पाकिस्तान को मिला तगड़ा धोखा, हुआ 100 अरब रु. का नुकसान

पाकिस्तान को उसका ही सबसे भरोसेमंद दोस्त चीन ही उसे आर्थिक चोट पहुंचाने में लगा है। चीन पाकिस्तान से रणनीतिक साझेदारी के नाम पर मुनाफा कमाने में लगा हुआ है।

Update: 2020-05-21 06:49 GMT

इस्लामाबाद: पाकिस्तान को उसका ही सबसे भरोसेमंद दोस्त चीन ही उसे आर्थिक चोट पहुंचाने में लगा है। चीन पाकिस्तान से रणनीतिक साझेदारी के नाम पर मुनाफा कमाने में लगा हुआ है। पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के तहत चीनी कंपनियां खूब लाभ कमा रही हैं।

चीनी कंपनियों के भ्रष्टाचार से उठा पर्दा

चीनी कंपनियों के भ्रष्टाचार से पर्दा तब उठा, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बिजली के बढ़ते दाम की जांच के लिए एक कमिटी गठित की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत चीनी कंपनियों द्वारा मुनाफा कमाने का पर्दाफाश किया है। जानकारी के मुताबिक, सीपीईसी के तहत पाकिस्तान को अरबों रुपये का घाटा हुआ है।

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पाकिस्तान को हुआ 100 अरब का नुकसान

सरकार द्वारा गठित की गई कमिटी फॉर पावर सेक्टर ऑडिट, सर्कुलर डेब्ट रिजर्वेशन ऐंड फ्यूचर रोडमैप की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली उत्पादन क्षेत्र में अनियमितताओं के चलते पाकिस्तानी रुपया के मुताबिक 100 अरब रुपये का नुकसान हुआ है। 278 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को कुल नुकसान में से एक तिहाई नुकसान चीनी परियोजनाओं में हुआ है।

33 अरब रुपये की दी गई थी मंजूरी

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कमिटि की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत हुनेंग शांडोंग रुई एनर्जी (एचएसआर) और कासिम इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड कोल प्लांट्स ने अपनी लागत को बहुत अधिक रखा। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के दो कोयला आधारित प्लांट के लिए लगभग 33 अरब रुपये (पाकिस्तानी रुपया) की अतिरिक्त लागत को मंजूरी दी गई थी।

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चीनी कंपनियों को निर्माण कार्य जारी रहने दौरान 4 सालों के लिए ब्याज दरो में छूट दी गई थी। लेकिन प्लांट का काम तो केवल 27-29 महीनों में ही पूरा हो चुका था। इससे चीनी कंपनियों को अतिरिक्त भुगतान दिया जाता रहा।

लॉन्चिंग के समय 3.8 अरब डॉलर थी लागत

कमिटी की ओर से जिन दो प्रोजेक्ट की जांच की गई है, लॉन्चिंग के समय उनकी लागत करीब 3.8 अरब डॉलर थी। जांच के दौरान कमिटी ने को पता चला कि कंपनियों को 483 अरब रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया। जो कि मौजूदा विनिमय दर से 3 अरब डॉलर की रकम के बराबर है। अब कमिटि ने पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया है कि प्रशासन चीनी कंपनियों पर अतिरिक्त भुगतान की वापसी के लिए दबाव डाले।

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चीन की 16 कंपनियों ने किया था 60 अरब का निवेश

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की 16 कंपनियों ने 60 अरब रुपये का निवेश किया था। जबकि पिछले दो तीन सालों में ही कंपनियों को 400 अरब रुपये का मुनाफा हुआ है। चीनी कंपनियां बिना किसी घोटाले के ही इतना ज्यादा मुनाफा कमा चुकी हैं।

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की हालत पहले ही खस्ता है और मौजूदा समय में कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यस्था की हालत और भी खराब हो चुकी है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने के बजाय पाकिस्तानी सरकार हमेशा की ही तरह फिर से कर्ज मांगने में जुटी है। अब चीन का निवेश भी पाकिस्तान को कर्ज में उलझाता जा रहा है।

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