लटकाए 21 आतंकी: आत्मघाती हमलों से दहला था देश, अब लिया ऐसे बदला

इराक में 21 आतंकियों और हत्यारों को सोमवार को सामूहिक तौर पर फांसी पर लटका दिया गया। इस बारे में इराक के आंतरिक मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है।

Update: 2020-11-17 12:09 GMT
इराक में 21 आतंकियों और हत्यारों को सोमवार को सामूहिक तौर पर फांसी पर लटका दिया गया। इस बारे में इराक के आंतरिक मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है।

नई दिल्ली। इराक में आतंकवादी हमलों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में हाल में ही खबर मिली है कि इराक में 21 आतंकियों और हत्यारों को सोमवार को सामूहिक तौर पर फांसी पर लटका दिया गया। इस बारे में इराक के आंतरिक मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है।

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हमलों में दर्जनों लोग मारे गए

ऐसे में दक्षिणी इराक के शहर नासिरिया की जेल में इन आतंकियों और हत्यारों को फांसी दी गई। इराक के उत्तरी शहर तल अफर में हुए दो आत्मघाती हमलों में ये आरोपी भी शामिल हैं। हुए इन हमलों में दर्जनों लोग मारे गए थे।

जानकारी देते हुए मंत्रालय ने अपने बयान में फांसी पर लटकाए गए आतंकवादियों और हत्यारों की पहचान नहीं बताई है और मंत्रालय ने न ही ये बताया कि उन्हें अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।

बता दें, अमेरिका समर्थक सैन्य अभियान में वर्ष 2014 से 2017 के दौरान इस्लामिक स्टेट को पराजित करने के बाद से इराक में सैकड़ों संदिग्ध जिहादियों पर मुकदमा चलाया गया है और कई बार सामूहिक तौर पर फांसी दी गई है।

फोटो-सोशल मीडिया

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इराक पर कब्जा

मानवाधिकार समूहों ने इराकी और अन्य क्षेत्रीय बलों पर न्यायिक प्रक्रिया में विसंगतियों और मुकदमों में कमियों का आरोप लगाया है। इराक का कहना है कि उसके मुकदमें निष्पक्ष हैं। आपको बता दें कि इस्लामिक स्टेट ने 2014 में एक तिहाई इराक पर कब्जा कर लिया था, लेकिन तीन वर्षों के दौरान उसे इराक और पड़ोसी देश सीरिया में काफी हद तक पराजित कर दिया गया था।

दरअसल सीरिया और इराक से पांव उखड़ने के बाद आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट यानी आईएस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक स्टेट अब दक्षिण एशिया में पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान में उसे पूरा संरक्षण भी मिल रहा है।

ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 45 वें सत्र से इतर आयोजित वेबिनार में विशेषज्ञों ने अफगानिस्तान की स्थिति को चिंताजनक माना। कई विशेषज्ञों का कहना था कि अफगानिस्तान में तालिबान से अलग हुए कुछ कमांडर आईएस से जुड़कर लड़ाकों की भर्ती कर रहे हैं।

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