दूर, नर्सरियां भी हुईं बर्बाद
Sonbhadra News: माह के शुरुआती दो-तीन दिनों में हुई मजे की बारिश ने जहां किसानों में खेती-किसानी की उम्मीद जगा दी थी। वहीं, उसके बाद से बनी अवर्षण की स्थिति ने सोनभद्र सहित पूर्वांचल के कई जनपदों को भीषण सूखे की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।
Sonbhadra News: जुलाई माह में 8 सालों में सबसे कम बरसात का रिकॉर्ड बनाने वाली बारिश की स्थिति अगस्त माह में भी किसानों की रुलाई छुड़ाने लगी है। माह के शुरुआती दो-तीन दिनों में हुई मजे की बारिश ने जहां किसानों में खेती-किसानी की उम्मीद जगा दी थी। वहीं, उसके बाद से बनी अवर्षण की स्थिति ने सोनभद्र सहित पूर्वांचल के कई जनपदों को भीषण सूखे की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। हालत यह है कि रोपाई तो दूर अच्छी बारिश के इंतजार में पड़े-पड़े ज्यादातर किसानों की नर्सरियां ही बर्बाद हो गई हैं।
कई जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश
भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों पर यकीन करें तो आजमगढ़ जिले में अब तक सामान्य से 49 फीसद, बलिया में सामान्य से 37 फीसद, भदोही में 65 फीसद, चंदौली में 61 फीसद, गाजीपुर में 35 फीसद, जौनपुर में 42 फीसद, मऊ में 68 फीसद, मिर्जापुर में 61 फीसद, सोनभद्र में 26 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है। आंकड़ों में भले ही सोनभद्र में अन्य जनपदों की अपेक्षा ज्यादा बारिश दिख रही है लेकिन हालात यहां भी काफी भयावह हैं। ज्यादातर किसानों की नर्सरियां बर्बाद होने के कारण जहां उनके लिए खेती-किसानी की उम्मीद फिलहाल खत्म हो गई है वहीं जिन्होंने किसी तरह से रोपाई कर भी ली है या नर्सरियां बची भी हैं। उन्हें भी खासी जद्दोजहद से गुजरना पड़ रहा है।
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लगातार दूसरे साल सूखे की स्थिति ने तोड़ दी है किसानों की कमर
सोनभद्र में लगातार दूसरे साल बनी सूखे की स्थिति ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। किसान नेता गिरीश पांडेय का कहना है कि सूखे की मार खाए किसानों ने एक साल तो किसी तरह गुजार लिया। घर में जो थोड़ी बहुत जमा-पूंजी बची थी, उसे बेहतर फसल की उम्मीद में खेतों में लगा दिया। अब अगला एक साल वह कैसे गुजारेंगे, यह एक बड़े संकट की स्थिति बन गई है। विषम हालात के बावजूद अभी तक सोनभद्र को सूखाग्रस्त जिला घोषित करने को लेकर कोई पहल सामने नहीं आई है। इसके चलते तमाम किसानों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।
बिहार के सीमावर्ती जिलों को भी झेलना पड़ सकता है सूखे का संकट
अवर्षण की स्थिति ने जहां जिले के सिंचाई से जुड़े बांधों में पर्याप्त पानी का संकट खड़ा कर दिया है। वहीं, सोनभद्र और सिंगरौली के पावर प्रोजेक्टों और संबंधित क्षेत्र के रहवासियों को पानी की सप्लाई देने वाले रिहंद डैम में भी इस बार जलस्तर की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। शनिवार को रिहंद बांध का जलस्तर लगभग 841 फीट रिकॉर्ड किया गया। बारिश का लगभग आधा सीजन व्यतीत होने के बावजूद जहां यह जलस्तर, पिछले वर्ष के मुकाबले भी लगभग साढ़े 4 फीट कम है। वहीं, इससे पूर्व के सालों के मुकाबले यह आंकड़ा और भी ज्यादा है। बता दें कि रिहंद बांध से बिहार के इंद्रपुरी बैराज के लिए रवी और खरीफ दोनों फसलों के सीजन में 15-15 दिन पानी छोड़ा जाता है। इस बार रिहंद में जलस्तर की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसको देखते हुए बिहार के इंद्रपुरी बैराज को सिंचाई के लिए रिहंद बांध से पानी मिल पाएगा, इसको लेकर भी संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बता दें कि रिहंद बांध का अधिकतम जलस्तर का आंकड़ा 880 फीट और न्यूनतम आंकड़ा 838 फीट है।