जिनपिंग की चाल: चीन-भारत विवाद का उठा रहे फायदा, असली मंशा तो ये है...

चेयरमैन बनने में जिनपिंग की कामयाबी उन्हें माओत्से तुंग के बराबर खड़ा कर देगी। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में माओ अकेले नेता हैं जिन्हें पार्टी का चेयरमैन बनाया गया था। 

Update: 2020-10-15 14:30 GMT
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शातिर चलने में माहिर

नई दिल्ली चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शातिर चलने चलने में काफी माहिर माने जाते हैं और इन दिनों पड़ोसी देशों के साथ विवाद पैदा करके वे पर्दे के पीछे एक नई शातिर चाल चलने में जुटे हुए हैं। भारत के साथ लद्दाख में चीन का तीखा सैन्य विवाद चल रहा है तो ताइवान, नेपाल और हांगकांग के साथ भी चीन का कई मुद्दों को लेकर विवाद है।

इन विवादों के बीच जिनपिंग शातिर चाल चलते हुए खुद को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का चेयरमैन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि इस महीने के आखिर में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है और कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी की ओर से नए रेग्यूलेशन को मंजूरी दी जा सकती है।

 

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माओ के बाद कोई नहीं बना चेयरमैन

चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग को सबसे ताकतवर नेता माना जाता रहा है और चेयरमैन बनने में जिनपिंग की कामयाबी उन्हें माओत्से तुंग के बराबर खड़ा कर देगी। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में माओ अकेले नेता हैं जिन्हें पार्टी का चेयरमैन बनाया गया था।

माओ के बाद कोई भी नेता इस शक्तिशाली पद पर नहीं पहुंच सका और अब शी जिनपिंग की नजर चेयरमैन के पद पर टिकी हुई है।

 

पहले ही काफी ताकतवर हो चुके हैं जिनपिंग

जानकार सूत्रों का कहना है कि जिनपिंग की चालों से लगता है कि वे चीन में अपनी ताकत और बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ‌अगर जिनपिंग सीपीसी का चेयरमैन बनने में कामयाब हो गए तो वे 45 सालों में इस पद को हासिल करने वाले पहले नेता होंगे।

माओत्से तुंग की तरह जिनपिंग ने अन्य शक्तियां पहले ही हासिल कर रखी हैं। वे चीनी सेना के कमांडर इन चीफ होने के साथ ही मिडिल किंगडम के सर्वोपरि नेता के रूप में पहले ही से काबिज हैं। चीन में उन्होंने शी जिनपिंग रिसर्च सेंटर फॉर डिप्लोमैटिक थॉट भी खोल रखा है। चीनी बच्चों को उनके विचारों के बारे में पढ़ाया भी जा रहा है।

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सोशल मीडिया से

सेना पर इस तरह मजबूत बनाई पकड़

 

सूत्रों का कहना है कि चीन की राजनीति और चीनी सेना पर अपना नियंत्रण और मजबूत करने के लिए ‌ जिनपिंग काफी दिनों से जुटे हुए थे। इस काम में उन्होंने कामयाबी हासिल कर ली है और अब उनकी नजर चेयरमैन बनने पर टिकी हुई है।

चीनी सेना पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए ही उन्होंने अपने करीबियों और निष्ठावान लोगों को काफी तेजी से प्रमोशन दिए ताकि चीनी सेना उनके प्रति और समर्पित हो सके।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए शी जिनपिंग लगातार शातिर चाल चलने में जुटे हुए हैं और इसी के तहत उन्होंने उपराष्ट्रपति वांग किशन को अपने निशाने पर रखा हुआ है। चीनी राष्ट्रपति ने वांग के करीबी डॉन्ग हॉन्ग के खिलाफ जांच शुरू करा दी है।

 

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विरोधियों को विभिन्न मामलों में फंसाया

चीन के राष्ट्रपति अपने सारे विरोधियों को धीरे-धीरे निपटाने में लगे हुए हैं और डॉन्ग हॉन्ग भी इसका शिकार हुए हैं। वे 1990 से उपराष्ट्रपति वांग के साथ काम कर रहे थे मगर अब वे जांच के झमेले में फंस गए हैं। चीनी राष्ट्रपति को जोकर करने वाले रियल स्टेट ग्रुप हुआयुआन के पूर्व चेयरमैन रेन को भी अवैध लाभ पाने का दोषी ठहराया जा चुका है।

जानकारी सूत्रों का कहना है कि सही बात तो यह है कि अंतरराष्ट्रीय मसलों में तमाम विवाद पैदा करके शी जिनपिंग लोगों का ध्यान भटकाने में कामयाब हो चुके हैं और अब वे चेयरमैन बनने के लिए पार्टी के भीतर शातिर चाल चलने में जुटे हुए हैं।

अंशुमान तिवारी

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