UP News: शाइस्ता परवीन के मददगारों की पुलिस ने बना ली है लिस्ट, जानें कौन-कौन है शामिल
UP News:पुलिस ने शाइस्ता परवीन के उन मददगारों की सूची बनाई है, जिन्हें लेकर संदेह है कि उन्हीं की मदद से वह अब तक फरार रहने में सफल रही है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शाइस्ता की मदद करने वाले सात वकीलों के अलावा उसे संरक्षण और आर्थिक मदद देने वाले 20 करीबियों के नाम चिन्हित किए गए हैं।
UP News: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद सारी सुर्खियां शाइस्ता परवीन केंद्रित हो गई हैं। पिछले दो माह से ये महिला कहां छिपी बैठी है, इसकी कोई सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। शाइस्ता जिस तरह से इतने बड़े पुलिस तंत्र को चकमा देने में सफल हो रही हैं, उसे लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। बेटा, पति और देवर की मौत के बाद भी दबाव में नहीं आने वाली इस लेडी डॉन तक पहुंचने के लिए पुलिस ने एक नई चाल चली है।
पुलिस ने शाइस्ता परवीन के उन मददगारों की सूची बनाई है, जिन्हें लेकर संदेह है कि उन्हीं की मदद से वह अब तक फरार रहने में सफल रही है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शाइस्ता की मदद करने वाले सात वकीलों के अलावा उसे संरक्षण और आर्थिक मदद देने वाले 20 करीबियों के नाम चिन्हित किए गए हैं। यूपी पुलिस और एसटीएफ की इन पर पैनी नजर है।
पुलिस के मुताबिक, आर्थिक मददगारों की सूची में मोहम्मद मुस्लिम, असलम मंत्री व खालिद जफर शामिल हैं। वहीं, माफिया अतीक अहमद की पत्नी को संरक्षण देने वालों की सूची में मेरठ की रहने वाली आयशा नूरी, जो कि अतीक की बहन है और उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी बनाए जाने के बाद से फरार चल रही हैं। इसके अलावा मोहम्मद अनस और आसिफ उर्फ मल्ली शामिल है।
50 हजार रूपये की इनामी शाइस्ता के मददगारों के तौर पर इरशाद, सुल्तान अली, सुंधांशु त्रिपाठी उर्फ बल्ली पंडित डॉ. शैला, असाद, नूर, मोहम्मद मुस्लिम, मोहम्मद राशिद उर्फ नीलू, आवेज अहमद, अशरफ का साला सद्दाम, कासिम, मोहम्मद नफीस और जफर अहमद खां जैसे लोग शामिल हैं। इनमें से सुंधांशु त्रिपाठी उर्फ बल्ली पंडित का एक वीडियो शाइस्ता परवीन के साथ वायरल होने के बाद बीते माह यानी मार्च में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
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माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के पिता हारून यूपी पुलिस में मुख्य आरक्षी थे। शाइस्ता के दो भाईयों में से एक जकी अहमद लखनऊ जेल में बंद है, जबकि दूसरा सबी मदरसे में शिक्षक है। उसका एक करीबी परिजन मोहम्मद अहमद उर्फ मुन्ने वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में उप निरीक्षक के पद पर तैनात है। पुलिस को जांच में पता चला है कि मुन्ने के लखनऊ पोस्टिंग के दौरान शाइस्ता अक्सर उसके यहां आया-जाया करती थी। मुन्ने भी प्रयागराज का ही रहने वाला है।
प्रयागरात में सरेआम पुलिस अभिरक्षा में माफिया भाईयों अतीक अहमद और अशरफ की हुई हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने इस हत्याकांड की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग की है, जिस पर 28 अप्रैल को कोर्ट सुनवाई करेगा। अब इस मामले में यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत में केविएट दाखिल कर मांग की है कि बिना उसका पक्ष सुने इस मामले में कोई आदेश जारी न किया जाए।
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याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट से योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक हुए पुलिस एनकाउंटर की जांच भी किसी विशेषज्ञ समिति से कराने की मांग की है। पिछले दिनों यूपी पुलिस ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि 2017 से अब तक प्रदेश में 183 एनकाउंटर हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच करेगी।
उमेश पाल हत्याकांड सिलसिले में पूछताछ के लिए प्रयागराज लाए गए माफिया ब्रदर्स अतीक अहमद और अशरफ की 15 अप्रैल रात तीन बदमाशों ने हत्या कर दी थी। घटना के दौरान दोनों भाई पुलिस अभिरक्षा में थे। इसलिए वारदात को लेकर योगी सरकार पर सवाल उठने लगे। तीनों हमलावर फिलहाल जेल में हैं। इस घटना से दो दिन पहले 13 अप्रैल को अतीक के तीसरे बेटे असद और उसके सहयोगी गुलाम को यूपी एसटीएफ ने झांसी में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया था। इस एनकाउंटर की जांच भी राज्य सरकार के आदेश पर एक आयोग कर रही है।