पाक को अमेरिका की चेतावनी! तिलमिलाया चीन तो भारत खुश
अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। अमेरिका ने चीन और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को लेकर पाक को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान इस समझौते पर अपने कदम पीछे नहीं खींचता तो इसके गंभीर नतीजे होंगे।
नई दिल्ली: अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। अमेरिका ने चीन और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को लेकर पाक को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान इस समझौते पर अपने कदम पीछे नहीं खींचता तो इसके गंभीर नतीजे होंगे।
इसके साथ ही अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान को दीर्घकालिक आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि यह तय है कि अगर अमेरिका ने सख्त रूख अपनाया तो बदहाल पाकिस्तान के पास कोई भी मौका नहीं मिलेगा।
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भारत को समर्थन...
भारत के दृष्टिकोण से देका जाये तो अमेरिका के इस कड़े तेवर का को समर्थन सीधे-सीधे भारत को मिला है। हालांकी, भारत शुरू से ही इस परियोजना का विरोधी रहा है। इसकी कई वजहें रही हैं।
अमेरिकी राजनयिक ने कहा...
गुरुवार को एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ऐलिस वेल्स ने कहा कि चीन-पाकिस्तान के इस आर्थिक गलियारे का मकसद दक्षिण एशिया में चीन की महत्वाकांक्षा है। वह इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी की भूमिका में रहने की ख्वाहिश रखता है।
इसके साथ ही राजनयिक ने कहा कि इस करार से पाकिस्तान को कुछ भी नहीं मिलने वाला है, इससे केवल बीजिंग को ही लाभ होगा। उन्होंने पाकिस्तान को इसके एवज में एक बेहतर मॉडल की पेशकश की है।
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चीन की चालाकी से अनजान है पाक...
अमेरिकी राजनयिक ऐलिस वेल्स ने जोर देकर कहा कि चीन इस मंहगी योजना पर यूं ही निवेश नहीं कर रहा है। उसका मकसद पाकिस्तान को भारी कर्ज देकर उसकी आवाज को दबाना है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चीन ने इस परियोजना के निर्माण में जो रणनीति अपनाई है उससे पाकिस्तान में बेरोजगारी बढ़ेगी। उन्होंने साफ किया कि जिस तरह से परियोजना में केवल चीन के ही श्रमिक काम कर रहे हैं, उससे पाकिस्तान में भयंकर बेरोजगारी उत्पन्न होगी। पाकिस्तान उसकी इस मंशा से अनजान है।
भारतीय विरोध की बड़ी वजह...
भारत द्वारा इसका विरोध इस कारण किया जा रहा है, क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान में गुलाम कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होते हुए जाएगा।
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आपको बता दें कि यातायात और ऊर्जा का मिलाजुला यह प्रोजेक्ट समंदर में बंदरगाह को विकसित करेगा, जो भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खोल देगा।
आर्थिक गलियारे की लंबी अवधि की योजना...
18 दिसंबर, 2017 को चीन और पाकिस्तान ने मिलकर इस आर्थिक गलियारे की लंबी अवधि की योजना को मंजूरी दे दी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को चीन द्वारा "वन बेल्ट एंड वन रोड" या नई सिल्क रोड परियोजना भी कहा जाता है l नवम्बर 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत चार लेन के वाहन मार्ग की आधारशिला रखी गई थी।
इस योजना के तहत चीन और पाकिस्तान वर्ष 2030 तक आर्थिक साझेदार रहेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तान ने इस योजना में चीनी मुद्रा युआन का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी दे दी है। इस गलियारे को लेकर भारत ने अपनी आपत्ति जताई है। यह गलियारा गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है।
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, यह अवैध है। भारत गुलाम कश्मीर को लेकर भी अपना विरोध जताता रहा है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना विरोध जताया है।
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लागत 46 अरब डॉलर...
आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक लगभग 2,442 किमी लंबी एक परियोजना है l इसकी लागत 46 अरब डॉलर आंकी जा रही है।
चीन इसके लिए पाकिस्तान में इतनी बड़ी मात्रा में पैसा निवेश कर रहा है कि वो साल 2008 से पाकिस्तान में होने वाले सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के दोगुने से भी ज़्यादा है। चीन का यह निवेश साल 2002 से अब तक पाकिस्तान को अमेरिका से मिली कुल आर्थिक सहायता से भी ज़्यादा है।
इस परियोजना से चीन को क्या होगा लाभ...
चीनियों के लिए यह रिश्ता रणनीतिक महत्व का हैl यह गलियारा चीन को मध्यपूर्व और अफ़्रीका तक पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता मुहैया कराएगा, जहां हज़ारों चीनी कंपनियां कारोबार कर रही हैं।
इस परियोजना से शिनजिंयाग को भी कनेक्टिविटी मिलेगी और सरकारी एवं निजी कंपनियों को रास्ते में आने वाले पिछड़े इलाकों में अपनी आर्थिक गतिविधियां चलाने का मौका मिलेगा, जिससे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
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अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर शिकंजा कसते हुए उसकी आर्थिक सहायता में कमी कर दी गई है। दूसरी ओर भारत की अमेरिका से बढती नजदीकी के बीच चीन पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते और भी मीठे करने में लगा है। चीन, पाकिस्तान के विकास को बढ़ावा देकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाहता है।
वर्तमान में मध्यपूर्व, अफ़्रीका और यूरोप तक पहुंचने के लिए चीन के पास एकमात्र व्यावसायिक रास्ता मलक्का जलडमरू है, यह लंबा होने के आलावा युद्ध के समय बंद भी हो सकता है।
चीन एक पूर्वी गलियारे के बारे में भी कोशिश कर रहा है जो म्यांमार, बांग्लादेश और संभवतः भारत से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जाएगा।