रूसी मिसाइल से डरा अमेरिका: दोनों देशोें के बीच बढ़ा तनाव, US ने दी सख्त चेतावनी

अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में अमेरिका ने इस बार दावा किया है कि रूस ने एंटी-सैटलाइट मिसाइल का टेस्ट किया है। ये टेस्ट समझौते का खुला उल्लंघन है।

Update:2020-12-17 10:54 IST
अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस अंतरिक्ष में हथियार बढ़ा रहा है और ये अन्य देशों की सैटेलाइट के लिए काफी बड़ा खतरा बनता जा रहा है।

वाशिंगटन: एक बार फिर से अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में अमेरिका ने इस बार दावा किया है कि रूस ने एंटी-सैटलाइट मिसाइल का टेस्ट किया है। ये टेस्ट समझौते का खुला उल्लंघन है। साथ ही अमेरिका ने चेतावनी दी है कि रूस ने ऐसे परीक्षण जारी रखे, तो उस पर भी तुर्की की तरह कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। बता दे, सोमवार को अमेरिका ने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Missile System) खरीदने की वजह से तुर्की पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए।

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खतरों के मद्देनजर स्पेस फ़ोर्स कमांड

ऐसे में अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस अंतरिक्ष में हथियार बढ़ा रहा है और ये अन्य देशों की सैटेलाइट के लिए काफी बड़ा खतरा बनता जा रहा है। आपको बता दें कि अमेरिका-रूस आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी के खत्म होने में बस कुछ ही महीने शेष हैं और मॉस्को और वॉशिंगटन ने इस समझौते के विस्तार पर चर्चा की है लेकिन अभी मतभेद बना हुआ है।

इसे लेकर अमेरिकी स्पेस कमांड ने दावा किया है कि वह अमेरिका और अपने सहयोगियों के हितों की अंतरिक्ष में आक्रामकता से सुरक्षा करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हीं खतरों के मद्देनजर स्पेस फ़ोर्स कमांड भी बनाई है।

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फोटो-सोशल मीडिया

दावों को किया खारिज

साथ ही इससे पहले अमेरिका के स्पेस कमांड ने अप्रैल में भी दावा किया था कि रूस ने ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल टेस्ट किया था। फिर जुलाई में रूस ने अमेरिका और ब्रिटेन के इन दावों को खारिज किया था।

लेकिन बाद में रूस ने आरोप लगाया था कि खुद अमेरिका अंतरिक्ष में हथियार तैनात करना चाहता है। रूस ने इस बारे में बताया कि उसने जो परीक्षण किया था उससे स्पेस में किसी तरह के मलबे की वजह से खतरा पैदा नहीं हुआ था। दूसरी तरफ अमेरिका ने भी माना था कि उसने किसी मलबे को ट्रैक नहीं किया है।

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1,550 परमाणु हथियार तैनात

ऐसे में इन दोनों देशों के बीच New START समझौता 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और तत्कालानी रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदव के बीच किया गया था।

इस New START समझौते के तहत दोनों देशों को केवल 1,550 परमाणु हथियार तैनात करने और 700 मिसाइलें और बमवर्षक विमान तैनात करने की मंजूरी है। लेकिन दोनों देशों के 1987 इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज ट्रीटी से बाहर होने के बाद, सिर्फ New START ही ऐसा समझौता है जो दोनों देशों के बीच कायम है।

वहीं जानकारों के अनुसार, बाइडन के सत्ता में आने के बाद रूस के साथ अमेरिका के संबंध और बिगड़ सकते हैं क्योंकि अमेरिका के नए राष्ट्रपति पर पुतिन के सामने मजबूत नज़र आने का दबाव भी है।

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