Sonbhadra News: सब्जी मंडी पर रेलवे ने चलवाया बुलडोजर, बेरहमी की पहियों तले रौंद दी गईं सब्जी की दुकाने!
Sonbhadra News: रेलवे प्रशासन की तरफ से रविवार को बुलडोजर चलवाए जाने से हड़कंप मच गया। अतिक्रमणरोधी अभियान के नाम पर चलवाए गए बुलडोजर से जहां दर्जनों दुकानदारों की दुकान उजड़ गई।
Sonbhadra News: सालों से सब्जी मंडी के रूप में इस्तेमाल की जा ही जमीन पर रेलवे प्रशासन की तरफ से रविवार को बुलडोजर चलवाए जाने से हड़कंप मच गया। अतिक्रमणरोधी अभियान के नाम पर चलवाए गए बुलडोजर से जहां दर्जनों दुकानदारों की दुकान उजड़ गई। वहीं, जमीन पर दुकान लगाकर सब्जी बेचने वाले भी कई दुकानदारों का काफी नुकसान हो गया। आरोप है कि अतिक्रमण हटाते वक्त जमीन पर दुकान लगाकर बैठे कई दुकानदारों को सब्जियां हटाने तक का मौका नहीं दिया गया और जमीन समतलीकरण के नाम पर उनकी सब्जियां रौंद दी गईं।
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अस्थाई निर्माण से बिगड़ा मामला
जिस जगह सालों से सब्जी मंडी लगाई जा रही थी। वहां कई दुकानदार ऐसे थे, जिन्होंने वर्षों से सब्जी बेचने वाली जगह पर गुमटियां और मड़हे रखकर, अस्थाई निर्माण का स्वरूप विकसित करना शुरू कर दिया। इनको अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे बार-बार नोटिस दे रहा था। एक दिन पहले भी रेलवे के लोगों ने सब्जी मंडी पहुंचकर अल्टीमेटम दिया। निर्माण नहीं हटा तो रविवार को बुलडोजर चलवा दिया गया।
जमीन पर दुकान वालों के प्रति दिखी बेदर्दी
बताते हैं कि रेलवे की तरफ से बुलडोजर अस्थाई निर्माण वालों पर ही चलाने की बात थी। लेकिन अतिक्रमण हटाने पहुंचे दल ने अस्थाई निर्माण से पहले, जमीन पर दुकान लगाए, दुकानदारों पर ही बेदर्दी दिखानी शुरू कर दी। भुल्लन चौधरी, उसकी मां सहित कई दुकानदारों का आरोप है कि एनांउस करते समय सिर्फ पांच मिनट तक वक्त दिया गया। जब तक वह दुकान समेटते, बुलडोजर से उनकी दुकानों-सब्जियों को रौंदने का काम शुरू कर दिया गया। नाराजगी जता रहे दुकानदारों का आरोप था कि अभी वह खरीदी गई सब्जी की मूल पूंजी भी नहीं निकाल पाए थे कि उनकी सब्जियां मिट्टी में मिला दी गईं।
सियासी दांव पेंच से भी लंबे समय तक उलझा रहा मामला
विभिन्न चुनावों में सियासी फसल काटने का माध्यम बनी चोपन की सब्जी मंडी लंबे समय से सियासी दांव-पेंच का केंद्र बनी रही। एक तरफ रेलवे को लोग आकर अल्टीमेटम देते तो दूसरी तरफ सियासतदां उन्हें सुरक्षित रखने का आश्वासन देकर, अपना वोट फिक्स करने में लग जाते। रविवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। दुकानदारों को भरोसा था कि सियासी दांव-पेंच उन्हें इस बार भी उजड़ने से बचा लेगा लेकिन रेलवे की तरफ बुलडोजर चलाने में दिखाई गई तेजी ने सियासी दांव-पेंच का फायदा उठाकर, अस्थायी निर्माण किए बड़े सब्जी दुकानदारों को दुकानें उजाड़ी हीं, रोजाना सब्जी बेचकर घर-परिवार चलाने वाले छोटे दुकानदारों की दुनिया ही उजाड़ दी।
स्थानीय पुलिस की सूझबूझ ने संभाला मामला
जिन्होंने अस्थाई निर्माण किया था, उसे हटाने में तेजी दिखाने की बजाय, जिस तरह से जमीन पर दुकान लगाए छोटे दुकानदारों के प्रति बेदर्दी दिखाई उसने एकबारगी लोगों को आक्रोशित कर दिया। इसको लेकर लोगों ने एतराज जताया तो मामले को शांत कराने की बजाय, रेलवे के लोग मीडियाकर्मियों को ही चल रही कार्रवाई को कवर करने में रोकने से लग गए। स्थिति बिगड़ने लगी तो स्थानीय पुलिस टीम ने सूझबूझ का परिचय देते हुए हस्तक्षेप कर जमीन वाली दुकानों को रौंदने की चल रही कार्रवाई पर रोक लगवाई और दुकानदारों को सब्जी हटाकर जाने तक, समतलीकरण कार्य रोकवाया, तब जाकर लोग शांत हुए। हालांकि सब्जी विक्रेताओं में इसको लेकर रोष की स्थिति बनी रही।