ये 10 मौत के मंजर: पूरी दुनिया झटके में हो जाएगी तबाह, सबसे भयानक हैं ये तूफ़ान
सबसे भयंकर तूफ़ान हरकेन कटरीना ने अगस्त 2005 में अमेरिका के लुसियाना और मिसिसिपी में भारी तबाही मचाई थी। 23 अगस्त 2005 को ये 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उठा। ये तूफान आठ दिनों तक तबाही मचाता रहा।
लखनऊ: तूफ़ान जब भी आता है तो अपनी तीव्रता के अनुसार बर्बादी की भयंकर तस्वीरें छोड़ जाता है। हम कुछ ऐसे ही तूफानों के बारे में यहां बात कर रहे हैं जिन्होनें तबाही का भयंकर तांडव किया है। 1970 में बांग्लादेश में आया तूफान अपनी गति और तीव्रता में दुनिया के भयंकर तूफानों जैसा तो नहीं था लेकिन उस समय पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा रहे वहां के तटीय इलाकों में किसी को जानकारी तक नहीं थी कि ऐसा कोई तूफान आ रहा है।
पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाला ये तूफ़ान
बता दें कि इस तूफान की रफ़्तार करीब 185 किलोमीटर प्रति घंटा की थी। यह तूफ़ान जमीन से टकराते ही तबाही मचानी शुरू कर दी, इससे दस जिले प्रभावित हुए और पांच लाख से ज्यादा लोग मारे गए। एशिया में 1800 से लेकर 2009 तक कई ऐसे तूफान आए हैं, जिन्होंने खासी तबाही मचाई और बड़े पैमाने पर लोगों की जान ले ली।
टाइफून आइडा, रफ़्तार-325 किलोमीटर प्रति घंटे
आइडा सितंबर 1958 में 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जापान के तट से टकराया था। बाद में इसकी रफ्तार 325 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। ये इतना भयंकर तूफान था कि इसने कई बड़े बड़े भवनों तक को गिरा दिया। आइडा के कारण जापान में कुल 1,269 लोगों की मौत हुई। इतनी मौतों से जापान के लोग हिल गए थे। इससे पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ।
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टाइफून हैयान, रफ़्तार-314 किलोमीटर प्रति घंटे
हैयान को अब तक का सबसे प्रचंड उष्णकटिबंधीय तूफान माना जाता है। फिलिपींस में इसे योलांडा के नाम से जानते हैं। ये दुनिया में अब तक के चौथे सबसे प्रचंड तूफान के रूप में दर्ज है। इसकी रफ्तार 314 किलोमीटर प्रति घंटे थी। ये तीन नवंबर 2013 को बना। 11 नवंबर को खत्म हो गया। इस तूफान के कारण फिलिपींस, वियतनाम और दक्षिण चीन का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ। इसके कारण 11 हजार 801 लोगों की मौत हुई जबकि कुल 68 करोड़ 60 अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। शायद इतनी बड़ी तबाही आजतक किसी तूफान ने नहीं मचाई है।
टाइफून किट, रफ़्तार-314 किलोमीटर प्रति घंटे
टाइफून किट 1966 में 314 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उठा, लेकिन संयोग से जमीन पर नहीं टकराया। इसलिए टाइफून किट से जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ।
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टाइफून सैली रफ़्तार-314 किलोमीटर प्रति घंटे
सैली 3 सितंबर 1964 को पोनापे के पास उठा और पश्चिम की ओर बढ़ा। चार दिन के बाद इसकी रफ्तार 314 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। ये नौ सितंबर को फिलिपींस पहुंचा। फिर 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 10 सितंबर को चीन पहुंचा। ये अपने समय के प्रचंड तूफानों में एक था।
टाइफून टिप, रफ़्तार-305 किलोमीटर प्रति घंटे
टाइफून टिप 12 अक्टूबर 1979 को जापान से टकराया। इसकी रफ्तार 305 किलोमीटर प्रति घंटे थी। टिप मॉनसून में डिस्टरबेंस के कारण 4 अक्टूबर को पोहनपेई के पास बना। 19 अक्टूबर को धीमा पड़ गया। इससे करीब 100 लोगों की मौत हुई, जबकि कृषि और मत्स्य उद्योग को लाखों डॉलर का नुकसान हुआ।
टाइफून कोरा, रफ्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटे
टाइफून कोरा 30 अगस्त 1966 को उठा। पांच सितंबर 1966 को ओकिनावा द्वीप के पास टकराया। इसकी रफ्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटे थी। कोरा के कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान हुआ, लेकिन इससे किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई। ये सात सितंबर 1966 को उत्तर-पूर्व चीन और 9 सितंबर 1966 को कोरिया पहुंचा।
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हरकेन कटरीना, रफ़्तार- 280 किलोमीटर प्रति घंटे
सबसे भयंकर तूफ़ान हरकेन कटरीना ने अगस्त 2005 में अमेरिका के लुसियाना और मिसिसिपी में भारी तबाही मचाई थी। 23 अगस्त 2005 को ये 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उठा। ये तूफान आठ दिनों तक तबाही मचाता रहा। कटरीना के कारण कुल 1833 लोगों की जानें गईं, जबकि कुल 108 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ।
हरकेन ऐंड्रू, रफ़्तार- 280 किलोमीटर प्रति घंटे
हरकेन ऐंड्रू 16 अगस्त, 1992 को बनना शुरू हुआ। 28 अगस्त 1992 को फ्लोरिडा, दक्षिण पश्चिम लुसियाना और उत्तर पश्चिम बहमास से टकराया। इसकी रफ्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटे थी। तूफान के कारण कुल 65 लोगों की मौत हुई, जबकि कुल 26.5 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।