नेपाल की हार: चीन ने दिया झटका, इस धोखे से बैकफुट पर ओली सरकार

चीन ने नेपाल की सीमा में घुसकर निर्माण कराने की बात से इनकार करते हुए उसे अपनी जमीन बताया है। चीन का कहना है कि मीडिया में आई रिपोर्टों में कोई दम नहीं है।

Update: 2020-09-24 03:53 GMT

अंशुमान तिवारी

काठमांडू। नेपाल की सीमा में घुसकर इमारतों के निर्माण के मामले में चीन चोरी और सीनाजोरी पर उतर आया है। नेपाल की सीमा में घुसकर इन इमारतों के निर्माण के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच चीन ने नेपाल को बड़ा झटका दिया है।

चीन ने नेपाल की सीमा में घुसकर निर्माण कराने की बात से इनकार करते हुए उसे अपनी जमीन बताया है। चीन का कहना है कि इस बाबत मीडिया में आई रिपोर्टों में कोई दम नहीं है। चीन के इस दावे के बाद नेपाल की ओली सरकार बैकफुट पर दिख रही है।

कब्जे की घटना से चीन का इनकार

मीडिया में चीन की सीमा पर स्थित हुमला जिले में चीन की ओर से इमारतों का निर्माण कराए जाने की खबर आई थी। चीन के इस कदम के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा भड़क गया है और लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इन विरोध प्रदर्शनों के बीच चीन ने इन रिपोर्टों को बेबुनियाद बताते हुए कब्जे की घटना से पूरी तरह इनकार कर दिया है।

अपनी जमीन पर निर्माण का दावा

नेपाल में चीनी दूतावास का कहना है कि अतिक्रमण संबंधी रिपोर्टों में कोई दम नहीं है। चीनी दूतावास ने कहा कि इमारतों का निर्माण चीन की सीमा के भीतर कराया गया है और इसे लेकर गलतफहमी फैलाई जा रही है। दूतावास का यह भी कहना है कि चीन और नेपाल के बीच किसी भी प्रकार का कोई भौगोलिक विवाद नहीं है।

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विदेश मंत्रालय ने दी सफाई

लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए नेपाल का विदेश मंत्रालय भी आगे आया है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि देश के सर्वेक्षण विभाग के आधिकारिक रिकार्ड के मुताबिक ये इमारतें नेपाली क्षेत्र में नहीं बनाई गईं हैं। नेपाल की मीडिया रिपोर्टों में तिब्बत से लगे हुमला जिले में नेपाली जमीन पर चीन की ओर से नौ इमारतों के निर्माण की बात कही गई थी। रिपोर्टों में हुमला जिले के लंपचा इलाके में इन इमारतों के बनाए जाने का दावा किया गया था।

नेपाल के लोगों में भड़का गुस्सा

इन रिपोर्टों के प्रकाशन के बाद नेपाल के लोगों में चीन के प्रति काफी आक्रोश पैदा हो गया है। बुधवार को नेपाल के विभिन्न स्थानों पर चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए।

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सिविल सोसाइटी समूह की ओर से इन इमारतों के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। काठमांडू में भी चीनी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारी चीन से नेपाल की जमीन वापस लौटाने की मांग कर रहे थे।

सीमा तय करने वाला पिलर गायब

इस बीच एक और खबर ने लोगों की नाराजगी बढ़ा दी है। रिपोर्टों के मुताबिक नेपाल और चीन की सीमा का निर्धारण करने वाला पिलर नंबर-11 ही गायब हो गया है। इन खबरों के सामने आने के बाद नेपाल की ओली सरकार से लोगों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है और सरकार बैकफुट पर आ गई है।

इस बीच के सांसद चक्का बहादुर लामा का कहना है कि जब तक नदारद पिलर का पता नहीं लगा लिया जाता तब तक दोनों पक्षों के बीच विवाद जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि विवाद को खत्म करने के लिए पहले गायब पिलर का पता लगाना जरूरी है।

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चीन ने नेपाली अफसरों को लौटाया

उधर नेपाल के एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक मंगलवार को नेपाल के एक मुख्य जिला अधिकारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल चीनी अधिकारियों से बात करने के लिए गया था मगर चीनी अधिकारियों ने इलाके पर अपना दावा दावा जताते हुए प्रतिनिधिमंडल को वापस लौटा दिया।

चीन सरकार की ओर से इमारतों के अपनी जमीन पर बने होने का दावा किया गया है। देखने वाली बात यह होगी कि लोगों के बढ़ते गुस्से को नेपाल की ओली सरकार किस तरह संभालती है।

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