बांग्लादेश-चीन-पाक की बढ़ती दोस्ती: हसीना का भारतीय राजदूत से मिलने से इंकार
भारत-बांग्लादेश के संबंध हमेशा से बेहद मजबूत रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंध कभी सहज नहीं रहे। लेकिन बीते कुछ दिनों से ऐसी चर्चाएं हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की नजदीकियां बढ़ रही हैं।
नई दिल्ली: पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) को पाकिस्तान से अलग कर एक स्वतंत्र देश बनाने में भारत की अहम भूमिका रही है। पाकिस्तान से अलग होकर पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश आज एक स्वतंत्र देश है। भारत-बांग्लादेश के संबंध हमेशा से बेहद मजबूत रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंध कभी सहज नहीं रहे।
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बांग्लादेश और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां
हालांकि, बीते कुछ दिनों से ऐसी चर्चाएं हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की नजदीकियां बढ़ रही हैं। इस बीच, बांग्लादेश के एक प्रमुख अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि तमाम अनुरोधों के बाद भी प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले चार महीनों में भारतीय उच्चायुक्त से मुलाकात नहीं कर सकी हैं। रिपोर्ट में बांग्लादेश के पाकिस्तान और चीन की तरफ झुकाव को लेकर एक आर्टिकल लिखा है।
चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना को मिल रहा ज्यादा समर्थन
उसमें लिखा है कि PM हसीना के 2019 में सत्ता में आने के बाद से भारतीय परियोजनाओं की रफ्तार काफी धीमी हो गई है। हालांकि चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना को ज्यादा समर्थन मिल रहा है। अखबार के संपादक ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि भारत की आपत्ति के बाद भी बांग्लादेश ने सिल्हट में चीनी कंपनी को एक एयरपोर्ट टर्मिनल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है।
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भारत की आपत्ति के बाद भी चीनी कंपनी को मिला कॉन्ट्रैक्ट
भारत की आपत्ति के बावजूद बांग्लादेश ने चीनी कंपनी बीजिंग अर्बन कंस्ट्रक्शन ग्रुप (BUCG) को सिल्हट में एयरपोर्ट टर्मिनल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट (Contract) दे दिया गया है। बता दें कि सिल्हट भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से से लगता है, इसलिए ये भारत के लिए काफी संवेदनशील इलाका है। केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि ढाका और बीजिंग की भी नजदीकियां बढ़ी हैं।
चीन ने बांग्लादेशी उत्पादों को किया ड्यूटी फ्री
बता दें कि चीन की तरफ से बांग्लादेशी उत्पादों को ड्यूटी फ्री कर दिया गया है। यहीं नहीं, कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग में भी चीन बांग्लादेश को मेडिकल आपूर्ति के जरिए मदद कर रहा है। इसके अलावा चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड में भी बांग्लादेश शामिल है।
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भारत की उच्चायुक्त की नहीं हुई शेख हसीना से मुलाकात
रिपोर्ट में लिखा है कि भारत की उच्चायुक्त रीवा गांगुली बीते चार महीनों से प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी तक उनकी प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकती है। अभी तक उन्हें एक भी एपॉइंटमेंट नहीं मिला है। इसके अलावा बांग्लादेश की तरफ से कोरोना काल के दौरान भारत द्वारा किए गए मदद को लेकर कोई शुक्रिया अदा करने के लिए नोट भी नहीं भेजा गया।
पीएम इमरान खान ने हसीना को किया फोन
वहीं अभी हाल ही में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने बुधवार को शेख हसीना से फोन पर बातचीत की थी। इस बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं दी गई,स लेकिन पाकिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी ने बताया कि PM इमरान और शेख हसीना के बीच कश्मीर के हालात और विवाद के समाधान को लेकर चर्चा हुई। हालांकि भारत ने गुरुवार को PM शेख हसीना के रुख की सराहना की।
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सरकार का एक धड़ा चीन से संबंध मजबूत करने का इच्छूक
भारत ने कहा कि बांग्लादेश अपने पुराने रुख पर ही कायम है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है। अखबार के लेख में लिखा है कि शेख हसीना सरकार का एक धड़ा चीन से संबंध मजबूत करने की इच्छा रखता है। यही नहीं, बीते दस महीनों में चीन के सहयोगी देश पाकिस्तान के साथ भी संबंध को मजबूती देने की कोशिशें भी हुई हैं।
बीते साल नवंबर में भारत द्वारा निर्यात पर बैन लगाए जाने के बाद बांग्लादेश ने पाक से प्याज बी मंगाना शुरू कर दिया। 15 सालों में पहली बार बांग्लादेश ने पाकिस्तान से कृषि उत्पादों का आयात किया है।
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सीएए और एनआरसी के बाद पैदा हुए मतभेद
वहीं भारत और बांग्लादेश के संबंध हमेशा से काफी अच्छे रहे हैं। लेकिन सीएए और एनआरसी के बाद बांग्लादेश के साथ कुछ मतभेद पैदा हो गए हैं। दरअसल, एनआरसी के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। वहीं, बांग्लादेश का कहना है कि उनके देश में धार्मिक कट्टरता कम हुई है, साथ ही हिंदूओं के खिलाफ किसी तरह का धार्मिक भेदभाव नहीं हो रहा है।
बांग्लादेश इस बात को लेकर है चिंतित
बांग्लादेश का कहना है कि एनआरसी और सीएए आंतरिक मुद्दा है। वहीं भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजने की भी बात कही जा रही है, इसे लेकर बांग्लादेश चिंतित है। इसके अलावा बीते कुछ समय से बांग्लादेश के स्थानीय मीडिया में भारत-बांग्लादेश सीमा पर जान-माल के नुकसान को लेकर भी आवाजें उठाई जा रही हैं।
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पाक और चीन समर्थकों के लिए एक अवसर
वहीं अब बांग्लादेश और भारत के बीच बढ़ते मतभेदों को वहां पाक और चीन समर्थकों के लिए एक अवसर की तरह देखा जा रहा है। पाकिस्तान उच्चायुक्त पद पर इमरान अहमद सिद्दीकी की नियुक्ति के बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध फिर से शुरू हो गए हैं। सिद्दीकी ने हाल ही में बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. मोमेन के साथ एक जुलाई को मुलाकात भी की थी।
भारत पर दबाव बनाने की कोशिश
पाकिस्तान और चीन के साथ बांग्लादेश की बढ़ते संवाद को CAA समेत कई मुद्दों पर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। आर्टिकल में लिखा है कि बांग्लादेश म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की समस्या से पहले से ही परेशान है। ऐसे में भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को वापस भेजे जाने की बात से उसकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
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मुलाकात ना हो पाने को गलत तरीके से ना देखा जाए
वहीं बांग्लादेश के एक अन्य प्रमुख अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारतीय राजदूत की मुलाकात ना हो पाने को गलत तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। अखबार ने लिखा है कि विदेश मीडिया को समझना होगा कि हमारे यहां प्रधानमंत्री ही विदेशी राजदूतों से मुलाकात को लेकर फैसला करती हैं। देश में तैनात किसी भी विदेशी राजदूत के पास अब पहले जैसे अनाधिकारिक तौर पर मिले विशेषाधिकार नहीं रह गए हैं।
कूटनीतिक संबंधों को गलत तरीके से पेश करने से बचना चाहिए
अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान के साथ कड़वे अतीत को छोड़ दिया जाए तो भारत और चीन दोनों ही हमारे भरोसेमंद दोस्त हैं। भारत-चीन के बीच भले ही दुश्मनी बढ़ी हो, लेकिन विदेश मीडिया को हमारे कूटनीतिक संबंधों को गलत तरीके से पेश करने से बचना चाहिए।
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