Sonbhadra News: पूर्व सांसद के बिगड़े बोल से बनी सियासी बवाल की स्थिति, कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना
Sonbhadra News: भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार के तीखे बोल को लेकर सियासी बवाल की स्थिति बनने लगी है। अपनी पार्टी की सरकार के ही अफसरों पर आदिवासियों को भड़काने का आरोप लगाने के साथ ही, मणिपुर में अपनी ही सरकार को फेल बताने लगे।
Sonbhadra News: आदिवासियों की पिटाई मामले पर यूपी सरकार के राज्य मंत्री संजीव कुमार गोंड की मौजूदगी में, भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार के तीखे बोल को लेकर सियासी बवाल की स्थिति बनने लगी है। अपनी पार्टी की सरकार के ही अफसरों पर आदिवासियों को भड़काने का आरोप लगाने के साथ ही, मणिपुर में अपनी ही सरकार को फेल बताने के बयान ने जहां, पार्टी में अंदरखाने असहजता की स्थिति उत्पन्न कर दी है। वहीं, कांग्रेस ने भी ट्वीट के जरिए, भाजपा पर सीधा कटाक्ष कर सुबह का सियासी माहौल गरमा दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव से महज चंद माह पूर्व, पूर्व सांसद के दिखाए गए तेवर, चुनावी परिदृश्य को किस तरह प्रभावित करेंगे, यह तो आने वाला वक्त बताएगा? लेकिन जिस तरह से मंत्री की मौजूदगी में पूर्व सांसद की बयानबाजी सामने आई है, उसको लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
जानिए क्या था पूरा मामला ?
दरअसल जंगल की खाली जमीन पर मवेशी चराने को लेकर हुए विवाद और वनकर्मियों द्वारा आदिवासियों की हुई पिटाई के मामले को लेकर, समाज कल्याण राज्य मंत्री संजीव कुमार गोंड और पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार केवटम पहुंचे हुए थे। वहां चौपाल लगाकर ग्रामीणों की शिकायत सुनने के साथ ही पुलिस के अफसरों को भी बुलाया गया था। बुलावे के क्रम में क्षेत्राधिकारी आशीष मिश्रा और मांची इंस्पेक्टर विनोद सोनकर सहित अन्य पुलिसकर्मी पहुंचे हुए थे। इस चौपाल को लेकर वायरल हो रहे वीडियो में ग्रामीणों की बात सुनने के बाद पूर्व सांसद ने, मांची इंस्पेक्टर की तरफ रुख गया और पूछा कि दरोगा जी बताइए, इस तरफ (आदिवासी पक्ष) से मुकदमा क्यों नहीं लिखा गया? इसकी सफाई और आरोपों के दौर के बाद पूर्व सांसद आदिवासी पक्ष से कहते हैं कि आप लोग भी तहरीर लिख कर दीजिए। इसके बाद इस मसले पर पूर्व सांसद और क्षेत्राधिकारी के बीच बात होती है, जिस पर तहरीर लेने और मुकदमा दर्ज करने पर सहमति जता दी जाती है।
कार्रवाई की बात करते-करते अचानक बिगड़ गए पूर्व सांसद के बोल
इसके बाद वन विभाग के लोगों द्वारा आदिवासियों के उत्पीड़न की बात कहते हुए पूर्व सांसद का पारा अचानक चढ़ जाता है और वह वन कर्मियों को आड़े हाथों लेते हुए कहते हैं कि इनका मन इतना बढ़ गया है कि अंग्रेज भी पीछे हो गए हैं। इसके बाद ग्रामीणों की तरफ से बजती ताली के साथ ही पूर्व सांसद के बोल और तीखे हो जाते हैं। कहते हैं कि इतना ज्ञान होना चाहिए कि बगैर आदिवासी छुए आगे नहीं बढ़ सकते। यह मालूम होना चाहिए कि ..... के आग लग जाएगी थाना-चौकियां फूंक दी जाएंगी.., इस बात को नहीं समझ रहे हैं यह लोग..।
पूर्व सांसद यहीं नहीं रुके, आगे कहा कि इन्हीं आदिवासियों की वजह से मणिपुर में हाहाकार मचा हुआ है। सरकार वहां फेल हो गई है। इसके आगे भी उन्होंने जमकर भड़ास निकाली और पुलिस प्रशासन पर आदिवासियों को भड़काने का आरोप भी लगाया। इसको लेकर वायरल हो रहे वीडियो को लेकर जहां तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। वहीं, मणिपुर मामले को लेकर लगातार हमलावर कांग्रेस ने इस प्रकरण को लेकर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है।
भाजपाई भी मान रहे हैं कि मणिपुर में भाजपा की सरकार फेल हो गई है : कांग्रेस
यूपी कांग्रेस की तरफ से मणिपुर मामले को लेकर ट्वीट के जरिए भाजपा पर साधे गए निशाने में कहा गया है कि 'ये साहब भाजपा के राबर्टसगंज के पूर्व सांसद हैं। आदिवासियों के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करने के बहाने बगल में बैठे प्रशासन के अधिकारियों को माँ-बहन की गालियां दे रहे हैं। इतना ही नहीं सांसद जी ये स्वीकार भी कर रहे हैं कि मणिपुर की सरकार पूरी तरह फेल हो गयी है। यानी, भाजपाई भी मान रहे हैं कि मणिपुर में भाजपा की सरकार फेल हो गई है। बस इनके आलाकमान के नेता यह मानने को तैयार नहीं।
न जाने कितने निरीहों की जान लेकर अक्ल आएगी इन्हें?'
एक तरफ पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार के बिगड़े बोल ने पड़ा बवाल मचाना शुरू कर दिया है। वहीं, दूसरे लोगों ने पूर्व के कब्जे के आधार पर वन विभाग से अपनी जमीन वापसी की मांग शुरू कर दी है। सुरेंद्र सिंह चंदेल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए मांग की है कि "रामगढ़ वन रेंज अंतर्गत राजस्व गाँव सिलहट के 6600 बीघे पर आजादी के पहले और बाद तक मेरे पूर्वजों का भौमिक अधिकार था, जिसे 1951-52 में वन विभाग ने ले लिया। पूर्वजों के कब्जे के आधार पर परिजनों को जमीन वापस मिलनी चाहिए।
वीडियो को तोड़ मरोड़ कर किया गया वायरल
पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार की तरफ से वायरल वीडियो को लेकर बयान भी सामने आ गया है। उनका कहना है कि वह सिर्फ समझा रहे थे। क्योंकि कुछ वर्ष पूर्व तक यहां नक्सली मूवमेंट की स्थिति थी। बड़ी मुश्किल से आदिवासियों को नक्सली मूवमेंट से दूर किया गया है। अगर उत्पीड़न की स्थिति रही तो वह फिर से नक्सलवाद की तरफ बढ़ सकते हैं। इसी मसले को लेकर समझाते हुए स्थिति से आगाह कर रहे थे। उनकी यानी भाजपा सरकार सबका साथ-सबका विकास पर काम करती है और वह भी इसी मंत्र को मानते हैं।